नयी दिल्ली। देश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए ग्राम प्रधानों को केंद्र सरकार जागरुक करेगी। 750 जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान हैदराबाद द्वारा आयोजित, प्राकृतिक खेती पर मास्टर प्रशिक्षकों के लिए आनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ आज कृषि मंत्री तोमर ने किया।
तोमर ने कहा कि मैनेज को आजादी के अमृत महोत्सव के हिस्से के रूप में अप्रैल से अगस्त तक देश में 30 हजार ग्राम प्रधानों के लिए 750 जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने का काम सौंपा गया है। प्राकृतिक खेती पद्धति किसानों के लिए काफी फायदेमंद है। तोमर ने कहा कि देश में परंपरागत प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहल की है।
प्राकृतिक खेती के महत्व को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री के नेतृत्व में गत 16 दिसंबर को गुजरात में प्राकृतिक खेती पर एक वृहद राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें लाखों किसान जुड़े थे। प्राकृतिक खेती बाहरी आदानों पर किसानों की निर्भरता को कम करने, खेती की लागत घटाने तथा किसानों की आय बढ़ाने का आशाजनक साधन है।
सरकार पारंपरिक स्वदेशी प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) की उपयोजना के रूप में भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (बीपीकेपी) को बढ़ावा दे रही है। आगामी दिनों में प्रशिक्षित मास्टर ट्रेनर देशभर में 30 हजार ग्राम प्रधानों के लिए 750 जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने के साथ ही अपने-अपने राज्यों में प्राकृतिक खेती की पहल को आगे बढ़ाने में सहयोग करेंगे।
कुल 4.09 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को प्राकृतिक खेती के तहत कवर किया गया है। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2022-23 के बजट में भी घोषणा की गई है। राज्यों में विश्वविद्यालयों में प्राकृतिक खेती संबंधी पाठ्यक्रम को शामिल करने को लेकर कमेटी बनाई गई है।
कृषि मंत्री ने कहा कि पहले देश में एक कालखंड ऐसा था, जब खाद्यान्न का अभाव था, तब उत्पादन बढ़ाने के लिए अनुसंधान और रसायनों का उपयोग किया गया लेकिन वह तब की जरूरत थी, आज कृषि उत्पादन एवं निर्यात की दृष्टि से भी हमारा देश बहुत अच्छी स्थिति में है। केंद्र सरकार काफी प्रयास कर विभिन्न योजनाओं के माध्यम से कृषि और किसानों को आगे बढ़ाने के लिए मदद कर रही है।
सरकार चाहती है कि हम आयात पर निर्भर नहीं रहे बल्कि निर्यात में हमारी महारत बढ़ती रहे। प्राकृतिक खेती पद्धति बढ़ने के साथ इसमें गाय सहित पशुओं का उपयोग बढ़ेगा, जिससे किसानों को लाभ होगा। सरकार ने कृषि को आधुनिक तकनीकों से जोड़ने की पहल की है, जिसमें राज्यों का सहयोग लिया जा रहा है, वहीं 6865 करोड़ रुपये खर्च कर हर ब्लाक में नए कृषक उत्पादक संघ (एफपीओ) बनाए जा रहे हैं, जो कुल दस हजार बनेंगे।
इनके माध्यम से किसानों का ज्ञान बढ़ेगा, वे नई तकनीकों का उपयोग कर सकेंगे, महंगी फसलों की ओर आकर्षित होंगे व उपज की गुणवत्ता बढ़ेगी, जिससे उनकी आमदनी में इजाफा होगा। उन्होंने सभी मास्टर ट्रेनर्स से अनुरोध किया कि वे प्राकृतिक खेती संबंधी सरकार की महत्वपूर्ण पहल को विभिन्न तरीकों से आगे बढ़ाने के लिए प्राण-प्रण से जुटें।
प्रारंभ में कृषि सचिव मनोज अहूजा, संयुक्त सचिव प्रियरंजन तथा मैनेज के महानिदेशक डॉ. पी. चंद्रशेखर ने भी संबोधित किया। मैनेज द्वारा सवा दो सौ मास्टर ट्रेनर्स को प्राकृतिक खेती का परिचय-सिद्धांत और व्यवहार विषय पर आनलाइन प्रशिक्षण दिया जाएगा, जो पंद्रह अगस्त के पहले संपन्न होगा।