लखनऊ । यूपी विधानसभा के चौथे चरण में मतदान प्रतिशत में आयी गिरावट चुनाव आयोग के लिये चिंता का विषय है। निर्वाचन आयोग के मोबाइल एप ‘वोटर टर्न आउट’ पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक नौ जिलों की 59 विधानसभा सीटों पर तकरीबन 61.65 फीसदी मतदान हुआ था जो 2017 के चुनाव में इन नौ जिलो में 62.55 प्रतिशत मतदान की तुलना में तकरीबन एक फीसदी कम है।
इस चरण में उन्नाव में सबसे कम 57.13 प्रतिशत वोटिंग हुयी जबकि तराई क्षेत्र में स्थित पीलीभीत में सबसे ज्यादा 67.16 फीसदी मतदान कर अन्य जिलों के लिये एक मानक स्थापित किया। अगर लखनऊ की बात करें तो 2012 से लेकर मौजूदा चुनाव तक यहां के लोगों ने मतदान के प्रति लगातार गंभीर रूख अपनाया है।
वर्ष 2012 में नवाब नगरी के 56.49 प्रतिशत लोगों ने वोट की चोट की थी जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में मोदी लहर के बीच इस संख्या में करीब दो फीसदी का इजाफा हुआ जब 58.45 फीसदी मतदाता घरों की चाहरदिवारी लांघ कर मतदान केन्द्र पहुंचे।
मौजूदा चुनाव में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के संसदीय क्षेत्र लखनऊ में मतदाताओं ने अन्य जिलों की तुलना में औसत प्रदर्शन किया मगर अपने पिछले रिकार्ड में सुधार करते हुये इस बार 60 फीसदी से अधिक मतदाता अपने पंसदीदा उम्मीदवारों के पक्ष में वोट डालने के लिये घरों से बाहर निकले। शाम पांच बजे तक लखनऊ की नौ सीटों पर मतदान का प्रतिशत 55 फीसदी के आसपास था मगर मतदान के आखिरी एक घंटे में मतदान में खासी बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी।
लखनऊ कैंट, मलीहाबाद, बख्शी का तालाब, सरोजनीनगर, मोहनलालगंज, लखनऊ पश्चिम, लखनऊ पूर्व, लखनऊ उत्तर और लखनऊ मध्य विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं की लंबी कतारें लोकतंत्र के प्रति उनकी गंभीरता को प्रदर्शित कर रही थी।
चुनाव के चौथे चरण में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी और केन्द्रीय राज्य मंत्री एवं मोहनलालगंज के सांसद कौशल किशोर के अलावा कानून मंत्री ब्रजेश पाठक, नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन, खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रणवेंद्र प्रताप सिंह और कारागार मंत्री जय कुमार सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।