मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि एक प्रभावकारी मौद्रिक नीति बनाने में संवाद की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति में प्रभावी बनाने में निर्णय क्षमता, समय और संवाद के स्वरूप की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वह नेशनल डिफेंस कॉलेज, नयी दिल्ली में व्याख्यान दे रहे थे।
दास ने अर्थव्यवस्थाओं और बाजारों में निरंतर विकास के साथ मौद्रिक नीति का संचालन काफी बदला है। अब नीति-निर्माताओं को इस बात की पहले से अधिक जानकारी है कि एक जटिल आर्थिक प्रणाली में आर्थिक इकाइयां या एजेंट एक-दूसरे से किस तरह संवाद और व्यवहार करते हैं।
उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर मौद्रिक नीति अब निर्देशात्मक और विवेकाधीन निर्णय की बजाए, कड़े नियमों पर आधारित हो गयी है। इस समय सहमति इस बात पर बनी है कि मौद्रिक नीति में नियमों और विवेक का व्यावहारिक मिश्रण होना चाहिए।
दास ने कहा, ”इस प्रक्रिया में संवाद के स्वरूप का महत्व बढ़ गया है, लेकिन यह दोहरी तलवार है बहुत ज्यादा संवाद बाजार में भ्रम पैदा कर सकता है और बहुत कम संवाद किया जाए तो केंद्रिय बैंक की नीतिगत मंशा को लेकर अटकलबाजियां चल पड़ती हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक को संवाद के मामले में बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि मौद्रिक नीति विभिन्न अपेक्षाओं के बीच तालमेल बिठाने की कला है। रिजर्व बैंक को हर समय बाजार की अपेक्षाओं को ढालना और संभालना होता है।
इसके लिए वह ना केवल कार्रवाई और फैसले करता है बल्कि उसे अपनी संवाद की रणनीति को भी पैना करते रहना पड़ता है ताकि समाज पर उसका अनुकूल प्रभाव बना रहे। यह काम निरंतर चलता रहता है और केंद्रीय बैंक संवाद की रणनीति में धीरे-धीरे सुधार करते रहते हैं।