नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बुधवार को यहां हुई बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। करीब दो दशक की कवायद के बाद तैयार इस परियोजना की अनुमानित लागत 44 हजार 605 करोड़ रुपये है और इसे आठ वर्षों में पूरा किया जाना है।
इस परियोजना से 103 मेगावॉट पनबिजली और 27 मेगावॉट सौर ऊर्जा का उत्पादन होगा। परियोजना के क्रियान्वयन के लिए केनबेतवा लिंक परियोजना प्राधिकरण-केबीएलपीए स्थापित किया जाएगा।
परियोजना की जानकारी देते हुए सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि परियोजना से मध्यप्रदेश के छतरपुर, पन्ना और टीकमगढ़ तथा उत्तरप्रदेश के बांदा, महोबा और झांसी के प्राय: सूखे से ग्रस्त एवं पानी की कमी वाले क्षेत्रों में 10.62 लाख हेक्टेयर रकबे को सिंचाई की सुविधा मिलेगी।
परियोजना से 62 लाख लोगों को पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल ने परियोजना के लिए समर्थन के रूप में 39 हजार 317 करोड़ रुपये, सहायक अनुदान के रूप में 36 हजार 290 करोड़ रुपये और ऋण के रूप में 3027 करोड़ रुपये मंजूर किया है।
इस परियोजना से देश में नदियों को जोड़ने की अन्य परियोजनाओं का भी मार्ग प्रशस्त करेगी। परियोजना के तहत केन का पानी बेतवा नदी में भेजा जायेगा। यह दाऊधाम बांध के निर्माण तथा दोनों नदियों से नहर को जोड़ने, लोअर उर परियोजना, कोठा बैराज और बीना कॉम्प्लेक्स परियोजना के जरिये पूरा किया जायेगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि परियोजना से 10.62 लाख हेक्टेयर रकबे की वार्षिक सिंचाई हो सकेगी, लगभग 62 लाख की आबादी को पीने का पानी मिलेगा, 103 मेगावॉट पनबिजली और 27 मेगावॉट सौर ऊर्जा पैदा होगी।
परियोजना पानी की कमी से जूझते बुंदेलखंड इलाके के लिये बहुत फायदेमंद है। इससे मध्यप्रदेश के पन्ना, टीकमगढ़, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन तथा उत्तरप्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर को बहुत लाभ होगा।