उत्तराखंड : हरीश रावत के ट्वीट से अफवाहों का बाजार गर्म

देहरादून। उत्तराखंड  कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक के बाद एक तीन ट्वीट ने सनसनी फैला दी।

इन ट्वीट के बाद राजनैतिक हलकों में रावत के राजनीति से सन्यास की ओर बढ़ते कदमों की आशंका लगाई जा रही है। दिग्गज कांग्रेसी नेता ने ट्वीट कर पहले कहा कि आज सुबह एक ऐसा मन को उत्तेजित करने वाला दु:खद समाचार पढ़ा।

राज्य सरकार ने एक भोजन माता को केवल इसलिए हटा दिया है, क्योंकि वो दलित वर्ग की थी। 21वीं सदी में इस मानसिकता के साथ यदि मेरा उत्तराखंड चल रहा है तो यह बहुत-बहुत दु:खद है।इस समाचार को पढ़ने के बाद अपने चित को स्थिर करने के लिए मैंने एक घंटे का मौन व्रत रखा।

उन्होंने आगे लिखा, चाहे जितनी देर भी बैठूं, बैठूंगा। मैं गांधी बाबा से क्षमा मांगूंगा कि मेरे उत्तराखंड में ये क्या हो रहा है! श्री रावत ने एक अन्य ट्वीटट में लिखा फिर चुपके से मन के एक कोने से आवाज उठ रही है- ‘‘न दैन्यं न पलायनम्’’ बड़ी उपापोह की स्थिति में हूंँ।

नया वर्ष शायद रास्ता दिखा दे। मुझे विश्वास है कि भगवान केदारनाथ जी इस स्थिति में मेरा मार्गदर्शन करेंगे। इसके अगले ट्वीट में उन्होंने वेदना व्यक्त करते हुये कहा- ‘‘है न अजीब सी बात! चुनाव रूपी समुद्र को तैरना है। सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है।

जिस समुद्र में तैरना है, सत्ता ने वहां कई मगरमच्छ छोड़ रखे हैं। जिनके आदेश पर तैरना है, उनके नुमाइंदे मेरे हाथ-पांव बांध रहे हैं।

मन में बहुत बार विचार आ रहा है कि हरीश रावत अब बहुत हो गया, बहुत तैर लिये, अब विश्राम का समय है!’’ इन ट्वीट के बाद, राजनैतिक हलकों में चर्चा के दौर शुरू हो गया है। कोई इसे उनके राजनीति से सन्यास के रूप में देख रहा है और कोई भाजपा में शामिल होने के चश्मे  से देख रहा है।

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