श्रीनगर। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया कि बिजली कर्मचारियों की हड़ताल पर चले जाने के बाद सैन्य अभियंताओं की तैनाती से सुशासन के दावे का पोल खुल गया है।
मुफ्ती ने ट्वीट किया कि केंद्र सरकार का अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को खत्म करने के पीछे ‘आपराधिक एजेंडा’ था ताकि वे प्राकृतिक संसाधनों को ‘लूट’ सकें। उन्होंने कहा कि कश्मीर में सेना को लाने से सुशासन के दावों की पोल खुलती नजर आ रही है।
उन्होंने कहा कि सेना को इस तरह के कामों में लगाने से उनके नकली सुशासन का पर्दाफाश हुआ है। इस तरह की रणनीति और नीतियां केवल अलगाव और घुटन की भावना बढ़ायेगी। जो इस समय जम्मू कश्मीर के लोग महसूस कर रहे हैं। बिजली क्षेत्र के निजीकरण के विरोध में जम्मू कश्मीर बिजली विकास के करीब 20 हजार कर्मचारी हड़ताल पर चले गये हैं, जिस कारण से सरकार ने सेना की मदद ली है।
पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्रीय मंत्री आर के सिंह के बयान पर निशाना साधते हुृये कहा, ‘‘ मंत्री जी, सिर्फ जम्मू शहर ही नहीं जम्मू के मैदानी इलाकों में भी लोगों को बिजली संकट से जूझना पड़ रहा है। जम्मू में क्या हो रहा है, इस बारे में आप जानकारी एकत्रित करें। जम्मू कश्मीर में कश्मीर भी सम्मिलित है, आपका बयान हकीकत से परे है।
उल्लेखनीय है कि सिंह ने कहा था कि हड़ताल की वजह से कुछ जगहों पर बिजली आपूर्ति पर मामूली असर पड़ा है। उन्होेंने कहा कि जम्मू के ज्यादातर इलाकों में बिजली आपूर्ति सामान्य है, और सिर्फ 15 से 20 प्रतिशत फीडर्स ही प्रभावित हुयी है।