टोक्यो। टोक्यो पैरालम्पिक में सोमवार को 10 मीटर एयर राइफल स्टैडिंग (एसएच 1)में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतने वाली अवनी लेखड़ा को उम्मीद है कि उनकी इस स्वर्णिम कामयाबी के बाद दिव्यांग लोगों को अपने सपनों को पूरा करने का विश्वास आएगा और उन्हें यकीन होगा कि कड़ी मेहनत, सही दृष्टिकोण और संकल्प के कुछ भी असंभव नहीं है।
अवनी ओलम्पिक या पैरालम्पिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी
19 साल की अवनी ओलम्पिक या पैरालम्पिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी हैं। उन्होंने फाइनल्स में 249.6 अंकों का स्कोर कर विश्व रिकॉर्ड की बराबरी की है। अवनी में भारतीय पैरालम्पिक समिति से कहा,मैं बहुत खुश हूं और मैं इसे शब्दों में बयान नहीं कर सकती। मुझे लगता है कि मैं दुनिया में टॉप पर हूं। उन्होंने कहा ,मैं अपने इस स्वर्ण पदक को शारीरिक और मानसिक रूप से विकलांग लोगों को समर्पित करना चाहती हूं और उन्हें बताना चाहती हूं कि आप खुद पर भरोसा रखें, आप दुनिया में कुछ भी हासिल कर सकते हैं। निशानेबाज ने कहा,”मैं उन्हें विश्वास दिलाना चाहती हूं कि कुछ भी असंभव नहीं है और उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करना चाहती हूँ।
मैं ऐसा व्यक्ति बनाना चाहती हूँ जिसे देखकर लोग बोलें कि जब वह कर सकती है तो मैं क्यों नहीं।” राजस्थान विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पढ़ रही अवनी ने कहा ,मैंने एक बार में एक ही शॉट पर ध्यान दिया और अपना शत प्रतिशत प्रदर्शन किया। सफलता का मूलमंत्र सही दृष्टिकोण , सकारात्मक रहना और परिणाम या पदकों के बारे में ज्यादा सोचना नहीं है।
वेरी गुड