खटीमा में धामी तो लालकुआं में कांग्रेस के भावी सीएम की प्रतिष्ठा दांव पर

कुमाऊं: डेढ़ दर्जन में आमने सामने, दस में त्रिकोणीय मुकाबला

हल्द्वानी। 2017 की विस के विपरीत इस बार कुमाऊं की चुनावी महाभारत की अभी तक की तस्वीर ने दिलच्सप मुकाबला तय कर दिया है। खटीमा में सीएम पुष्कर सिंह धामी त्रिकोणीय संघर्ष में हैं तो लालकुआं में कांग्रेस के भावी सीएम आमने सामने की लड़ाई में अपनी पचास साल की राजनीतिक प्रतिष्ठा को दांव पर लगा चुके हैं।

करीब डेढ़ दर्जन सीटों में आमने सामने तो दस सीटों में त्रिकोणीय मुकाबला चल रहा है। बाजपुर में चतुष्कोणी मुकाबले की तस्वीर उभर रही है। किच्छा, रुद्रपुर, बाजपुर, डीडीहाट, भीमताल, लालकुआं,रामनगर में बागी नई इबारत लिखने के लिए रण क्षेत्र में हैं। कुमाऊं की 29 सीटों में 241 प्रत्याशी भाग्य आजमा रहे हैं। कई सीटों में आप त्रिकोणीय मुकाबले की शक्ल देने लगी है।

करीब एक सप्ताह के चुनाव प्रचार के बाद कुमाऊं की सभी उनतीस सीटों के चुनावी मुकाबले की तस्वीर साफ होने लगी है। धारचूला में कांग्रेस प्रत्याशी हरीश धामी का भाजपा प्रत्यााशी धन सिंह धामी से सीधा मुकाबला है। नेपाल सरहद की इस सीट की लड़ाई की चर्चा पार नेपाल की दार्चूला में भी सुनाई दे रही है।

भीषण सर्दी के बीच काली नदी के पानी का प्रवाह भी उत्तराखंड के चुनावी महाभारत की तरह से घट बड़ रहा है। राज्य गठन के बाद डीडीहाट सीट पर भाजपा का एकाधिकार रहा है। इस बार काबीना मंत्री बिशन सिंह चुफाल भाजपा बागी किशन सिंह भंडारी के मैदान में डटने की बजह से त्रिकोणी मुकाबले में हैं। यहां कांग्रेस ने प्रदीप पाल पर दांव लगा है।

यहां इलाक कई तरीके से मतदाता बंटने लगे हैं। इसके इतर गंगोलीहाट सीट में कांग्रेस प्रत्याशी खजान गुड्डू और भाजपा प्रत्याशी फकीर राम के बीच कांटे का संघर्ष चल रहा है।

इस बार पिथौरागढ़ में कांग्रेस एवं भाजपा के परंपरागत प्रतिद्धंदी मैदान में हैं। भाजपा ने इस बार भी चंद्रा पंत को मैदान में उतारा है तो कांग्रेस मयूख महर के रथ पर सवार है। यहां विकास मुख्य मुद्दा है और इसके साथ ही दोनों दलों के बीच में आमने सामने की लड़ाई दिख रही है।

इस लड़ाई में आगे जाकर तस्सवीर बदलने की संभावना भी कम ही दिख रही है। ठीक इसी रह से लोहाघाट में कांग्रेस प्रत्याशी खुशाल सिंह अधिकारी और भाजपा प्रत्याशी पूरन फत्र्याल के बीच मुकाबला चल रहा है।

लोहाघाट से सटी चम्पावत सीट में एक बार फिर परंपरागत प्रतिद्धंदी भाजपा कैलाश गहतोड़ी एवं कांग्रेस प्रत्याशी हेमेश खर्कवाल के बीच आमने सामने की जंग दिख रही है।यहां आप प्रत्याशी मदन सिंह महर भी चंपावत के मैदानी भू भाग में कहीं कहीं त्रिकोणीय मुकाबला करने की ओर बढ़ रहे हैं।

अल्मोड़ा मुख्यालय की सीट में इस बार कांग्रेस प्रत्याशी मनोज तिवारी और भाजपा कैलाश शर्मा के बीच कांटे का मुकाबला दिख रहा है। दोनों कई सालों से एक दूसरे के घोर प्रतिद्धंदी रहे हैं। इसके पड़ोस की द्वाराहाट सीट पर उक्रांद प्रत्याशी पुष्पेश त्रिपाठी ने शानदार त्रिकोणीय मुकाबले की तस्वीर खींच दी है। यहां कांग्रेस से मदन बिष्ट, तो भाजपा ने युवा चेहरे अनिल शाही को मैदान में उतारा है।

सोमेश्वर में कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र बाराकोटी के चुनाव अभियान ने काबीना मंत्री रेखा आर्या के लिए यह चुनाव उसकी प्रतिष्ठा के साथ जोड़ दिया है। सल्ट में रणजीत सिंह रावत के आने के बाद भाजपा प्रत्याशी महेश जीना के बीच शानदार मुकाबला चल रहा है।

छह माह पहले ही उप चुनाव में महेश जीना ने धमाकेदार जीत हासिल की थीं। इस बार रानीखेत में भाजपा प्रयोगधर्मी बनी है। यहां डा. प्रमोद नैनवाल व कांग्रेस के करण माहरा के खिलाफ मैदान में उतारा है। दोनों में अभी से कांटे का मुकाबला चल रहा है। जागेश्वर में कांग्रेस दिग्गज गोविंद सिंह कुंजवाल की प्रतिष्ठा दांव पर है। यहां भाजपा ने कुंजवाल के किसी दौर के चुनावी प्रबंधक मोहन सिंह मेहरा को मैदान में उतार कर नए चक्रब्यूह की रचना की है।

सरयू गोमती के तटीय शहर बागेश्वर में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला चल रहा है। यहां कांग्रेस ने रणजीत दास पर दांव खेला है तो भाजपा ने चंदन दास पर ही विश्वास किया है। चंदन दास पिछले तीन विस चुनाव जीतते आ रहे हैं। एक तरह से बागेश्वर की सीट पर चंदन दास ने अंगद की तरह से पैर जमा दिया है, लेकिन इस बार आप प्रत्याशी एवं खनन कारोबारी बंसत कुमार ने त्रिकोणीय मुकाबला तय कर दिया है।

शहरी इलाके में पूरा मुकाबला त्रिकोणी तो ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस और भाजपा के बीच आमने सामने का रण दिख रहा है। इससे सटी कपकोट की सीट में भी दिखने को त्रिकोणीय मुकाबला है, लेकिन यहां अभी भाजपा प्रत्याशी सुरेश गडिय़ा और कांग्रेस प्रत्याशी ललित फस्र्वाण के बीच कांटे का मुकाबला चल रहा है। सुरेश पहली बार मैदान में हैं तो फस्र्वाण एक बार विधायक रहने के बाद 217 में पराजय झेल चुके हैं। आप ने यहां से पिछले विस चुनाव में बसपा से मैदान में डटे भूपेश उपाध्याय पर दांव खेला है।

इस बार पूर्व सीएम हरीश रावत के लालकुआं से मैदान में उतरने से नैनीताल की सभी छह विस सीट रोचक मुकाबले की तस्वीर पेश कर रही हैं। लालकुआं में रावत भाजपा के नए चेहरे डा. मोहन सिंह बिष्ट से दो दो हाथ कर रहे हैं तो यहां भाजपा बागी पवन चौहान भी लालकुआं नगरीय क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबले की तस्वीर खींच रहे हैं। कांग्रेस भी अपने बागी संध्या डालाकोटी से जूझ रही है।

गौलापार में संध्या की कुछेक बूथों में अच्छी पकड़ बतायी जा रह है। यहां के रण में पूर्व सीएम हरीश रावत अर्जुन की तरह से चुनावी संग्राम में कांग्रेस के तारणहार बने हुए हैं। हल्द्वानी में तो कांग्रेस और भाजपा के परंपरात प्रतिद्धंदी मैदान में हैं।

यहां कांग्रेस ने दिवंगत डा.इंदिरा हृदयेश के पुत्र सुमित को मैदान में उतारा है तो भाजपा ने महापौर डा. जोगेंद्रपाल सिंह रौतेला को मैदान में उतारा है। बसपा, सपा और आप ने भी चुनावी संग्राम की नई इबारत लिखने की कोशिश की है। मुख्य मुकाबला तो कांग्रेस और भाजपा में है,लेकिन मुस्लिम इलाकों में वोट आपसे में बंटने की स्थिति में हैं।

इससे सटी कालाढ़ूगी सीट में भी मुकाबला आमने सामने का दिख रहा है। यहां अपने के भाग्यवादी कहने वाले काबीना मंत्री बंशीधर भगत को इस बार कांग्रेस प्रत्याशी महेश शर्मा खुली चुनौती दे रहे हैं। यह सीट अस्तित्व में आने के बाद अभी तक भाजपा के ही कब्जे में रही है।

यहां से बागी मैदान में उतरे गजराज को भाजपा ने मना लिया है , लेकिन इसके वाबजूद भाजपा को कई इलाकों में अंसतुष्टों को भी साधने की चुनौती मिल रही है। इसके पड़ोसी सीट रामनगर में भाजपा ने दीवान बिष्ट पर ही दांव खेला है तो कांग्रेस ने इस बार 1989 में सांसद बने डा. महेंद्र पाल सिंह को मैदान में उतारा है।

पहले कांग्रेस ने यहां से पूर्व सीएम हरीश रावत को मैदान में उतारा था,लेकिन रणजीत सिंह रावत के अड़ जाने के कारण पूर्व सांसद को यहां भेजा गया है। इससे नाराज कांग्रेस बागी संजय नेगी त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति पैदा करने में लगे हैं, लेकिन इसके वाबजूद अभी तक मुकाबला आमने सामने का ही दिख रहा है।

नैनीताल में इस बार दिलच्सप मुकाबला चल रहा है। यहां भाजपा ने ठीक चुनाव के दिनों कांग्रेस में शामिल हुई सरिता आर्या को टिकट थमाया है तो कांग्रेस ने संजीव आर्य को चुनावी मुकाबले में उतार कर रोमांचक लड़ाई पैदा कर दी है। आप ने यहां से कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा के सिपहसालार हेम आर्या को टिकट दिया है।

इसके वाबजूद यहां अभी तक आमने सामने का ही रण दिख रहा है। इसके पड़ोस में भाजपा बागी मनोज साह और लाखन सिंह नेगी ने भाजपा प्रत्याशी राम सिंह कैड़ा का दम निकाल दिया है। यहां लड़ाई इतिहास दोहराने की दिख रही है। 217 में कांग्रेस बागी राम सिंह कैड़ा ने कांग्रेस की राह रोक ली थी तो इस बार कैड़ा की राह रोकने के लिए बागी नई इबारत लिखने की कोशिश क रहे हैं। यहां कांग्रेस ने दान सिंह बिष्ट को मैदान में उतारा है। आप प्रत्याशी सागर पांडे भी सभी के वोट बैंक में सैध लगा रहे हैं।

इस बार तराई की नौ सीटों में कांटे का मुकाबला चल रहा है। इसकी तस्दीक खटीमा सीट कर रही है। यहां सीएम पुष्कर सिंह धामी त्रिकोणी मुकाबले में हैं। कांग्रेस ने भुवन कापड़ी को मैदान में उतारा है तो आप से एसएस कलैर भी चुनावी फिंजा बदल रहे हैं। बसपा से रमेश राणा भी मैदान में हैं। अब तक की चुनावी तस्वीर में किसी दिन कोई तो किसी दिन कोई आगे निकल रहा है।

इसके पड़ोस की सीट नानकमत्ता में भी त्रिकोणी मुकाबला है। यहां कांग्रेस ने गोपाल सिंह राणा, भाजपा डा. प्रेम सिंह राणा तो आप ने आनंद सिंह राणा को मैदान में उतारा है। यहां बागी भाजपा मुकेश राणा ने त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया है। सितारंगज में भाजपा प्रत्याशी विजय बहुगुणा के रथ को रोकने के लिए बसपा प्रत्याशी नारायण पाल ने शाम, दाम, दंड भेद के साथ घेरना शुरू किया है तो कांग्रेस ने किसानों की नाराजगी को भजपा के खिलाफ करने के लिए किसान नेता नवतेज पाल को मैदान में उतारा है।

यहां कांटे का त्रिकोणय मुकाबला चल रहा है। इससे सटी किच्छा सीट में भी आमने सामने का मुकाबला चल रहा है। यहां कांग्रेस ने तिलकराज बेहड़ पर दांव खेला है तो भाजपा ने राजेश शुक्ला पर ही विश्वास किया है। भाजपा को यहां बागी अजय तिवारी की नाराजगी भी झेलनी पड़ रही है। पिछले चुनाव में इस सीट पर शुक्ला ने तत्कालीन सीएम हरीश रावत को हरा दिया था।

किच्छा की तरह से ही रुद्रपुर में भाजपा को पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल के बागी तेवर से लहुलूहान कर दिया है। ठुकराल बागी लड़ रहे हैं, जबक भाजपा ने शिव कुमार अरोड़ा पर दांव खेला है। कांग्रेस ने मीना शर्मा को मैदान में उतारा है। यहां अभी कांग्रेस, भाजपा और बागी ठुकराल के बीच त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा है। इससे सटी गदरपुर में भी त्रिकोणीय मुकाबला चल रहा है।

यहां से शिक्षा मंत्री अरविंद्र पांडे तो कांग्रेस ने प्रेमानंद महाजन पर दांव खेला है। आप ने जरनैल सिंह काली को मैदान में उतारकर शानदार त्रिकोणीय मुकाबला तय कर दिया है। बाजपुर में तो चतुष्कोणीय मुकाबला दिख रहा है। यहां से कांग्रेस ने यशपाल आर्य को मैदान में उतारा है तो भाजपा ने परंपरागत प्रतिद्धंदी राजेश कुमार को टिकट दिया है। आप ने कांग्रेस से नाराज सुनीता टम्टा बाजवा को टिकट दिया है। यहां भाजपा बागी विजय पाल भी मैदान में हैं।

इससे कई इलाकों में मुकाबला चतुष्कोणीय हो गया है। काशीपुर में भी इस बार अलग तरह की लड़ाई दिख रही है। यहां कांग्रेस ने कुंवर नरेश चंद्र बाबा को टिकट दिया है तो भाजपा ने त्रिलोक सिंह चीमा को मैदान में उतारा है। आप ने दीपक बाली को टिकट देकर मुकाबला त्रिकोणी बना दिया है। इससे सटी जसपुर में भी त्रिकोणीय मुकाबला चल रहा है।

यहां कांग्रेस के आदेश चौहान, भाजपा डा.शैलेंद्रमोहन सिंघल के साथ ही आप प्रत्यशाी युनूस सिद्दीकी को मैदान में उतार कर रोचक मुकाबला बना दिया है।तराई और भाबर के साथ ही पहाड़ों की करीब एक दर्जन सीटों में कांग्रेस, भाजपा को अपने ही भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं।

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