विजय सम्मान रैली के जरिए राहुल गांधी ने किया कांग्रेस के चुनावी अभियान का आगाज

मंचासीन पूर्व सैनिकों, शहीद सैनिकों के परिजनों व वीर नारियों को दिया पूरा सम्मान

  • संबोधन के शुरुआत में ही देश के लिए अपने परिवार की कुर्बा‘कुर्बानी’ का जिक्र पर राहुल ने हजारों परिवारों से जोड़ा रिश्ता

देहरादून । स्वर्णिम विजय दिवस पर उत्तराखंड में विजय सम्मान रैली के जरिए कांग्रेस के चुनावी अभियान का आगाज करने देहरादून पहुंचे कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने संबोधन के शुरुआत में ही देश के लिए अपने पूर्वजों की कुर्बानी का जिक्र कर उत्तराखंड के लाखों सैन्य परिवारों के मन को छूने की कोशिश की।

कहा कि मेरी दादी इंदिरा गांधी व पिता राजीव गांधी देश के लिए शहीद हुए। उत्तराखंड के कई परिवारों की तरह मेरे परिवार ने भी कुर्बानियां दी हैं। राज्य के साथ मेरा और मेरे परिवार का कुर्बानियों से जुड़ा यही रिश्ता है।

वर्ष 19७1 के भारत—पाक युद्ध में भारतीय सश सेनाओं को मिली ऐतिहासिक जीत के पचास साल होने पर आयोजित कार्यक्रम में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी की ये बातें आगामी विधानसभा चुनाव में राज्य के हजारों पूर्व सैनिकों व सैन्य परिवारों को किस हद तक अपने पक्ष में खड़ा करती है यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन एक बात साफ है कि विजय सम्मान रैली के बहाने कांग्रेस ने पूर्व सैनिकों व सैन्य परिवारों के मन को छूने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
परेड ग्राउंड में बनाए गए मंच पर राहुल गांधी के साथ मंचासीन तमाम पूर्व सैनिक, शहीद सैनिकों के परिजन व वीर नारियां भी खुद को मिल रहे इस तरह के सम्मान से गद्गद दिखे। पहले कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल और इसके बाद राहुल गांधी व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इन पूर्व सैनिकों व शहीद सैनिकों के परिजनों का शॉल आेढ़ाकर सम्मान किया। गौर करने वाली बात यह कि विजय सम्मान रैली के लिए कांग्रेस द्वारा बनाए गए मंच पर सेना के वह वरिष्ठ रिटायर अधिकारी भी दिखे जो अक्सर हर कार्यक्रम में भाजपा के साथ खड़े दिखते हैं। बहरहाल, हर किसी का यही कहना था कि आज का दिन राजनीति का नहीं बल्कि देश  के लिए अटूट विजयगाथा लिखने वाले वीर सैनिकों के शौर्य, पराक्रम व बलिदान को याद करने का है।

राजनीति नहीं सैन्य सम्मान के लिए समर्पित रहा मंच

कांग्रेस का कोई बड़ा कार्यक्रम अथवा राजनीतिक रैली हो और उसमें अव्यवस्थाएं हावी न हो ऐसा कम ही दिखने को मिलता है। पर स्वर्णिम विजय दिवस के अवसर पर बृहस्पतिवार को परेड मैदान में आयोजित विजय सम्मान रैली में इस तरह की अव्यवस्थाएं दिखने को कम ही मिली। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी व अन्य वरिष्ठ नेताओं के बैठने के लिए बनाए गए मंच पर भी सब कुछ अनुशासित रहा। इतना जरूर कि सम्मान के लिए नाम पुकारे जाने के दौरान कुछ देर अफरातफरी रही।
इस मंच पर राहुल गांधी के साथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, सदन में नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह, स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन अविनाश पांडे, प्रभारी देवेन्द्र यादव के अलावा सीमित संख्या में वरिष्ठ नेता बैठे।
वीर सैनिकों का सम्मान था इसलिए मंच पर पूर्व सैनिकों, शहीद सैनिकों के परिजनों व वीर नारियों को उचित स्थान दिया गया। कांग्रेस पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष कैप्टन (सेनि) बलबीर सिंह रावत को भी राहुल गांधी के बगल वाली कुर्सी पर बैठने का स्थान मिला। पूर्व सैनिकों के साथ परिचय करने के दौरान भी राहुल गांधी उन्हें पूरा सम्मान देते नजर आए।

मशालेदार चाय की ली चुस्की

कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने दून पहुंचकर एक आम आदमी के हाथ से बनी चाय पी। दरअसल, परेड ग्राउंड में आयोजित विजय सम्मान रैली में अपना संबोधन शुरू करने से पहले राहुल गांधी ने मंच पर बैठकर मशालेदार चाय की चुस्की ली। यह चाय एक आम चाय वाले द्वारा तैयार की गई थी। राहुल गांधी का यह अंदाज सभी को भाया।

रैली में जनरल रावत का बड़ा कट आउट

परेड ग्राउंड में हुई कांग्रेस की विजय सम्मान रैली में आयोजन स्थल पर वीर सैनिकों के गौरवशाली इतिहास से संबंधित एक प्रदर्शनी भी लगाई गई थी।
साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी, सेना के फील्ड मार्शल सैम मॉनेक शॉ, देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत व कुछ दिन पहले हेलीकाप्टर हादसे में शहीद हुए एयरफोर्स व सेना के अधिकारियों व जवानों के चित्र (फोटो) भी लगाए गए थे।
इनमें जो नौ बड़े होर्डिंग (कट आउट) लगाए गए थे उनमें एक पूर्व पीएम इंदिरा गांधी व कुछ दिन पहले हेलीकाप्टर हादसे में शहीद हुए सीडीएस जनरल बिपिन रावत का भी था। हालांकि राजनीतिक पार्टी के कार्यक्रम में जनरल रावत का बड़ा कट आउट लगाए जाने पर भाजपा व अन्य दलों ने सवाल उठाया है।

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