बागेश्वर। विस चुनाव लड़ चुके प्रत्याशियों व उनके प्रबल समर्थकों के माथे में चिंता की लकीरें साफ दिख रही हैं परंतु पूछने पर अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। इस बार दोनों सीटों में कई बूथों में त्रिकोणीय संघर्ष होने के कारण राजनीति के धुरंधर गणितज्ञ भी असमंजस की स्थिति में हैं। आम मतदाता है कि वह कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है।
14 फरवरी को चुनाव के बाद मंगलवार को जनपद की सभी ईवीएम स्ट्रांग रूम में पहुंचकर सील कर दी गई हैं। इधर मतदान के बाद बूथ एजेंटों से भी जानकारियां प्रत्याशियों के पास पहुंच चुकी हैं। बागेश्वर सीट की बात करें तो यहां पर अधिकांश सीटों पर भाजपा व कांग्रेस के साथ ही आम आदमी पार्टी के बीच मुकाबला दिख रहा है।
जिससे कोई भी गणित लगाने की स्थिति में नहीं है। एक घाटी में एक दल के आगे आने की सूचना आ रही है तो वहीं दल दूसरे क्षेत्र में पीछे लग रहा है। जिससे उसका गणित ही बिगड़ रहा है।
इधर कपकोट सीट में भी कांग्रेस व भाजपा के बीच सीधा मुकाबला दिख रहा है। यहां पर प्रत्याशी व दल पदाधिकारी पांच से सात हजार से जीत का दावा कर रहे हैं परंतु उनके समर्थक दबी जुबान से कह रहे हैं कि कपकोट सीट में 1 से 2 हजार मतों के अंतरों से ही हार जीत होगी।
दोनों ही दलों का मानना है कि आप के भूपेश उपाध्याय ने किस क्षेत्र में किस दल के परंपरागत मतों पर सेंध मारी है यह अनुमान नहीं लगाया जा रहा है।
दोनों सीटों में भाजपा, कांग्रेस समेत आप के समर्थक जीत का दावा तो कर रहे हैं परंतु उनके चेहरे की सिकन व माथे पर चिंता की लकीरें स्पष्ट कर रहे हैं कि कोई भी दल फिलहाल यह सुनिश्चित नहीं कर पा रहा है उसकी जीत पक्की है। हालांकि राजनीति में पूर्व से गणित लगाने वाले लोगों का कहना है कि जीत जिसकी भी होगी यह समय बताएगा परंतु इतना तय है कि आप के प्रत्याशी चुनावी गणित को पलटने में अपनी भूमिका दर्शाएगी।
संजय व हरीश के बयान से कार्यकर्ता पशोपेश में
मतदान के बाद कांग्रेस के हरीश रावत व भाजपा विधायक संजय गुप्ता के बयान के बाद दोनों दल कई अर्थ निकाल रहे हैं। पूर्व सीएम हरीश रावत द्वारा सीएम न बनने पर घर बैठने की बात पर कांग्रेसी समझ नहीं पा रहे हैं कि हर बार संघर्ष करने वाले हरीश रावत ने इस बार घर बैठने की बात क्यों की।
जबकि अभी स्थिति साफ नहीं है कि कौन जीत व हार रहा है। वहीं भाजपाई भी विधायक संजय गुप्ता के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पर लगाए आरोपों से परेशान हैं कि कहीं अन्य सीटों पर भी भीतरघात तो नहीं हुआ है। इन दोनों नेताओं के बयान से भी कार्यकर्ता असहज महसूस कर रहे हैं।