भाजपा ने कांग्रेस के अभेद गढ़ जागेश्वर पर पहली बार हासिल की फतेह
जागेश्वर में कांग्रेस की तरकश से निकाले तीर ने ही की भेद डाली मजबूत किला
अल्मोड़ा। राज्य बनने के बाद से ही जागेश्वर सीट कांग्रेस के लिए अभेद किला बनकर सामने उभरीं। भाजपा ने पिछले चार चुनावों में कांग्रेसी किले को भेदने के लिए कई सूरमाओं को मैदान में उतारा।
अलबत्ता, कांग्रेसी दिग्गज नेता कुंजवाल के अभेद बन चुके वाल को तोड़ने में कोई भी योद्धा कामयाब नहीं हो सका। लेकिन, इस बार कांग्रेस की ही तरकश से निकले तीर मोहन सिंह मेहरा ने लगातार पांचवीं जीत के सपना संजो रहे कुंजवाल को चकनाचूर कर दिया।
भाजपा ने कुंजवाल के अभेद गढ़ में सेंधमारी करने को चेहरा बदल कर जो तुरूप का इक्का फेंका वह ठीक जगह पर जाकर लग गया।
बात करें जागेश्वर सीट की तो वर्ष 2002 के पहले चुनाव की तो कांग्रेस नेता गोविंद सिंह कुंजवाल ने ऐसा कब्जा जमाया की फिर उन्होंने कभी पीछे नहीं देखा। इसी वजह से जब जब कांग्रेस सरकार बनीं कुंजवाल को हमेशा अहम जिम्मेदारियां मिली।
वह सबसे ज्यादा चर्चा में तब रहे जब जब हरीश रावत सरकार में 2016 में राष्ट्रपति शासन लगा। वह इस समय विधानसभा अयक्ष थे। इस समय पूरे देश की नजर उन पर रही। कुंजवाल के कारण ही यह सीट वीआईपी बन गई।
बकायदा, भाजपा इस किले को मोदी लहर में भी नहीं तोड़ पाई। 2017 के विस चुनाव में वह मात्र 399 मतों से जीतने में सफल रहे। तब उन्होंने भाजपा के प्रत्याशी सुभाष पांडे को हराया।
वर्ष 2002 के पहले विस चुनाव में कुंजवाल ने भाजपा के रघुनाथ सिंह चौहान को 2322 मतों से पराजित किया। वर्ष 2007 के चुनावों में फिर कुंजवाल ने भाजपा के रघुनाथ सिंह चौहान को 1127 मतों से पराजित किया। वर्ष 2012 के विस चुनाव में इस बार भाजपा ने बच्ची सिंह को टिकट दिया।
कुंजवाल यह चुनाव अब तक के सबसे बड़े अंतर 3865 मतों से जीते। वहीं, 2022 में भाजपा नेता सुभाष पांडे का टिकट काट अभेद कांग्रेसी गढ़बन चुके जागेश्वर में पहली बार भाजपा की जीत हासिल करने की जो रणनीति बनाई वह कारगर साबित हुईं।
कांग्रेस के ही तरकश से निकले तीर ने ऐसा निशाना साधा की कुंजवाल की मजबूत वाल तकरीबन पांच हजार के अंतर से धराशाही हो गई।