देहरादून। तो फिर पहाड़ में मोदी मैजिक और लाभार्थी फैक्टर तमाम मुद्दों पर भारी पड़ा है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार और मामूली वोट प्रतिशत गिरने के बाद भारी बहुमत से दोबारा भाजपा की सरकार बनना तय है। यह बात और है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद खटीमा से चुनाव हार गए हैं।
दरअसल, इस बार के चुनाव में कांग्रेस ने जहां बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई को मुद्दा बनाने की कोशिश की वहीं भाजपा ने जहां शुरू में केंद्र सरकार और राज्य सरकार की उपलब्धियों को सामने रखा और अपनी योजनाओं से जनता को हो रहे लाभ की बात कही लेकिन बाद में भाजपा ने मोदी मैजिक पर भरोसा शुरू कर दिया। और मोदी के चेहरे को आगे रख चुनाव लडऩा शुरू किया।
तमाम अफवाहों के बीच मतदान के पास आते-आते भाजपा ने नमाज की छुट्टी और मुस्लिम यूनिवर्सिटी के मसले को मुद्दा बना हिंदुत्व का कार्ड खेलना शुरू किया। माना जा रहा है कि यह एक वजह रही कि वोटर ने अंतिम वक्त में अपना मन बदल लिया। यही नहीं मतदान में महिलाओं का हिस्सेदारी बढऩा भी भाजपा की जीत की बड़ी वजह मानी जा रही है।
यही नहीं कांग्रेस में टिकट बंटवारे की गड़बडिय़ां भी उसकी हार की एक वजह मानी जा रही है। दिलचस्प बात यह भी है कि भाजपा ने तराई से बेहतर पहाड़ में खासकर गढ़वाल में बेहतर प्रदर्शन किया है। गांवों में खासकर गरीबों को कोरोना काल में मुफ्त राशन ने भी लोगों को भाजपा के पक्ष में मतदान करने को प्रेरित किया है।
सात फीसद घट बढ़ गया है भाजपा व कांग्रेस के बीच मत प्रतिशत का अंतर
बीते चार विधानसभा चुनाव बीतते-बीतते भाजपा और कांग्रेस के बीच मतो का अंतर बहुत बढ़ गया था, लेकिन पांचवें विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच मतों का अंतर काफी घट गया है। इस बार अभी यह करीब सात फीसद ही रह गया है । इस अंतर के घटने के बावजूद कांग्रेस की सीटें 11 से बढक़र 18 ही हो सकी हैं।
जबकि 2017 के विधान सभा चुनाव बीते सभी चुनावों से अलग थे और उसमें भाजपा ने कांग्रेस को बहुत पीछे छोड़ दिया। भाजपा ने कांग्रेस से 11.02 फीसद अधिक वोट हासिल किए। कांग्रेस के लिए अब यही अंतर पाटना चुनौती था लेकिन वह इसे पाट नहीं पाई।
बताते चलें कि 2002 में जब कांग्रेस जीती तो दोनो दलों के बीच महज 1.1 फीसद का अंतर था। 2007 के विस चुनाव में भाजपा ने जीत हासिल की और भाजपा ने कांग्रेस से 2.31 फीसद अधिक वोट प्राप्त किए। 2012 के विस चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता पाई और उसे भाजपा से महज 0.65 फीसद ही वोट अधिक मिले।