मेरे दामाद कश्मीर में शहीद हुए बलूनी मुझे न सिखायें देशभक्ति : हरीश 

बोले, हमने बिना बुलाये मोदी के पाकिस्तान जाने पर भी नहीं की राजनीति 

देहरादून। पाकिस्तानी जनरल को प्रा कहने पर भाजपा सांसद अनिल बलूनी के निशाने पर आये पूर्व सीएम हरीश रावत ने बलूनी पर पलटवार किया है। रावत ने अपने परिवार की सैन्य पृष्ठभूमि का उल्लेख करते हुए बताया है कि उनके अपने दामाद कश्मीर में शहीद हो चुके हैं, इसलिए उन्हें देशभक्ति का लेक्चर न देकर अपने पास ही रखें।
रावत ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि भाजपा के नेता इस तथ्य से परिचित हैं कि विभाजन के बाद जो पंजाब का जो हिस्सा पाकिस्तान में रह गया उसे भी पंजाब ही कहा जाता है। वहां रहने वालों को पंजाबी ही कहा जाता है। उन्होंने कहा है कि नवजोत सिद्धू यदि दूसरे पंजाबी व्यक्ति से (जो पाकिस्तान का जनरल है) गले मिले तो वो एक धार्मिक सुख संवाद को देने के क्रम में मिले।
गले मिले तो एक धार्मिक सुसंवाद को जो करतारपुर साहिब कॉरिडोर को खोलने के विषय में था, उसको लेकर मिले। मगर इसमें भी भाजपा को राज, उसमें भाजपा को राजनीति नजर आती है।
रावत कहते हैं कि उन्हें कोई राजनीति नजर नहीं आती है, उन्हें तब भी राजनीति नजर नहीं आई थी जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बिना बुलाए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के घर चले गये थे और वहां उनसे गले मिले थे और वहां बिरयानी का लुत्फ उठाया था। क्योंकि हर समय हम विद्वेष की नजर से ही हर किसी को नहीं देख सकते।  जहां तक रहा सवाल उत्तराखंड की सैन्य परंपरा को याद दिलाने का अनिल बलूनी को जरूरत नहीं पड़नी चाहिए। रावत ने कहा है कि उनके परिवार,
रिश्तेदारी-नातेदारी में सिपाही से लेकर ब्रिगेडियर तक विभिन्न पदों पर शोभायमान हैं। उनके भतीजे, भांजे, रिश्तेदार-नातेदार, आम उत्तराखंडी की तरह विभिन्न सैन्य पदों को सुशोभित कर रहे हैं।
रावत यह भी कहते हैं कि उन्हें इस बात का भी गर्व हासिल है कि आतंकवाद से लड़ते हुए कश्मीर में उनके अपने दामाद शहीद हुए थे।
ऐसे में उन्हें भाजपा के दोस्तों से राष्ट्रवाद और सैन्य सम्मान व सैन्य बलिदान पर कुछ लेक्चर सुनने की आवश्यकता नहीं है।

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