अब भाजपा के सामने यशपाल के साथ आए वोट बैंक को थामने की नई चुनौती

कुमाऊं की डेढ़ दर्जन सीटों में भाजपा को उठाना पड़ सकता है भारी नुकसान

  • अब नैनीताल से दिनेश आर्या का रास्ता साफ तो कांग्रेस की सरिता के सामने संकट गहराया
हल्द्वानी। विस चुनाव(vis election) की आहट के बीच यशपाल आर्य(Yashpal Arya)की विधायक पुत्र समेत घर वापसी ने कुमाऊं की डेढ़ दर्जन से अधिक सीटों में भाजपा का चुनावी गणित गड़बड़ा दिया है। इससे सीएम जन संपर्क अधिकारी एवं वरिष्ठ भाजपा नेता दिनेश आर्य की नैनीताल से चुनाव लडऩे का रास्ता भी साफ हो गया है तो कांग्रेस महिला प्रदेश अध्यक्ष सरिता आर्या के टिकट को लेकर संशय की स्थिति पैदा हो गई है।
यशपाल के इस पैतरे से भाजपा बैकपुट में तो आ गई है और यशपाल के साथ भाजपा में आए वोट बैंक को अपने पास रखने की चुनौती भी पैदा हो गई है।  2017 के विस चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के नौ विधायकों के एक साथ भाजपा में जाने से कांग्रेस की उत्तराखंड में हार की पटकथा तय हो गई थीं। इसमें कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान यशपाल आर्य के भाजपा में जाने से हुआ था।
बागेश्वर, गंगोलीहाट, सोमेश्वर, अल्मोड़ा, चम्पावत, लोहाघाट, गंगोलीहाट, बाजपुर, नैनीताल,कालाढूंगी, गदरपुर, रुद्रपुर, किच्छा, लाल कुआं, भीमताल सीट में कांग्रेस को सीधा तो हल्द्वानी, जागेश्वर, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़,धारचूला सीट में अप्रत्यक्ष नुकसान हुआ था।
कुमाऊं में करीब 17 फीसदी से ज्यादा एससी वोटर हैं और पीसीसी प्रमुख रहने के कारण यशपाल से ब्राह्मण एवं ठाकुरों का एक बड़ा वर्ग भी कांग्रेस से छिटकर
यशपाल के साथ ही भाजपा में चला गया था।
2017 में प्रचंड बहुमत की सरकार बनाने के बाद भाजपा के रणनीतिकारों का भी कहना था कि यशपाल के भाजपा में शामिल होने से कुमाऊं में भाजपा भारी लाभ में रही। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में तो नैनीताल और भीमताल में कांग्रेस का नाम लेवा नहीं रह गया है।
अब चूंकि 2022 विस चुनाव की आहट के बीच भाजपा के सामने यशपाल के साथ छिटककर कांग्रेस से भाजपा में आए वोट बैंक को यशपाल की घर वापसी के बाद अपने पक्ष में रखने की विकट चुनौती पैदा हो गई है।
यही नहीं यशपाल के साथ भाजपा में शामिल सैकड़ों बड़े नेताओं को अपने पाले में रोक रखना भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं है।
भाजपा के एक दिग्गज नेता का कहना है कि यशपाल की कांग्रेस की वापसी के बाद पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को दूसरे दलों से आए नेताओं को अपने कैडर के नेताओं के टिकट काटकर चुनाव लड़ने के फार्मूले पर विचार करना होगा। इस नए घटनाक्रम से नैनीताल विस का चुनावी गणित भी गड़बड़ा गया है।
अब संजीव आर्य के नैनीताल से चुनाव लड़ने की स्थिति में कांग्रेस महिला विंग प्रदेश प्रमुख सरिता आर्या के सामने संकट है तो नैनीताल से 2002 से चुनाव लड़ने के इच्छुक दिनेश आर्या की राह आसान हो गई है। दिनेश अभी सीएम पुष्कर सिंह धामी के जनसंपर्क अधिकारी हैं।
कांग्रेस में यशपाल आर्य की विधायक पुत्र समेत वापसी से पूरे राज्य के कांग्रेस खुश हैं। इस घटना ने उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत से कांग्रेस सरकार बनाने की  राह आसान कर दी है। यशपाल पीसीसी प्रमुख के साथ ही कांग्रेस के हरेक कार्यकर्ता से जुड़े रहे हैं। इससे यह भी साफ हो गया है कि भाजपा में लोकतंत्र खत्म हो गया है। अब सरकार के खिलाफ जनविरोधी रुझान भी और ज्यादा बढ़ने जा रहा है।
डा. दीपक बल्यूटिया, कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता उत्तराखंड

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