आरक्षण की मानसिकता से बाहर निकले आदिवासी युवक: संगमा

शिलांग । मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा ने पूर्वोत्तर राज्यों के आदिवासी युवकों से आरक्षण की मानसिकता से बाहर निकलने और प्रतियोगिता में भाग लेने की अपील की।

संगमा ने कहा,  पूर्वोत्तर राज्यों के युवक विशेषकर आदिवासी युवको को आरक्षण की मानसिकता से बाहर निकलना चाहिए और दुनिया के साथ प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए।उन्होंने यह बात मणिपुर के माखेल में माओ छात्र संघ माखेल हेरिटेज कॉन्क्लेव के उद्घाटन के बाद कही।

माओ छात्र अपनी 88वीं वर्षगांठ मना रहा है और इस उपलक्ष्य में ‘हमारी धरोहरों को फिर जाने ‘ विषय पर एक समारोह का आयोजन किया गया था।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे युवाओं के लिए मेरा दूसरा संदेश और यह एक अवधारणा है जिसके बारे में मेरे पिता हमेशा बात करते थे, यह प्रतिस्पर्धा है। स्वर्गीय पी.ए. संगमा प्रतिस्पर्धा में विश्वास रखते थे और वह कहते थे कि पूर्वोत्तर के युवाओं, खासकर आदिवासियों को आरक्षण की इस मानसिकता से बाहर निकलने की शुरुआत करनी चाहिए और हमें आरक्षण से परे जाना चाहिए।

श्री संगमा ने कहा, “यह कहने से उनका या मेरा मतलब यह नहीं है कि आरक्षण खत्म हो जाना चाहिए, लेकिन यह मानसिकता है कि हमें बदलनी चाहिए और हमें यह महसूस करना चाहिए कि हमें एक दिन बाकी दुनिया के साथ प्रतिस्पर्धा करने की आवश्यकता होगी और तब हम यह नहीं सोच सकते कि हमें आरक्षण मिलेगा।

उन्होंने कहा, “हमें एक प्रतिस्पर्धी मानसिकता विकसित करने की जरूरत है। हमें

यह महसूस करने की जरूरत है कि अगर हम बेहतर नहीं हैं तो हम दूसरों की तरह

ही अच्छे हैं और फिर हम न केवल इस देश में बल्कि पूरी दुनिया में किसी से भी

प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं और इसलिए युवाओं की मानसिकता को बदलने की

जरूरत है और हमें उन्हें बड़ा सोचने के लिए प्रोत्साहित करना होगा।

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