तो क्या अब जल्द होगा बीकेटीसी का विस्तार !

विधान सभा के 3 तथा जिला पंचायतों से 4 सदस्यों के प्रतिनिधित्व का प्रावधान

गोपेश्वर। चारधाम देवस्थानम बोर्ड को 2 साल में ही चलता करने के बाद एक बार फिर अस्तित्व में श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के गठन में अब विधान सभा तथा जिला पंचायत से आने वाले सदस्यों को भी जगह मिलेगी। इसकेचलते अब सबकी नजरें बीकेटीसी के विस्तार पर टिक गई है।
बताते चलें कि 81 साल पुरानी बीकेटीसी को समाप्त कर राज्य सरकार ने वर्ष 2020 में चारधाम देवस्थानम बोर्ड को अस्तित्व में ला दिया था।

हालांकि देवस्थानम बोर्ड गठित तो कर दिया गया किंतु बोर्ड को लेकर चौतरफा विरोध के बाद सरकार ने 2021 के आखिर में बोर्ड का अस्तित्व ही समाप्त कर फिर बीकेटीसी की बहाली कर दी। सरकार ने विधान सभा चुनाव का विगुल बजने से पूर्व श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर अधिनियम 1939 के तहत रू द्रप्रयाग जनपद के अगस्त्यमुनि के अजेंद्र अजय भट्ट को अध्यक्ष तथा चमोली जिले के पांडुकेश्वर निवासी किशोर पंवार को उपाध्यक्ष की कमान सौंप दी।

इसके साथ ही चमोली के डिम्मर गांव निवासी आशुतोष डिमरी, चमोली जिले के ही क्षेत्रपाल गांव निवासी बीरेंद्र असवाल, रू द्रप्रयाग जिले के लमगौंडी के श्रीनिवास पोस्ती, उत्तरकाशी के मखवा (हरसिल) के कृपाराम सेमवाल, उत्तरकाशी के खिरसाली के जयप्रकाश उनियाल, चमोली के देवाल ब्लाक के मानमती की नंदा देवी, रूद्रप्रयाग जिले के मखेत (मयाली) के रणजीत सिंह राणा, नई दिल्ली के महेंद्र शर्मा, जोशीमठ के रविग्राम के भाष्कर डिमरी, पौड़ी जिले के पोखड़ा के पूर्व प्रमुख पुष्कर जोशी को बीकेटीसी का सदस्य नामित कर दिया गया।

इसके अलावा जोशीमठ के पूर्व पालिकाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती तथा जोशीमठ के ही आचार्य रामानंद सरस्वती को विशेष आमंत्रित सदस्य के रू प में बीकेटीसी में शामिल कर दिया गया। इस बीच विधान सभा चुनाव के चलते बीकेटीसी का विस्तार नहीं हो पाया। दरअसल बीकेटीसी में चमोली, टिहरी, उत्तरकाशी तथा पौड़ी जिला पंचायतों से एक-एक सदस्य को भी निर्वाचन के जरिए शामिल करने का प्रावधान है।

अब माना जा रहा है कि भाजपा की सरकार के रिपीट होने के चलते बीकेटीसी का विस्तार जल्द हो जाएगा। इसी तरह विधान सभा के तीन सदस्य भी बीकेटीसी में शामिल होने हैं। नई विधान सभा अस्तित्व में आ गई है तो माना जा रहा है कि जल्द विधान सभा से भी जल्द तीन सदस्य समिति में शामिल हो जाएंगे। हां, जिला पंचायतों से सदस्यों के निर्वाचन को लेकर विलंब संभव है।

ऐसा इसलिए भी कि जिला पंचायत सदस्यों के लिए सरकार को चुनाव की अधिसूचना जारी करनी होगी। इसलिए हाल फिलहाल जिला पंचायत सदस्यों का बीकेटीसी में पहुंचना संभव नहीं है किंतु विधायक जल्द बीकेटीसी का हिस्सा बन जाएंगे। वैसे 219 में जब बीकेटीसी मोहन प्रसाद थपलियाल के अध्यक्षीय नेतृत्व में गठित हुई थी तो तब जिला पंचायतों का कार्यकाल समाप्ति की ओर होने के चलते यह सब संभव नहीं हो पाया। बाद को सरकार ने चारधाम देवस्थानम बोर्ड बनाया तो इसमें जिला पंचायतों के प्रतिनिधित्व का प्रावधान नहीं किया गया।

अभी जिला पंचायतों का कार्यकाल ढाई साल करीब बचा है। इसलिए जिला पंचायतों को प्रतिनिधित्व दिया जाना संभव है। वैसे 2017 में श्रीनगर के तत्कालीन विधायक गणेश गोदियाल के अध्यक्षीय नेतृत्व वाली बीकेटीसी को भाजपा सरकार ने भंग कर दिया था। कोर्ट से स्टे मिलने के बाद कमेटी की बहाली हुई किंतु समिति आधी अधूरी हालत में ही रही। 2012 में कांग्रेस सत्ता में आई तो तब भाजपा से जुड़ी अध्यक्षीय नेतृत्व वाली कमेटी अस्तित्व में थी।

कार्यकाल पूरा होने पर गणेश गोदियाल को अध्यक्ष बनाया गया और कांग्रेस से जुड़े लोगों को सदस्य के रू प में कमेटी में शामिल किया गया। अब देखना यह है कि जिला पंचायतों से निर्वाचित होने से वाले सदस्यों के रू प में सरकार किस तरह के कदमों के साथ आगे बढ़ती है।

हालांकि श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अधिनियम 1939 के तहत 4 जिला पंचायतों को बीकेटीसी में प्रतिनिधित्व दिए जाने का प्रावधान है। अब देखना यह है कि सरकार बीकेटीसी को पूर्ण स्वरू प में कब तक विस्तारित करती है।

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