नयी दिल्ली। केन्द्र सरकार ने अंतर राज्यीय पारेषण प्रणाली के लिए हरित ऊर्जा कॉरिडोर के दूसरे चरण को मंजूरी दी है।
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया। सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इसके तहत लगभग 10,750 सर्किट किलोमीटर पारेषण लाइन तथा सब-स्टेशनों की लगभग 27,500 मेगा वोल्ट-एम्पियर (एमवीए) ट्रांसफार्मर क्षमता को अतिरिक्त रूप से जोड़े जाने को मंजूरी दी गई है।
उन्होंने कहा ,इस योजना से सात राज्यों- गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तरप्रदेश में ग्रिड एकीकरण और लगभग 20 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा की बिजली निकासी परियोजनाओं को मदद मिलेगी।
ठाकुर ने कहा कि इस योजना को कुल 12,031.33 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से शुरू करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसमें केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) परियोजना के 33 प्रतिशत के बराबर, यानी 3970.34 करोड़ रुपये होगी।
पारेषण प्रणाली को वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक की पांच वर्ष की अवधि के दौरान तैयार किया जायेगा। उन्होंने कहा कि केंद्रीय वित्तीय सहायता से राज्यांतरिक पारेषण शुल्कों का समायोजन करने में मदद मिलेगी और इस तरह बिजली की कीमत को कम रखा जा सकेगा।
लिहाजा, बिजली के अंतिम उपयोगकर्ता को सरकारी सहयोग से फायदा पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि इस योजना से 2030 तक 450 गीगावॉट स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लक्ष्य प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।
देश में दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा में योगदान करेगी तथा कार्बन उत्सर्जन को कम करके पारिस्थितिक रूप से सतत वृद्धि को बढ़ावा देगी।उन्होंने कहा कि इससे बिजली और अन्य सम्बंधित सेक्टरों में कुशल और अकुशल, दोनों तरह के कामगारों के लिये बड़े पैमाने पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे।