नयी दिल्ली । उच्चतम न्यायालय ने ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी रुजीरा बनर्जी की ईडी के समन के खिलाफ दायर याचिका पर शीघ्र सुनवाई की स्वीकृति दे दी। मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और वरिष्ठ अधिवक्ता ए. एम. सिंघवी द्वारा बनर्जी दंपति की याचिका पर शीघ्र सुनवाई की गुहार स्वीकार कर ली।
याचिकाकर्ता ने ईडी द्वारा भेजे गए समन तथा इस पर रोक लगाने से दिल्ली उच्च न्यायालय के इनकार के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है। ईडी ने पश्चिम बंगाल के सांसद अभिषेक बनर्जी तथा उनकी पत्नी को 21 और 22 मार्च को दिल्ली में पूछताछ के लिए पेश होने के लिए समन जारी किया था।
तृणमूल कांग्रेस नेता बनर्जी दंपति ने ईडी के समन खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जहां उन्होंने अपने पक्ष में दलील देते हुए कहा था कि चूंकि वे पश्चिम बंगाल के निवासी हैं, लिहाजा उन्हें ईडी द्वारा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पेश होने के लिए नहीं बुलाया जाना चाहिए। उच्च न्यायालय ने उनकी दलीलों से असहमति व्यक्त करते हुए उनकी याचिका 11 मार्च को खारिज कर दी थी।
इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत का रुख किया था। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष श्री सिब्बल ने याचिका को शीघ्र सुनवाई के लिए आवश्यक बताते हुए इसे सूचीबद्ध करने की गुहार लगाई तथा कई दलीलें दीं। उन्होंने कहा कि यह मामला धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों की व्याख्या से संबंधित है। इसमें पीएमएलए और आपराधिक प्रक्रिया संहिता के बीच परस्पर क्रिया शामिल थी।
इस याचिका में उठाए गए सवाल महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह ईडी के समन से उत्पन्न हुआ है। न्यायमूर्ति रमना ने वरिष्ठ वकील श्री सिब्बल की दलीलें सुनने के बाद कहा, ‘हम इस पर गौर करेंगे।याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि केन्द्र की सत्ता में बैठी भारतीय जनता पार्टी की पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में हार के बाद ईडी के माध्यम से उन्हें (अभिषेक दंपति को) प्रताड़ति करने का प्रयास किया जा रहा है।
याचिकाकर्ता ने केंद्र की सत्ताधारी भाजपा पर ‘राजनीतिक उत्पीड़न’ का आरोप लगाते हुए कहा कि वे कोलकाता में ईडी समक्ष पेश होने को सहमत हैं लेकिन उन्हें दिल्ली बुलाया जा रहा है। याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय एजेंसी ने कोलकाता में याचिकाकर्ताओं से पूछताछ करने का प्रयास नहीं किया।
इसके अलावा ईडी ने यह अभी भी स्पष्ट नहीं है किया अगर वह उनसे कोलकाता में कार्यालय में पूछताछ करती है तो उन्हें किन बाधाओं का सामना करना पड़ेगा। याचिका में कहा गया है, ईडी का यह रवैया “न केवल क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है, बल्कि इसके परिणामस्वरूप बेतुके परिणाम और स्थितियां भी उत्पन्न हो सकती हैं, जिसमें भारत में किसी भी राज्य में स्थित एजेंसी के अधिकारी किसी भी अन्य राज्य में रहने वाले किसी भी व्यक्ति को बिना किसी ठोस आधार के बुला सकते हैं।