बागेश्वर । स्कूल संचालक अब निजी पब्लिसर्स की पुस्तकों से पढ़ाई करने लगे हैं। साथ ही कई स्कूलों ने फीस भी बढ़ा दी है। जिससे अभिभावकों पर आर्थिक बोझ पड$ रहा है। अधिकारी हैं कि इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
पूर्व सरकार में तत्कालीन शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने ऐतिहासिक निर्णय लेकर सभी विद्यालयों में एनसीईआरटी की पुस्तकें लागू करने का निर्णय लिया था। जिससे अभिभावकों को काफी राहत मिली थी। एनसीईआरटी की पुस्तकों व निजी प्रकाशन की समान पेज वाली पुस्तकों में दस से बारह गुना तक का अंतर था। इस बार सरकार बनते ही सीएम ने अरविंद पांडे के बजाय धन सिंह रावत को शिक्षा मंत्री का जिम्मा सौंपा।
नई सरकार आते ही कई निजी विद्यालयों में एनसीईआरटी की पुस्तकों के अलावा अन्य निजी प्रकाशन की पुस्तकों को पाठयक्रम में शामिल कर दिया है। साथ ही प्रति वर्ष प्रवेश शुल्क के नाम पर अभिभावकों से जमकर फीस वसूली जा रही है। जिससे अभिभावकों का बजट गड़बड़ा गया है। परंतु जिला प्रशासन व शिक्षा विभाग के अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
प्रदेश सरकार की छवि हो रही खराब
निजी विद्यालयों द्वारा निजी प्रकाशन की पुस्तकें खरीदने के दबाब से अभिभावक के साथ ही अधिकारी भी चुप हैं। वहीं इससे प्रदेश सरकार की छवि खराब हो रही है। जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों की चुप्पी पर अभिभावक इसके लिए तंत्र को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।