देहरादून। भले ही भाजपा ने 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सत्तारुढ़ दल की सरकार दोबारा न आने का मिथक ध्वस्त कर दिया है। जीत के बाद अब 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी के जुटने की बात हो रही है। मगर विधानसभा चुनाव के नतीजे बता रहे हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए तराई में भाजपा के लिए खतरे की घंटी बज गई है।
प्रदेश में हर लोकसभा क्षेत्र में 14 विधानसभा क्षेत्र हैं। विधानसभा चुनाव के लोकसभा वार नतीजों पर सरसरी नजर डालें तो लोकसभा क्षेत्रों में विधानसभाओं के नजरिए से सांसदों के प्रदर्शन को आंके तो सबसे बुरी हालत तराई की लोस सीट हरिद्वार की है। हरिद्वार से मौजूदा वक्त में डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक सांसद हैं।
वह पूर्व में केंद्रीय शिक्षा मंत्री भी रहे और पूर्व मुख्यमंत्री भी लेकिन हरिद्वार लोकसभा सीट में भाजपा 14 में से आठ विधानसभा सीटें हार गई। हरिद्वार में ज्वालापुर विस सीट कांग्रेस के, भगवानपुर कांग्रेस के , झबरेड़ा कांग्रेस के , पिरान-कलियर कांग्रेस के, हरिद्वार ग्रामीण कांग्रेस के ,लक्सर व मंगलौर बसपा के, खानपुर विस सीट निर्दलीय के खाते में गई।
इसके बाद बुरी स्थिति है मौजूदा केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट की नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोकसभा सीट की जहां छह सीटें पर भाजपा जीत नही पाई। यहां हल्द्वानी, खटीमा, नानकमत्ता, जसपुर, बाजपुर और किच्छा सीटें कांग्रेस ने जीतीं। तीसरे नंबर पर बुरी स्थिति अल्मोड़ा सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र की रही है ।
यहां से पूर्व केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री अजय टम्टा सांसद हैं। इस लोस सीट में भाजपा को पांच विस सीटों पर शिकस्त मिली। यहां पिथौरागढ़, धारचूला, अल्मोड़ा, द्वाराहाट, लोहाघाट विस सीटें कांग्रेस के खाते में गईं।
बुरे प्रदर्शन में टिहरी लोकसभा क्षेत्र चौथे पायदान पर है जहां विधानसभा चुनाव में भाजपा को तीन सीटों चकराता, प्रतापनगर, यमुनोत्री पर हार का सामना करना पड़ा। चकराता व प्रतापनगर में कांग्रेस तो यमुनोत्री में निर्दलीय को जीत मिली।
सबसे बेहतर प्रदर्शन पौड़ी-गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र मे रहा जहां भाजपा ने 14 में से 13 विधानसभा क्षेत्रों में अपना परचम लहराया। वहां भाजपा ने केवल एक यानी बदरीनाथ सीट गंवाई। यह सीट कांग्रेस के खाते में गई।