तो क्या बेटियां ले पाएंगी पिताओ की हार का बदला

कोटद्वार में पूर्व सीएम बीसी खंडूड़ी की बेटी ऋतु खंडूड़ी सुरेंद्र सिंह नेगी का मुकाबिल

  • हरिद्वार ग्रामीण में पूर्व सीएम हरीश रावत की बेटी अनुपमा का यतीश्वरानंद से मुकाबला

देहरादून। 2022 के विधानसभा चुनाव में क्या बेटियां अपने-अपने पिताओं की हार का बदला ले पाएंगी। चुनावी समर में यह सवाल मुंह बाए है। दरअसल, कोटद्वार सीट से भाजपा ने ऋतु खंडूड़ी को अपना प्रत्याशी बनाया है। इसी कोटद्वार सीट से 212 में ऋतु के पिता मेजर जनरल भुवन चंद्र  खंडूड़ी ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था। वे उस वक्त भाजपा के पोस्टर ब्वॉय थे व मुख्यमंत्री थे।

लेकिन कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह नेगी से उन्हें शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था। इस हार की वजह से भाजपा सत्ता से वंचित हो गए थी। अब देखना है कि यमकेश्वर सीट से विधायक और कोटद्वार प्रत्याशी ऋतु को कांग्रेस प्रत्याशी सुरेद्र सिंह नेगी से अपने 2012 में अपने पिता की हार का बदला ले पाती हैं या नहीं।

दूसरा मामला है कांग्रेस के पूर्व सीएम हरीश रावत से जुड़ा। 2017 के चुनाव में भाजपा के यतीश्वारनंद ने हरीश रावत को हरिद्वार ग्रामीण सीट बुरी तरह पराजित किया था। इस बार हरीश रावत ने बेटी अनुपमा कांग्रेस के टिकट पर भाजपा के यतीश्वरानंद के खड़ा किया है। देखना है कि अनुपमा अपने पिता की हार का हिसाब चुकता कर पाची हैं। ऐसा ही एक मामला और है जहां काशीपुर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी नरेंद्र सिंह के पास अपने पिता की बीस साल पहले महज 195 वोटों से हुई हार का बदला लेने का मौका है। 2002 के चुनाव में भाजपा-अकाली गठबंधन के प्रत्याशी हरभजन सिंह चीमा ने कांग्रेस प्रत्याशी केसी सिंह बाबा को हराया था। इस बार भाजपा ने विधायक चीमा के पुत्र त्रिलोक को प्रत्याशी बनाया है तो कांग्रेस ने बाबा के पुत्र नरेंद्र सिंह पर दांव खेला है। 2002 में दोनों के पिता आमने-सामने थे तो इस बार दोनों के पुत्र आमने सामने हैं।

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