पिथौरागढ़ : देखना दिलचस्प होगा किस करवट बैठेगा ऊंट

डीडीहाट में लगातार छठी बार कैबिनेट मंत्री चुफाल और पिथौरागढ़ में दोबारा विधायक चंद्रा पंत की राह नहीं होगी आसान

पिथौरागढ़। जनपद की चारों विधानसभा सीटों पर भाजपा के प्रत्याशियों की घोषणा होने के साथ ही चुनावी माहौल गरमा गया है। उम्मीदवारों की घोषणा से भाजपा के साथ ही प्रतिद्वंद्वी खेमों में भी चुनावी गहमागहमी बढ़ गई है और जीत-हार व नफा-नुकसान का हिसाब किताब तेज हो गया है। जिले में भाजपा ने अपने दो उम्मीदवारों को रिपीट किया है, जबकि दो विधानसभा सीटों पर कैडीडेट बदल दिये हैं।
जिले में चार विधानसभा सीट है, इनमें जिला मुख्यालय की पिथौरागढ़ विधानसभा सीट से भाजपा ने पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत की पत्नी और वर्तमान विधायक चंद्रा पंत को दोबारा टिकट दिया है। चंद्रा पंत अपने पति कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत के असामयिक निधन के बाद रिक्त हुई सीट पर चुनाव लड़ा था, तब मध्यावधि चुनाव में उन्होंने कांग्रेस की अंजू लुंठी को लगभग ढाई हजार मतों के अंतर से पराजित किया था। इस सीट पर तब कांग्रेस के प्रमुख चेहरे और पूर्व विधायक मयूख महर चुनाव नहीं लड़े थे।

इस बार मयूख महर भी लगातार सक्रिय हैं और कांग्रेस से उनका टिकट तय माना जा रहा है हालांकि कांग्रेस ने अभी अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किये हैं, लेकिन महर को टिकट मिलने की स्थिति में पिथौरागढ़ सीट पर मुकाबला दिलचस्प होने की संभावना है वहीं भाजपा ने चंद्रा पंत को दोबारा टिकट देकर जिले में महिला कोटा तो पूरा किया ही है, यह भी दर्शाया है कि चंद्रा पंत के मुकाबले इस सीट पर फिलहाल कोई दूसरा मजबूत दावेदार नहीं है हालांकि भाजपा के कई दूसरे नेताओं ने भी टिकट की दावेदारी की थी, जो कि लंबे समय से विधायकी के टिकट की दौड़ में थे, परंतु उन सब पर विधायक चंद्रा पंत की दावेदारी भारी पड़ी है।

इन परिस्थितियों में उनके सामने भीतरघात की समस्याएं भी आ सकती हैं और विपक्ष से भी मजबूत चुनौती मिल सकती है, जिनसे चंद्रा पंत को पार पाना आसान नहीं होगा।पिछले दिनों से प्रदेश में चर्चा का विषय रही डीडीहाट विधानसभा सीट पर भाजपा ने अपने पुराने चेहरे और कैबिनेट मंत्री बिशन सिंह चुफाल को ही लगातार छठी बार प्रत्याशी बनाया है। राजनीति के माहिर खिलाड़ी चुफाल छक्का मारने के इरादे से एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं।

इस सीट पर पहले से ही उनका टिकट पक्का माना रहा था। क्योंकि उनके मुकाबले भाजपा का कोई दूसरा मजबूत उम्मीदवार भी नहीं था और वह लगातार पांच बार से चुनाव जीत रहे थे। टिकट के मामले में उनको टक्कर दे सकने वाले किशन भंडारी पहले ही भाजपा से बाहर हो गए थे हालांकि भंडारी लंबे समय से जनता के बीच सक्रिय हैं और अब तक उनकी दावेदारी निर्दलीय के तौर पर ही नजर आ रही है वहीं कांग्रेस से पूर्व विधानसभा प्रत्याशी प्रदीप पाल ही मुख्य तौर पर डीडीहाट सीट पर सक्रिय नजर आ रहे हैं और पिछले चुनावों में भी उन्होंने ठीक ठाक वोट हासिल किया था ऐसे में कैबिनेट मंत्री चुफाल के लिए भी जीत का छक्का लगाने की राह इतनी आसान नहीं रहने वाली है।

इधर कुछ दिनों से चुनावी गलियारों में यह चर्चा भी है कि पूर्व मुख्यमंत्री और उत्तराखंड कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत भी डीडीहाट सीट से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं यदि ऐसा हुआ तो चुनावी समीकरण एकदम बदल जाएंगे और यह सीट इस चुनाव में प्रदेश की हॉट सीटों में शुमार हो जाएगी।
धारचूला सीट पर भाजपा ने वर्तमान ब्लॉक प्रमख धन सिंह धामी पर दांव खेला है। भाजपा के पूर्व सांगठनिक जिले डीडीहाट-धारचूला और मुनस्यारी के पूर्व जिलाध्यक्ष धन सिंह धामी लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं और क्षेत्र में उनका एक अच्छा जनाधार बताया जाता है।

पिछले विस चुनाव में भाजपा ने यहां से स्वामी वीरेंद्रानंद पाल को टिकट दिया था, जो काफी समय से प्रदेश में धार्मिक क्रियाकलापों में भी सक्रिय हैं और इस बार भी टिकट के दावेदार थे हालांकि सुनने में आ रहा है कि टिकट कटने के बावजूद वह निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं। धारचूला सीट पर कांग्रेस से टिकट के मजबूत दावेदार वर्तमान विधायक हरीश धामी माने जा रहे हैं, जिनकी क्षेत्र में अपनी एक छवि है वहीं आप और अन्य दलों के प्रत्याशी भी चुनावी जीत के दांवपेंच में उलझे हैं।

जिले की चौथी तथा आरक्षित विधानसभा सीट गंगोलीहाट में इस बार वर्र्तमान विधायक मीना गंगोला का टिकट कट गया है। बीजेपी ने उनके बजाय फकीर राम टम्टा को अपना चेहरा बनाया है। टिकट कटने से मीना गंगोला के समर्थक निराश हैं, जबकि राजनीतिक हलकों में दबी जुबान से पहले से चर्चा थी कि गंगोलीहाट विधायक गंगोला का टिकट इस बार कट सकता है।

बताया जा रहा है कि पार्टी-संगठन तथा नेतृत्व उनके कामकाज से संतुष्ट नहीं थे और आखिरकार पार्टी ने यहां पूर्व दर्जा मंत्री फकीर राम को प्रत्याशी घोषित किया है। देखना होगा कि फकीर राम किस तरह प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों और अंदरखाने की चुनौतियों से पार पाते हैं।

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