आतंकवाद को किसी भी रूप में न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता : जयशंकर

नयी दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद को किसी भी रूप में न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता तथा इसके सभी स्वरूपों और अभिव्यक्तियों की निंदा की जानी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ‘अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा’ विषय पर आयोजित बैठक को संबोधित करते हुए डॉ जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद को किसी धर्म, देश , सभ्यता अथवा जातीय समूह से नहीं जोड़ा चाहिए।उन्होंने कहा, हमें आतंकवाद अथवा इसके वित्तपोषकों से कभी समझौता नहीं करना चाहिए। दुनिया को कभी भी दोहरी बात कहने वालों का विरोध करने के लिए साहस की कमी नहीं होनी चाहिए। वह भी ऐसे समय , जब सरकारी आतिथ्य उन लोगों के लिए किया जा रहा है जिनके हाथों में मासूमों का खून है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में होने वाली घटनाओं ने क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा दोनों के लिए उनके प्रभावों के बारे में वैश्विक चिंता को स्वाभाविक रूप से बढ़ा दिया है। चाहे अफगानिस्तान हो या भारत के खिलाफ , लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी समूह भय के बिना और प्रोत्साहन के साथ काम करना जारी रखते हैं।

उन्होंने आतंकवाद को खत्म करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति को जागृत करने , आतंकवाद को न्यायोचित नहीं ठहराने, आतंकवादियों का महिमामंडन नहीं करने और कोई दोहरा मापदंड नहीं अपनाने जैसी पूर्व में प्रस्तावित आठ सूत्रीय कार्ययोजना का जिक्र किया। कार्ययोजना के अन्य बिंदुओं में विशिष्टवादी सोच को हतोत्साहित करना , नयी शब्दावली से सावधान रहना, संगठित अपराध से जुड़ाव को पहचानना, और वित्तीय कार्रवाई टास्क फोर्स को समर्थन और मजबूत करना और आतंकवाद विरोधी संयुक्त राष्ट्र कार्यालय को अधिक से अधिक फंड प्रदान करना शामिल हैं।

डॉ जयशंकर ने चीन पर निशाना साधते हुए कहा,  कोविड की ही तरह आतंकवाद भी है। जब तक हम सभी सुरक्षित नहीं हैं तब तक कोई भी सुरक्षित नहीं है , लेकिन कुछ देश हमारे सामूहिक संकल्प को कमजोर करते हैं।वर्ष 2008 के मुंबई हमले, 2016 के पठानकोट एयरबेस हमले और 2019 के पुलवामा आतंकी हमले का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि भारत को अधिकाधिक आतंकवादी हमलों का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा, आतंकवाद किसी धर्म, राष्ट्रीयता, सभ्यता या जातीय समूह से जुड़ा नहीं हो सकता है और न ही होना चाहिए। 

Leave a Reply