देहरादून। दलित को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनते देखनेे की पूर्व सीएम हरीश रावत के मन की बात अब हरीश रावत के लिए भारी पड़ती नजर आ रही है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता उनकी घेराबंदी करते हुए चुनावों की हार का ठीकरा ऐन विधानसभा चुनाव से पहले उनके सिर फोड़ने लगे हैं।
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय का एक वीडियो आज भी सामने आया है, जिसमें उन्होंने, 2007 व 2017 में कांग्रेस की हार के कारणों की समीक्षा किए जाने की जरूरत बताई है। किशोर ने कहा है कि जितने भी चुनाव हुए उनकी समीक्षा होनी चाहिए। वे कहते हैं कि 2000 से 2002 तक जिस तरह से कांग्रेसजनों ने काम किया 2007 में समीक्षा नहीं की गयी। उसके बाद 2017 में पंचायतों व स्थानीय निकायों के चुनाव हुए और उपचुनाव हुए उनकी समीक्षा की जानी चाहिए थी, ताकि हमें पता चलता कि हम कहां कमजोर हैं और कहां मजबूत हैं।
किशोर ने पूर्व अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के द्वारा कही गयी समीक्षा की बात का समर्थन किया है और कहा है कि चुनावों में नेताओँ की भूमिका की भी समीक्षा होनी चाहिए। किशोर ने कहा है कि राजनीतिक दल अपने नेताओं पर इन्वेस्ट करते हैं।
इसलिए कांग्रेस ने सबसे ज्यादा इन्वेस्ट किया है, इसका आकलन भी पार्टी करे, उसका पार्टी को खड़ा करने में क्या योगदान रहा है, उसका विश्लेषण किया जाना चाहिए। हमें 2017 के चुनाव का परिणाम का आकलन होना चाहिए कि आखिर एेसे परिणाम क्यों आए, जिस पार्टी ने 2016 में अपनी सरकार बचायी, लोकतंत्र बचाया, सबने उसमें योगदान दिया। अगर हम उससे सीख नहीं लेंगे तो हम 2022 का सामना कैसे करेंगे।
उन्होंने कहा है कि वे उम्मीद करते हैं कि आगे सभी मिलजुल कर काम करना चाहिए। ज्ञात हो कि दो दिन पहले हरीश रावत द्वारा पंजाब से लौटने के बाद एक बयान दिया गया, जिसमें उन्होंने उत्तराखंड में दलित को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखने की बात कही थी। यहीं से कांग्रेस में यह बवाल शुरू हो गया।
दलितों को अपना स्थायी वोट मानने वाली कांग्रेस में दलितों के मुद्दे पर ऐन चुनाव से पहले शुरू हुई रस्साकशी आगे क्या रंग लाएगी यह कहना मुश्किल है, लेकिन उत्तराखंड में दलित वर्ग को नाराज करके सत्ता वापसी किसी के लिए संभव नहीं दिखता।