- लोकतंत्र का हत्यारा और भ्रष्ट्राचारी बताकर किया विरोध
- सोशल मीडिया में भी हरक की जमकर हो रही खिलाफत
देहरादून। अचानक कांग्रेस का दामन थाम कर भाजपा को जोर का झटका देने की तैयारी कर रहे पूर्व मंत्री डा. हरक सिंह रावत का कांग्रेस में विरोध बढ़ता जा रहा है। हरीश रावत के विरोध के बाद पार्टी के कई अन्य दिग्गजों ने भी हरक पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने और लोकतंत्र का गला घोंटने वाला नेता करार देकर उनको पार्टी में लेने का विरोध किया है।
सोशल मीडिया पर भी हरक का काफी विरोध हो रहा है। विरोध करने वालों में कांग्रेस के ही कई दिग्गज जुुुड़ गये हैं।
राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा ने कहा कि यह हमारे राष्ट्रीय नेतृत्व को तय करना है। लाखों कांग्रेसी वर्कर हैं, जिन्होंने 2016 में उत्तराखंड में लोकतंत्र की हत्या होती देखा। जिन्होंने उत्तरांचल प्रदेश, मध्यप्रदेश, गोवा जैसी सरकारें गिरती देखी है।
सवाल किसी व्यक्ति के आने या जाने का नहीं है, सवाल है कि पांच साल में कांग्रेस हजारों लाखों लोगों ने कांग्रेस को सत्ता की दहलीज तक पहुंचा दिया है, अब ऐसे समय में हम लोकतंत्र के अपराधियों को ऐसे माफ नहीं किया जाना चाहिए।
प्रदीप टम्टा ने कहा कि यह बुनियादी सवाल है। 2016 में जिन लोगों ने प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता के विरोध में मुखर विरोध किया था। आज विनिविलीटी फैक्टर का सवाल नहीं है। जब सदन के भीतर लोकतंत्र की हत्या हुई, सवाल वह भी महत्वपूर्ण है। सिर्फ जीतने का सवाल ही महत्वपूर्ण नहीं होता है।
बीजेपी ने पांच साल भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद भी इन पर कोई कार्रवाई नहीं की। इसलिए वे कहना चाहते हैं कि बीजेपी और हममें क्या फर्क है। प्रदीप ने कहा कि हरक को लेने से कांग्रेस कमजोर होगी, कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटेगा।
प्रदीप ने कहा कि जिन लोगों ने कांग्रेस की सरकार गिरायी और लोकतंत्र का मजाक उड़ाया औज ऐसा क्या हो गया है कि उनमें से कुछ साथी स्वागत करने को तैयार क्यों हैं। बिना हरक सिंह के क्या कांग्रेस का काम नहीं चल रहा है। कांग्रेस के एक-एक कार्यकर्ता ने खुद पार्टी को सत्ता की दहलीज पर लाकर खड़ा कर दिया है। जब हम अपनी ताकत के दम पर सत्ता में आ रहे हैं तो एक दागदार व्यक्ति को क्यों लिया जाना चाहिए।
हरक को कांग्रेस में लेने का विरोध केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने भी किया है। मनोज रावत का कहना है कि हरक सिंह आज भ्रष्टाचार के पर्याय बन चुके हैं, भाजपा शासन में उनके भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आये। इसी वजह से भाजपा सरकार में उनकी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के साथ तानातानी भी खुलकर सामने आयी, यह बात किसी से छिपी नहीं है। इसलिए उन्हें कांग्रेस में लेने से पहले दस बार सोचा जाना चाहिए।
मनोज रावत ने तो यहां तक कहा है कि वो श्रम संविदा बोर्ड, वन व आयुष जैसे विभागों में हरक सिंंह के भ्रष्टाचार को उजागर करेंगे। उल्लेखनीय है कि हरक सिंह रावत केदारनाथ से भी टिकट मांग रहे थे।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री हीरा सिंह बिष्ट ने भी हरक सिंह को कांग्रेस में शामिल कराने के प्रयासों का विरोध किया है। बिष्ट ने भी हरक सिंह को लोकतांत्रिक मूल्यों से खिलवाड़ करने वाला एक ऐसा नेता बताया है, जो भ्रष्टाचार में लिप्त रहा।
बिष्ट ने कहा है कि ऐसे नेताओं के बल पर सरकार बनाने का सपना देखना ही लोकतंत्र का मजाक होगा। उन्होंने उम्मीद की है कि कांग्रेस हाईकमान हरक सिंह को पार्टी में शामिल करने से पहले सभी पहलुओं पर गौर करेगा।
हरीश रावत से शुरू हुआ हरक का यह विरोध निरंतर आगे भी बढ़ता जा रहा है। लैंसडौन क्षेत्र के कांग्रेस नेता रघुबीर सिंह बिष्ट ने भी हरक की संभावित एंट्री का विरोध किया है। सोशल मीडिया भी हरक के खिलाफ आ रही टिप्पणियों से भरा पड़ है। अधिकतर लोग हरक को कांग्रेस में शामिल करने का विरोध रहे हैं। ऐसे में सबकी नजर अब सोनिया दरबार पर टिकी है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस हरक को लेकर क्या फैसला लेती है।