नैनीताल। सरकारी मेडिकल कालेज में रेगिंग जैसे महत्वपूर्ण प्रकरण में सुशीला तिवारी मेडिकल कालेज की ओर से जवाब पेश नहीं किया गया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ ने इसे गंभीरता से लेते हुए कालेज प्रशासन को जवाब पेश करने के लिये 20 अप्रैल तक की अंतिम मोहलत दे दी है।
सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि कालेज परिसर में सीसीटीवी कैमरों ने पूरी तरह से काम करना शुरू कर दिया है। कॉलेज में 18 सीसीटीवी कैमरे नये लगाये गये हैं और 91 को दुरूस्त किया गया है। इससे रैगिंग पर रोक लग सकेगी।
अदालत ने कालेज प्रशासन के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि समाचार पत्रों में रैगिंग के आरोपी छात्रों पर 5000 का अर्थदंड लगाने की बात कही गयी है। दूसरी ओर याचिकाकर्ता सचिदानंद डबराल की ओर से रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए मामले की विस्तृत जांच की मांग की गयी लेकिन अदालत याचिकाकर्ता की मांग से सहमत नजर नहीं आयी।
अंत में अदालत ने कालेज को जवाब पेश करने के लिये 20 अप्रैल तक की मोहलत दे दी। इसी महीने की शुरूआत में सुशीला तिवारी मेडिकल कालेज में तालिबानी शैली में रैगिंग का मामला सामने आया था। लगभग दो दर्जन से अधिक छात्रों का सिर मुंडवाकर उन्हें गर्दन झुकाकर चलने को मजबूर किया गया था।
रेगिंग का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने पर कालेज प्रशासन में हड़कंप मच गया। कोटद्वार निवासी सचिदानंद डबराल की ओर से नौ मार्च को इस मामले में उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग की गयी।
अदालत की ओर से इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कुमाऊं मंडल के आयुक्त दीपक रावत व पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) डा. नीलेश आनंद भरणे को प्रकरण की जांच सौंप दी गयी।
जांच टीम की ओर से कालेज में रेगिंग की बात तो कही गयी लेकिन दोषियों को लेकर कुछ नहीं कहा गया। जांच टीम की ओर से अज्ञात लोगों के खिलाफ हल्द्वानी में मामला भी दर्ज करा लिया गया।