इटावा। केन्द्रीय गृह अमित शाह ने सपा के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव की तारीफ कर सबको चौंका दिया है। रामगोपाल यादव के जीवन के 75 साल पूरे होने के मौके पर डा.देवी प्रसाद द्विवेदी,पुष्पेश पंत और डा.वेदप्रताप वैदिक की पुस्तक ‘राजनीति के उस पार: विचार, संघर्ष और संकल्प की हीरक यात्रा’ में अमित शाह ने अपने संदेश मे कहा ‘‘ प्रो.रामगोपाल यादव स्पष्टवादी समाजवादी है।
व्यापक व स्पष्टदृष्टि, स्पष्टवादिता और समाजवादी विचारधारा के प्रति उनकी आस्था को देखते हुए लगता है कि वे राष्ट्रीय नेता हैं। दुनिया के तमाम देशों के कानूनों की उनको गहरी समझ है। समाजवादी नेताओं की नयी परम्परा में वह अलग नजर आते हैं। सदन में मुझे कभी नहीं लगा कि वे क्षेत्रीय नेता हैं।
इस पुस्तक में अमित शाह ने स्पष्टवादी समाजवादी शीर्षक से एक आलेख लिखा है। उन्होने लिखा कि प्रो यादव आज की राजनीति की कटुता से अछूते हैं। इसीलिए वे अपनी पार्टी के बाहर भी उतने ही स्वीकार्य हैं।
राजनीतिक द्वेष, विवाद और मुद्दों पर मैंने उन्हें हमेशा राजनीति से ऊपर पाया है। समाजवाद, विचारधारा, संघर्ष और एक सांसद के तौर पर रामगोपाल का जीवन नयी पीढ़ी के लिए प्रेरक है। उन्होंने विचारधारा में रहते हुए राष्ट्रीय मुद्दों पर विवेक से काम किया है। मैं उनकी इस राजनीतिक शैली का प्रशंसक हूं।
अमित शाह ने लिखा है कि हिन्दुस्तान आज भी गांव और देहात में बसता है। इसे वही आदमी ज्यादा समझेगा जो वहां की जड़ों से उठा हो। सैफई जैसे छोटे से गांव से चली प्रो यादव की यात्रा संघर्ष की गाथा बनकर यहां तक पहुंची है। गरीब घर और कमजोर तबके में जन्म लेने वाले बालक का राजनीति में ऐसा स्थान बनाना आसान नहीं होता ।
अपने 30 साल के संसदीय जीवन से पहले उन्होंने अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत एक कालेज के शिक्षक के रूप में की थी। अमित शाह ने लिखा है कि रामगोपाल जी के आचरण में एकरूपता है। वे सादगी पसंद इंसान हैं। उनमें विचार को व्यवहार में उतारने का किसी प्रकार का संकोच नहीं है।
इस कारण वे लोगों का भरोसा जीतने में सफल रहे हैं। अपने आलेख में भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ने समाजवाद और समाजवादी आंदोलन की मौजूदा स्थिति पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने लिखा है कि समाजवाद का मतलब धर्म, जाति, क्षेत्रीयता से मुक्त भाईचारे पर आधारित समाज, जिसमें किसी का शोषण न हो लेकिन आज समाजवादी आंदोलन कहां पहुंच गया है, इस पर विचार करने की आवश्यकता है।
समाजवाद के प्रणेता डा. राम मनोहर लोहिया ने ही सबसे पहले ‘साठ सैकड़ा’ और विशेष अवसर का सिद्धांत दिया था। समाजवादी आंदोलन आखिर क्यों बिखर गया, इस पर विचार किया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संदेश में प्रो.रामगोपाल यादव के सार्वजनिक जीवन में विभिन्न पदों पर अपने दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्माण करने का जिक्र करते हुए कहा है कि जनता की भावनाओं को समझने और समाज के लिए कार्य करने का उनका उत्साह प्रशंसनीय है।
रामगोपाल यादव के व्यक्तित्व के कई आयाम रहे हैं । एक शिक्षाविद से लेकर जननेता तक के सफर में उनके संघर्षों परिश्रम और सफलताओं के ऐसे अनेक उदाहरण हैं,जो आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्वरूप है।