लालकुआं के दो ठाकुर नेता तय करेंगे उत्तराखंड का भावी भविष्य

चुनावी घमासान के बाद अब लालकुआं में कांग्रेस के अर्जुन का रण कौशल दिखने लगा

हल्द्वानी। एक पखवाड़े के चुनावी घमासान के बाद अब लालकुआं में कांग्रेस के अर्जुन का रण कौशल दिखने लगा है। अभी तक पचास से ज्यादा भाजपा नेताओं ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है।

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इससे शुरू में पूर्व सीएम हरीश रावत के खिलाफ दिख रहा माहौल अचानक बदलने लगा है और भाजपा-कांग्रेस में रोचक मुकाबले की तस्वीर खींचने लगी है। यहां भाजपा बागी पवन चौहान भाजपा तो कांग्रेस बागी संध्या डालाकोटी अभी भी चुनावी रहस्य को गहरा कर रहे हैं।

कोई इससे भाजपा को बड़ा नुकसान मान रहा है तो कोई फिप्टी फिप्टी की बात कर रहा है। कांग्रेस और भाजपाइयों का जो भी आकलन हो दोनों बागी किसी न किसी की किस्मत बना या बिगाड़ रहे हैं।

लालकुआं में रावत की स्थिति को लेकर उत्सुक दिख रहा लोग

कुमाऊं में लोग सबसे ज्यादा लालकुआं में पूर्व सीएम हरीश रावत की स्थिति को लेकर उत्सुक दिख रहा है। यही हाल राजधानी में भी है और गढ़वाल के कई हिस्सों से भी सभी प्रमुख राजनीतिक दल हरीश की कुशल पूछ रहे हैं। इसका सीधा कारण यह चुनाव हरीश रावत की पचास साल की राजनीतिक यात्रा की जमा पूंजी का अगला सफर तय करने जा रहा है। एक तरह से हरीश और कांग्रेस के भविष्य की प्रतिष्ठा पूरी तरह से दांव पर लगी है।

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दूसरा कारण हरीश के विजय रथ को रोकने के लिए उनके राजनीतिक विरोधी एक नए तमाशे की तस्वीर खींचना चाहते हैं। तीसरा बड़ा कारण अप्रत्यक्ष रूप से हरीश कांग्रेस के सीएम के चेहरे हैं। पिछले चुनाव में दो दो जगह से हारने के बाद हरीश भी फूंक फूंक कर कदम रख रहे हैं।

यही कारण है कि हरीश ने जीत का रास्ता तय करने के लिए भाजपा शिविर में भगदड़ सी मचा दी है। पिछले एक पखवाड़े में ब्लाक प्रमुख रुपा देवी, माया कोश्यारी, ललित प्रसाद आर्य, मधु चौबे, दीपक आर्या, पूरन सिंह परिहार, सोहन लाल, मनोज मौर्या, बंशी बिष्ट, महेंद्र नेगी, अमित नेगी, शंकर जोशी, किरन जोशी ने भाजपा को छोडक़र कांग्रेस का हाथ पकड़ लिया है। आप नेता पकंज कबडवाल भी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।

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इसके अलावा कई और नाम हैं जो अन्य राजनीतिक दलों से कांग्रेस मेंशामिल हुए हैं। इससे लालकुआं में भाजपा शिविर में भगदड़ सी दिख रहीहै, लेकिन भाजपा नेता दिनेश खुल्बे का दावा है कि जो भी लोग भाजपाको छोडक़र कांग्रेस में शामिल हुए थे, उनका कोई भी जनाधार नहीं है, वेभाजपा में हासिए पर थे। यह भी सच हो सकता है, लेकिन हरीश ने अपनेअनुकूल माहौल बनाने के लिए पूरा ताना बाना एक अवैद्य चक्रव्यूह की तरह बना दिया है।

इतिहास में पहली बार वीआईपी सीट के तौर पर उभरी है लालकुआं

लालकुआं से हरीश का मुकाबला डा. मोहन सिंह से हो रहा है और राज्य गठन के इतिहास में पहली बार लालकुआं वीआईपी सीट के तौर पर उभरी है। पूर्व एवं कांग्रेस के भावी सीएम हरीश रावत के चुनाव लड़ने के कारण नेशनल मीडिया की कई टीम लालकुआं में दिन रात वोटरों का रुझान जानने की कोशिश कर रहे हैं।

कांग्रेस और भाजपा की कई टीम भी काम कर रही हैं। सबसे मजेदार स्थिति यह भी दिख रही है कि हरीश को हराने कांग्रेस तो मोहन सिंह को पहले ही विस चुनाव में पटखनी देने के लिए भाजपा के कई नेता अंदर खाने काम कर रहे हैं।

इससे भी कांग्रेस भाजपा की लड़ाई को रोचक बना दिया है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि कांग्रेस बागी संध्या डालाकोटी नामांकन वापस लेना चाहती थी, लेकिन हरीश रावत के कांग्रेस के विरोधी और भाजपा के कई नेताओं ने ऐसा नहीं होने दिया।

कांग्रेस के हरीश समर्थक अभी भी यही मानकर चल रहे हैं कि डालाकोटी पूरी तरह से भाजपा तो भाजपा बागी पवन चौहान भी भाजपा को नुकसान पहुंचा रहे हैं। जानकार इसे कम इत्तफाक रख रहे हैं।
राज्य गठन के दो विस चुनाव के बाद लालकुआं विस सीट का अभ्युदय हुआ है। इसकी सीमा हल्द्वानी, किच्छा, कालाढूंगी सितारंगज विस सीट से जुड़ी हुई हैं। पूरी लालकुआं तीन प्रमुख क्षेत्रों में विभक्त है। इसमें सबसे बड़ा इलाका बिंदुखत्ता का है। यह कांग्रेस का गढ़ माना जाता है।

इसके बाद अगला हिस्सा गौलापार, चोरगलिया का है। यहां कांग्रेस और भाजपा में हमेशा नेक टू नेक फाइट दिखती रही है। तीसरा और निर्णायक हिस्सा बरेली रोड, तीन पानी से हल्दूचौड़, मोटाहल्दू, मोदीनगर का है। यह इलाका भाजपा का अवैद्य दुर्ग माना जाता है।

पिछले दो विस चुनाव में इस सीट पर एक बार भाजपा तो एक बार निर्दलीय का कब्जा रहा है। निर्दलीय प्रत्याशी कांग्रेस बागी हरीश चंद्र दुर्गापाल सहानुभूति के रथ पर सवार होकर चुनाव जीते हैं। अब यह तीसरा विस चुनाव है। इस बार दुर्गापाल हरीश के सारथी हैं तो 2012 में कांग्रेस प्रत्याशी हरेंद्र बोरा भी हरीश के दूसरे सारथी हैं।

रणनीतिक तौर पर हरीश रावत ने ठाकुर ब्राह्मण का ब्रह्माश तैयार किया है। इसके अलावा एससी, एसटी, सिख, पूर्वांचली और मुस्लिम मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए अलग अलग नेता को जिम्मेदारी दी है तो भाजपा प्रत्याशी डा. मोहन सिंह बिष्ट बूथ और शक्ति केंद्र पर अपने चुनाव को केंद्रित किया है।

भाजपा हरेक दिन अलग अलग रणनीति बनाकर काम कर रही है तो खुद हरीश रावत राज्य के अन्य सीटों में जाने के साथ ही अधिकतम समय लालकुआं को दे रहे हैं। खुद प्रबंधन पर नजर रख रहे हैं। इससे लग रहा है कि रावत इस बार किसी भी तरह की चूक नहीं रखना चाहते हैं। इससे लालकुआं में दो ठाकुर नेताओं के बीच का चुनावी घमासान पूरे राज्य की नई तस्वीर पेश कर रहा है।

पिछले दो विस सीटों का कांग्रेस -भाजपा को मिला वोट ( प्रतिशत में)
वर्ष        पार्टी                प्रत्याशी                  मत प्रतिशत
2012   भाजपा             नवीनदुम्का               18.32
कांग्रेस             हरेंद्र सिंह बोरा           15.54
बागी कांग्रेसी    हरीश चंद्र दुर्गापाल    28.25
2017  भाजपा              नवीन दुम्का               55.65
कांग्रेस             हरीश चंद्र दुर्गापाल       21.59
बागी कांग्रेसी        हरेंद्र सिंह बोरा            18.48

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