कुमाऊं में पुराने महारथियों पर ही भाजपा को है भरोसा 

हल्द्वानी । तमाम अटकलों का विराम लगाते हुए भाजपा ने 59 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है। इसके साथ ही सीएम पुष्कर सिंह धामी के खटीमा और बंशीधर भगत के कालाढूंगी से चुनाव लडऩे का रास्ता भी साफ हो गया है।

इस सूची में पार्टी ने अधिकतर पुराने दिग्गजों पर भरोसा किया है तो बहुत अधिक विवादास्पद विधायकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इसमें बलवंत सिंह भौर्याल, मीना गंगोला, महेश नेगी हैं।

कांग्रेस से आयी सरिता आर्या पर भी भाजपा ने भरोसा जताया है तो अप्रत्याशित तौर पर अल्मोड़ा विधायक रघुनाथ सिंह चौहान ( डिप्टी स्पीकर) का पत्ता साफ कर दिया है। पार्टी ने पहली सूची में रानीखेत, लालकुआं, जागेश्वर,रुद्रपुर एवं हल्द्वानी के टिकट जारी नहीं किए हैं। इसमें हल्द्वानी सीट पर भाजपा की कांग्रेस पर नजर है तो शेष अन्य सीटों पर अभी तक सहमति नहीं बन पायी है।

बृहस्पतिवार दोपहर को दिल्ली में जारी सूची में पार्टी जातिगत, महिला, पिछड़ा, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति का समीकरण नहीं साध पायी। पार्टी ने सरकार के खिलाफ पनपा जन अंसतोष पर विराम लगाने की भी कोशिश नहीं की। पार्टी कुछेक सीटों पर जनविरोधी लहर को थामने के लिए नए चेहरे उतार सकती थर। इससे टिकट के दावेदारों को भारी निराशा हुई है।

इसमें सबसे ज्यादा कालाढूंगी की सीट है। इस सीट पर आरएसएस से राजनीति में आए सुरेश भट्ट, गजराज सिंह बिष्ट, सुरेश तिवारी, मनोज पाठक चुनाव लडऩा चाहते थे। पार्टी ने पुराने चावलों पर ही विश्वास कर एक बार फिर बुर्जुग बंशीधर भगत को टिकट थमा दिया है। यहां भाजपा नया प्रयोग कर सकती थीं।
इस सूची की चौंकाने वाली बात अल्मोड़ा विधायक रघुनाथ सिंह चौहान की जगह कैलाश शर्मा को टिकट देने की है। कैलाश शर्मा पहले भी विधायक रह चुके हैं। वे 2017 में भी टिकट के प्रबल दावेदार थे,लेकिन डिप्टी स्पीकरण चौहान का टिकट काटने से सभी को चौंकाया है।

इसी तरह से पार्टी ने नेपाल सरहद की विस धारचूला में 2017 के रनअप स्वामी वीरेंद्रानंद पाल की जगह धन को टिकट देकर कुछ नया संदेश देने की कोशिश की है। शायद पाल को लोगों के बीच में काम न करने की सजा दी गई होगी। इसके बगल में डीडीहाट में एक बार फिर काबीना मंत्री बिशन सिंह चुफाल पर भरोसा किया है। पिथौरागढ़ में पार्टी फिर चंद्रा पंत के कंधों पर भार डाल चुकी है,लेकिन इससे सटी सीट गंगोलीहाट में विधायक मीना गंगोला का पत्ता साफ कर दिया है।

पार्टी ने यहां से एक पुराने और परंपरागत नौकरशाह को चुनाव मैदान में उतार दिया है। लोहाघाट और चम्पावत सीट पर कोई बदलाव नहीं किया गया है।
इस सूची में केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट की परंपरागत सीट पर पार्टी अभी कोई नाम तय नहीं कर पायी है। यहां से महेंद्र सिंह अधिकारी और कैलाश पंत का नाम राज्य संसदीय बोर्ड ने केंद्र को भेजा था।

अब इनमें या इनसे इतर किसी को पार्टी मैदान में उतार सकती है। द्वाराहाट विधायक महेश नेगी को एक महिला के साथ विवाद की कीमत चुकानी पड़ी है। पार्टी ने इस बार नेगी से पल्ला झाड़ कर अनिल शाही पर भरोसा जताया है। नेगी पहले कांग्रेस में थे और तब भी अनिल शाही ही दावेदार थे, लेकिन 2017 में नेगी को टिकट मिला और वे जीत भी गए।

सल्ट उपचुनाव में विजेता महेश जीना को चार माह बाद फिर चुनाव मैदान में भेजा गया है। अब दिवंगत विधायक सुरेंद्र सिंह जीना की सहानुभूति का भी सहारा नहीं होगा।
अल्मोड़ा के पड़ोसी जनपद बागेश्वर की सीट पर फिर चंदन राम दास पर ही विश्वास किया गया है तो कपकोट सीट पर सीएम पुष्कर सिंह धामी के साथी सुरेश गडिय़ा पर दांव खेला गया है। कपकोट में विधायक बलवंत सिंह भौर्याल के खिलाफ भारी जन अंसतोष देखने को मिल रहा था।

यहां से शेर सिंह गडिय़ा भी दावेदारी कर रहे थे, लेकिन चुनाव रणनीतिकारों ने नए चेहरे पर ही दांव खेला है। सुरेश गडिय़ा भी पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी के लंबे समय तक ओएसडी रहे हैं। सुरेश गडिय़ा को सीएम धामी अपना ओएसडी बनाने चाहते थे, लेकिन सुरेश गडिय़ा की राजनीतिक महत्वाकांक्षा चुनाव लडऩे की ही थी, सो अब टिकट मिल गया है।

यह सीट वैसे भी पूर्व सीएम एवं अब महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के समर्थकों की मानी जाती है सो सुरेश गडिय़ा को एक बड़ी रणनीति के तहत बड़ी जिम्मेदारी दे दी गई है।

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