अमृतसर। पाकिस्तान में गुरुद्वारा श्री पंजा साहिब, हसन अब्दल में आयोजित होने वाले समागमों में भाग लेने के लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) 12 अप्रैल को सिख तीर्थयात्रियों के जत्थे (समूह) भेजेगी। ये जत्थे 21 अप्रैल को स्वदेश लौटेगा।
खालसा पंथ की स्थापना गुरु गोबिन्द सिंह जी ने 1699 को बैसाखी के दिन आनंदपुर साहिब में की। इस दिन उन्होंने सर्वप्रथम पाँच प्यारों को अमृतपान करवा कर खालसा बनाया तथा तत्पश्चात् उन पाँच प्यारों के हाथों से स्वयं भी अमृतपान किया।
एसजीपीसी के सचिव मोहिंदर सिं ने बुधवार को बताया कि विशेष रूप से, पहले सिख तीर्थयात्रियों के जत्थे को 11 अप्रैल से 20 अप्रैल तक पाकिस्तान में गुरुधाम (सिख मंदिरों) की यात्रा के लिए निर्धारित किया गया था, लेकिन कार्यक्रम में बदलाव किया गया है। सिख तीर्थयात्रियों का जत्था 14 अप्रैल को गुरुद्वारा श्री पंजा साहिब में खालसा पंथ स्थापना दिवस के मुख्य समागम में शामिल होने के लिए 12 अप्रैल को पाकिस्तान के लिए रवाना होगा। सचिव ने बताया कि जत्था 12 अप्रैल को श्री पंजा साहिब पहुंचेगा और 14 अप्रैल को श्री पंजा साहिब में मुख्य सभा में भाग लेने के बाद, यह श्री ननकाना साहिब के लिए प्रस्थान करेगा।
पंद्रह अप्रैल को श्री ननकाना साहिब में मत्था टेकने के बाद, जत्था 16 अप्रैल को गुरुद्वारा सच्चा सौदा साहिब पहुंचेगा। इसके बाद, सिख जत्था 17 और 18 अप्रैल को गुरुद्वारा देहरा साहिब, लाहौर और गुरुद्वारा श्री दरबार साहिब, श्री करतारपुर साहिब जाएंगे। 19 और 20 अप्रैल को एमिनाबाद में गुरुद्वारा रोढ़ी साहिब जाएंगे।
सिख जत्था 21 अप्रैल को सिख धर्मस्थलों में पूजा करने के बाद भारत लौट आएंगे। सिंह ने कहा कि कोविड-19 महामारी को देखते हुए तीर्थयात्रियों के लिए स्वास्थ्य विभाग के दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है।
उन्होंने कहा कि प्रस्थान से 72 घंटे पहले कोविड-19 निगेटिव रिपोर्ट के अलावा कोविड-19 के खिलाफ टीके की दोनों खुराक पाकिस्तान जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए अनिवार्य हैं और एसजीपीसी इसकी व्यवस्था कर रही है। उन्होंने कहा कि एसजीपीसी स्वास्थ्य विभाग के समन्वय से नौ और 10 अप्रैल को अमृतसर में एसजीपीसी कार्यालय में एक कोविड-19 परीक्षण शिविर का आयोजन कर रही है और सिख जत्थे के साथ पाकिस्तान जाने वाले तीर्थयात्री इस शिविर के दौरान अपना परीक्षण करवा सकते हैं।