जनसहभागिता के चलते 1 लाख वृक्षों का हमारा संकल्प सिद्धि की ओर अग्रसर: त्रिवेन्द्र
पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र ने भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून में किया पौधरोपण ,पीपल, बरगद आदि के वृक्ष रोपे गए
देहरादून। सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, आज 24 अगस्त 2021 को आजादी का अमृत महोत्सव के तहत पौधरोपण किया गया। इस मौके पर कई लोग अपने परिसर में रोपण के लिए पौधे भी ले गए।
कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस यानि 5 जून 2021 को उन्होंने प्रदेश में एक लाख पीपल, बरगद और नीम आदि के वृक्ष लगाने का अभियान शुरू किया। पूर्व सीएम ने कहा कि जन सहभागिता के चलते उनका संकल्प सिद्धि की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि आज कई संस्थान भी हमारी इस मुहिम में सहभागी बन रहे हैं। इसके अलावा, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कमरे के तापमान बायोडीजल के प्रदर्शन को देखा और वैज्ञानिकों के साथ बातचीत की। पंकज कुमार आर्य ने आम जनता के लिए विकसित बायोमास चालान और पीएनजी बर्नर के बारे में भी जानकारी दी।
पद्म भूषण चंडी प्रसाद भट्ट ने भी हमारे वैज्ञानिकों के काम की सराहना की और कहा कि वैज्ञानिक समुदाय को हाथ मिलाकर एक बेहतर भारत के लिए मिलकर काम करना चाहिए। सीएसआईआर-आईआईपी के निदेशक डॉ अंजन रे ने सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। और उन्हें संस्थान में चल रही शोध गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कुछ प्रमुख क्षेत्रों का उल्लेख किया, जैसे। पेड़ से उत्पन्न तेल स्नेहक, अपशिष्ट प्लास्टिक से डीजल, कमरे के तापमान बायोडीजल, बायोमास कुलाह और पीएनजी बर्नर।
इस मौके पर पद्म भूषण चंडी प्रसाद भट्ट, डॉ विक्रम सिंह, निदेशक, आईएमडी, प्रोफेसर एमपीएस बिष्ट, निदेशक, यूएसएसी, श्री शमशेर सिंह पुंडीर, जिला अध्यक्ष, भाजपा, बृज भूषण गैरोला पूर्व राज्यमंत्री, पृथ्वी राज सिंह आदि ने अपने परिसर में रोपण के लिए पौधे लिये। पूर्व सीएम ने कहा कि IIP का बायो फ्यूल , बायोमास , PNG चूल्हा आदि को प्रयोगशाला के साथ साथ व्यापारिक मॉडल के रूप में भी प्रचलन हो, इस दिशा में बड़ा योगदान है।
पूर्व सीएम ने कहा कि संस्थान के द्वारा विकसित वायुमंडलनकी हवा से ऑक्सीजन को पृथक करने का सफल प्रयोग भी व्यापारिक आधार ले चुका है।
PM केअर फण्ड के द्वारा IIP देश भर में 108 ऑक्सीजन प्लांट स्थापित कर रहा है। उत्तराखंड में काशीपुर और रानीखेत दो स्थानों पर ये प्लांट विकसित किये जा रहे हैं।