- राशन और राम ने दिया योगी को होली गिफ्ट
- पंजाब में केजरीवाल के दिल्ली मॉडल ने कर दिया कमाल
कृति सिंह
नई दिल्ली/लखनऊ।पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम आपके सामने हैं। सबसे ज्यादा उत्सुकता उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव और पंजाब चुनाव के नतीजों पर थीं। अब साफ है कि यूपी में योगी आदित्यनाथ लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने का रेकॉर्ड बनाने जा रहे हैं। वहीं पंजाब कांग्रेस मुक्त राज्यों के फेहरिस्त में शामिल हो गया है।
अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने यहां बड़ा खेल कर दिया है जिसके आसार 2017 में ही बन गए थे। तब एग्जिट पोल के नतीजे सही साबित नहीं हुए लेकिन इस बार भगवंत मान का शपथ लेना तय हो गया है। जब पांचों राज्यों में प्रचार चरम पर था तब नेताओं ने लोगों के सामने वादों के पिटारे खोल दिए थे। अगर वादों का नकदीकरण कर दें तो पाएंगे कि सबसे ज्यादा का वादा करने वाले चुनाव हार गए।
प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश की लड़कियों को स्कूटर, कोरोना प्रभावित परिवार को 25000 रुपए और 20 लाख नौकरियों का वादा किया था। पार्टी रसातल में है। समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने प्रियंका से दो लाख और ज्यादा नौकरियों का वादा किया।
समाजवादी पेंशन बढ़ाने, फ्री बिजली और ओल्ड पेंशन स्कीम देने का वादा किया। आम आदमी पार्टी ने एक कदम बढ़कर हर परिवार से एक व्यक्ति को नौकरी का वादा दे दिया। पर लोगों ने इसे झांसा ही समझा। हां, अरविंद केजरीवाल के दिल्ली से मिलते जुलते मॉडल में पंजाब ने जरूर भरोसा जताया।
चुनाव नतीजों से स्पष्ट है कि लोगों ने कोरे वादों को किनारे रख दिया। मीडिया की जबरदस्त पैठ के चलते गांव-गांव के लोगों को पता है कि कौन से वादे निभाए जा सकते हैं और कौन से नहीं। लिहाजा मतदाताओं ने वास्तविकता का साथ दिया।
नहीं तो बेरोजगारी को मुख्य मुद्दा बनाकर लड़े तेजस्वी यादव 2020 में ही बिहार चुनाव जीत लेते जब उन्होंने भी 20 लाख सरकारी नौकरियों का वादा किया था। टीवी सेट देकर चुनाव जीतने का मॉडल वैसे भी दक्षिण भारत तक ही सीमित रहा है। उत्तर की राजनीति में पार्टी की विचारधारा भी काम आती रही है। इस लिहाज से उत्तर प्रदेश में योगी के सोशल मॉडल ने बाजी मार ली।
पंजाब में अरविंद केजरीवाल के मॉडल पर लोगों ने भरोसा जताया। वो इसलिए कि केजरीवाल ने दिल्ली में सरकार चलाकर उस मॉडल को अमली जामा पहनाया है जिसे विपक्ष ने मुफ्त या सस्ती राजनीति भी करार दिया। हालांकि ये नुस्खा यूपी में काम नहीं आया क्योंकि न ही विचारधारा लोगों को करीब ला सकी और न ही ख्याली पुलाव पर भरोसा रहा। यही हाल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का रहा।
वोटरों ने चुकाया राशन के साथ नमक का कर्ज
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के पन्ना प्रमुखों की ताकत ने पार्टी के हिंदुत्व और सबका साथ-सबका विकास के नारे को घर-घर तक पहुंचाया। दूसरी ओर योगी आदित्यनाथ ने दीपोत्सव पर जिस तरह के रामराज्य की अवधारणा को सामने रखा उसे गरीबों ने जीया भी। रामलला के भव्य मंदिर का शिलान्यास हो चुका है।
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर सच्चाई है। जनता के लिए कोई वादा नहीं। इसी तरह योगी ने दीवाली के मौके पर ही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को होली तक के लिए बढ़ा दिया। अंत्योदय के तहत गरीब से गरीब परिवार को 25 किलो अनाज के अलावा योगी ने एक किलो कुकिंग आयल और एक किलो नमक-चीनी भी बांटा।
यूपी के 15 करोड़ परिवारों को योगी ने जो दिवाली गिफ्ट दिया था उसका रिटर्न गिफ्ट होली से पहले जनता ने दे दिया है। कोरोना कुप्रबंधन का आरोप झेलने वाले योगी ने सूबे के पांच करोड़ मजदूरों को दो महीने एक-एक हजार रुपए की नकद आर्थिक सहायता पहुंचाई।
इसके अलावा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से भी नियत समय पर किसानों को साल में छह हजार रुपए की सहायता मिलती रही। एक्सप्रेस वे, मेडिकल कॉलेज, एयरपोर्ट ने शहरों में तो इन लोक कल्याणकारी योजनाओं ने गांवों में योगी को बढ़त दिलाई। महिलाओं और युवाओं ने ठोक दो की नीति अपनाने वाले योगी के लॉ एंड आर्डर मॉडल को पसंद किया।