नयी दिल्ली । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अगले वित्त वर्ष में प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 44 हजार करोड़ रुपए की लागत से 80 लाख बनाने की घोषणा की है।
श्रीमती सीतारमण ने मंगलवार को आज संसद में वित्त वर्ष 2022-23 का बजट प्रस्तुत करते हुए कहा कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में 80 लाख मकानों का निर्माण किया जाएगा। ये मकान शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बनाये जाएगें।
उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्र की नीतियों, क्षमता सृजन, नियोजन, क्रियान्वयन, प्रशासन के बारे में सिफारिशें करने के लिए जाने-माने शहरी नियोजकों, शहरी विकास विशेषज्ञों तथा संस्थानों की एक उच्च स्तरीय समिति बनाने का प्रस्ताव किया है, ताकि शहरी विकास में मूलभूत परिवर्तन लाया जा सकें।
बजट में आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय के लिए 76549.46 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि शहरी नियोजन का सामान्य दृष्टिकोण जारी नहीं रखा जा सकता, क्योंकि भारत में 2047 तक लगभग आधी आबादी शहरी क्षेत्रों में रहने लगेगी।
इसकी तैयारी के लिए व्यवस्थित शहरी विकास महत्वपूर्ण है। इससे देश की आर्थिक क्षमता का उपयोग किया जा सकेगा, जिसमें जनसांख्यिकीय लाभ के लिए आजीविका संबंधी अवसर भी आते हैं।
इसके लिए एक ओर जहां हमें मेगा-सिटीज के पोषण की जरूरत है, आस-पास के क्षेत्रों को आर्थिक विकास के वर्तमान केन्द्रों के रूप में विकसित करने की आवश्यकता हैं ।
द्वितीय और तृतीय श्रेणी शहरों में सुविधा प्रदान किए जाने की जरूरत है, जिससे कि इनको भविष्य के लिए तैयार किया जा सके। वित्त मंत्री ने कहा कि शहरों को जीवन विकास केन्द्र के रूप में देखने की आवश्यकता है, जिसमें सभी के लिए विशेषकर महिलाओं और युवाओं के लिए अवसर उपलब्ध हों।
उन्होेंने कहा कि शहरी क्षमता निर्माण के लिए राज्यों को सहायता दी जाएगी। भवन संबंधी उपनियमों के आधुनिकीकरण टाउन नियोजन योजनाएं और परिवहन उन्मुखी विकास लागू किया जाएगा। इससे जन परिवहन व्यवस्थाओं के साथ लोगों के रहने और निकटता से कार्य करने संबंधी सुधार होंगे।
सार्वजनिक परिवहन परियोजनाओं और अमृत योजना के लिए दी जाने वाली केंद्र सरकार की वित्तीय सहायता का लाभ कार्य योजनाओं को तैयार करने और उनका कार्यान्यवन करने और राज्यों द्वारा टाउन नियोजन योजनाएं और परिवहन उन्मुखी विकास को बढ़ावा दिया जाएगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि शहरी नियोजन और डिजाइन में भारत विशिष्ट ज्ञान विकसित करने और इन क्षेत्रों में प्रमाणित प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए, विभिन्न क्षेत्रों में पांच मौजूदा शैक्षिक संस्थाओं को उत्कृष्टता केंद्रों के रूप में विकसित किया जाएगा। इन केंद्रों को प्रत्येक के लिए 250 करोड़ रुपए की निधि दी जाएगी।