मोहाली: जीआईएस की कृषि में महत्वपूर्ण सहायक भूमिका है। कृषि विशेषज्ञ और शेर-ए-कश्मीर कृषि वज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन ऐसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अखलाक अमीन वानी ने यह बात कही।
वह आर्यन्स ग्रुप आफ कॉलेजेस के छात्रों से भौगोलिक सूचना प्रणाली और रिमौट सेसिंग की भूमिका‘ विषय पर आयोजित एक वेबिनार में बोल रहे थे।
डॉ. वानी ने कहा कि सूखा, बाढ़, कीड़ों के झुंड और खराब कृषि तकनीक ने सदियों से कृषि समुदाय को त्रस्त किया है।
उन्होंने कहा कि दुनिया भर में फसलों की सुरक्षा और लाभ सुनिश्चित करने के लिए सुधार किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि जीआईएस वर्षा, तापमान, फसल उत्पादन, वर्तमान और भविष्य के उतार-चढ़ाव का मैप और प्रोजेक्ट करने में सक्षम होने के कारण अविश्वसनीय रूप से सहायक है।
उन्होंने कहा कि जीआईएस ऐतिहासिक कृषि पद्धतियों के साथ मिट्टी के आंकड़ों का विश्लेषण कर सकता है ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि कौन सी फसलें बोनी हैं और कौन सी लगाई जानी चाहिए।
उन्होंने बताया कि पौधों के सर्वोत्तम लाभ के लिए मिट्टी के पोषण के स्तर को कैसे बना कर रखा जा सकता हैं।
छात्रों के सवालों के जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि जीआईएस का सबसे महत्वपूर्ण कार्य भोजन की कमी के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
यह लोगों को उस विशाल भौगोलिक डेटा की कल्पना, विश्लेषण और समझने की अनुमति देता है जिसे संग्रहित और एकत्र किया जा रहा है और अब यह आसानी से बताया जा सकता है कि कौन सी फसलें फल-फूल रही हैं और प्रदूषण और प्राकृतिक आपदाएँ किस हद तक उत्पादन में बाधा डाल सकती हैं।