त्रिवेंद्र के कार्यों से उत्तराखंड में पुन: लौटी भाजपा

ममता सिंह

नयी दिल्ली। उत्तराखंड में भाजपा की सरकार बन गई है। इसमें दो राय नहीं कि सरकार नहीं बदलने का यदि मिथक इस बार टूटा है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वजह से ही।

गढ़वाल से कुमाऊं तक मोदी की सभाओं ने इस कदर जादू बिखेरा की सरकार की सारी नाकामियां ढंक गईं और भाजपा विधानसभा चुनाव में 47 सीटें पाने में कामयाब हो गई, जबकि पूरी तरह से फार्म में दिख रही कांग्रेस को महज 19 सीटों पर संतोष करना पड़ा।

इसके पीछे सबसे बड़ा कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही रहे। लोगों ने मोदी की नीतियों पर भरोसा किया। उत्तराखंड में इन पांच सालों में धामी के अलावा तीरथ सिंह रावत और त्रिवेंद्र सिंह रावत भी मुख्यमंत्री रहे।
तीरथ सिंह रावत को सरकार चलाने के लिए काफी कम समय मिला। हां, सर्वाधिक कार्यकाल त्रिवेंद्र सिंह रावत का रहा। त्रिवेंद्र चार साल तक मुख्यमंत्री रहे। इस दौरान हर क्षेत्र में अनगिनत विकास कार्य हुए हैं।

चाहे महिला सशक्तिकरण का मामला हो या फिर प्रदेश के विकास को लेकर रणनीति का। यह दौर उत्तराखंड के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जैसा रहा। यदि सही तरह से विश्लेषण किया जाए तो पाएंगे कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कई ऐतिहासिक कदम उठाए जिसने पहाड़ की महिलाओं को सशक्त और स्वावलंबी बनाने की दिशा में कार्य किया।

राजनीतिक विश्लेषकों का भी मानना है कि इन चार सालों में रिकॉर्ड काम हुए हैं, जिसकी वजह से भी लोगों ने खासकर महिलाओं ने भाजपा के पक्ष में वोट दिया ।
हालांकि, अब तो विधानसभा चुनाव के परिणाम भी आ चुके हैं। और भाजपा दोबारा सरकार बनाने जा रही है। लेकिन यदि वाकई में 2024 लोकसभा चुनाव फतह करना है तो सरकार को जमीनी कसरत अभी से युद्ध स्तर पर काम करना होगा।

ढुलमुल तरीके से नहीं, बल्कि सतत गति से कार्य करने होंगे, वरना भविष्य में दिक्कत आ सकती हैं। उत्तराखंड में लोकसभा की पांच सीटें हैं और वर्तमान में सभी पर भाजपा का कब्जा है। यदि दोबारा इन पांचों सीटों पर भाजपा कब्जा करना चाहती है तो उसे ईमानदारी से अपना काम करना होगा।

मुख्य रूप उत्तराखंड सरकार को स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में काम करना होगा। इसके अलावा आय के स्रोत को बढ़ाने होंगे। इस क्रम में पर्यटन, आयुष और ऊर्जा जैसे विभागों को और ज्यादा सशक्त करना होगा।

व्यक्तिगत स्वार्थ को त्याग कर प्रदेश हित को तवज्जो देना होगा। उत्तराखंड की भाजपा सरकार को स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल और बिजली जैसी महत्वपूर्ण चीजों को और अधिक दुरुस्त करना होगा।

अब तो फिर उत्तराखंड में डबल इंजन की सरकार है। केंद्र और राज्य पोषित योजनाओं को सही समय पर क्रियान्वित करके प्रदेश को तरक्की के मार्ग पर लाया जा सकता है। इसके लिए मेहनत और ईमानदारी के साथ काम करना होगा। राज्य स्तर पर बनने वाली योजनाओं को बनाते समय पहाड़ को ध्यान में रखकर काम करना होगा।

पहाड़ी प्रदेश में मैदान की योजनाएं लाभकारी कभी भी नहीं हो सकती हैं। इसलिए प्रदेश का विकास किस तरह से और किस दिशा में करना चाहिए, इसके लिए रणनीति बनानी होगी। हवा हवाई योजनाओं से उत्तराखंड को कोई लाभ पहुंचने वाला नहीं है।

हमें खुद ही अपने बूते पर प्रदेश को मजबूत करना होगा। जन कल्याणकारी योजनाओं को सही मायने में धरातल पर उतारना होगा। कई मामलों में तो दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करना होगा। खुशहाली आएगी इसके लिए सभी को प्रयास करना होगा।
बहरहाल, बीते विधानसभा चुनाव से यह बात स्पष्ट हो गई है कि यदि मोदी मैजिक नहीं चला होता तो भाजपा दूसरी बार सत्ता तक नहीं पहुंच पाती। आज दोबारा भाजपा सत्ता पर काबिज है तो इसके लिए लोगों में मोदी के प्रति आस्था है।

लोगों को यकीन है मोदी सरकार विकास को तवज्जो देती है। इसलिए न चाहते हुए भी लोगों ने उत्तराखंड में कमल को खिलाया है। अब राज्य सरकार को विकास की दिशा में ईमानदारी के साथ कार्य करना होगा।

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