भारत को ‘ब्रॉंज मैडल’ विजेता जीत व जीत के हीरो सिमरनजीत से नैनीताल का भी निकला खास कनेक्शन
नैनीताल में पढ़ती है बहन, उसकी कक्षा में जीत पर बजी तालियां
नैनीताल। भारत ने बृहस्पतिवार को 41 वर्षों के बाद ओलंपिक में कोई (कांस्य) पदक जीता तो पूरा देश खुशी से झूम उठा। नैनीताल में इस मौके पर खास खुशी देखी गई। खासकर नगर के सेंट मेरीज कॉन्वेंट के कक्षा-8 की इस दौरान चल रही ऑनलाइन कक्षा में बच्चे व शिक्षिकाएं ताली बजाने लगीं। कारण अपने पहले ओंलंपिक में ही देश के लिए पदक लाने वाली इस जीत के नायक रहे सिमरनजीत सिंह सेंट मेरीज की कक्षा-8 की छात्रा अनाहत कौर की सगी बुआ के लडक़े यानी भाई हैं।
सिमरन के इस करिश्माई प्रदर्शन और भारत की जीत के बाद यूपी के बहेड़ी में रहने वाली अनाहत का पूरा परिवार, उनके अधिवक्ता पिता कुलजीत सिंह अपनी बड़ी बहन यानी सिमरनजीत सिंह की मां मंजीत कौर व जीजा सरदार इकबाल सिंह के घर मझारा फार्म डूनीडाम के लिए रवाना हो गए। जहां भारत की जीत व सिमरनजीत के प्रदर्शन पर जश्न पहले ही शुरू हो गया है। कुलजीत सिंह ने बताया कि सिमरनजीत का जन्म उत्तराखंड की खटीमा से लगी यूपी की सीमा पर स्थित पीलीभीत जनपद में आने वाले गांव मझारा फार्म में हुआ है। उनका काफी बचपन अपने मामा यानी कुलजीत सिंह के बहेड़ी स्थित फार्म हाउस पर भी बीता है। यहां उन्होंने आठ वर्ष की उम्र से ही खेतों में हॉकी खेलना शुरू कर दिया था। कक्षा 6 तक यहां पढ़ने के बाद सिमरनजीत अपने ताऊ रक्षपाल सिंह के पास पंजाब के गुरदासपुर चले गए। खेलों के प्रति खासा लगाव रखने वाले रक्षपाल सिंह ही सिमरनजीत सिंह की इस सफलता के पीछे हैं, जिन्होंने उसे खेलने के लिए प्रेरित किया और आगे बढ़ाया। चीमा एकेडमी से शुरुआत करने के बाद जल्दी ही वह सुरजीत हॉकी एकेडमी जालंधर से जुड़ गए और उनकी मेहनत व लगन का परिणाम है कि आज वह भारत की जीत में नायक की भूमिका में रहे हैं।
बहुत अच्छे फिनिशर व ठंडे दिमाग के खिलाड़ी हैं सिमरनजीत
कुलजीत सिंह ने बताया, सिमरनजीत बहुत ठंडे दिमाग से हॉकी खेलते हैं। वह मानसिक रूप से भी बेहद मजबूत हैं, इसलिए कभी भी दबाव में नहीं आते हैं। इसलिए उनकी पहचान बहुत अच्छे फिनिशर की है। चाहे विरोधी टीम उनकी टीम के खिलाफ कितने भी गोल कर दे, सिमरनजीत बेहद शांत रहकर अपना प्रा.तिक खेल खेलते रहते हैं, और अपनी टीम को जीत दिला देते हैं।
सिमरनजीत का गोल हो रहा भारत की जीत में अंतर बनाने वाला गोल
सिमरनजीत सिंह ने अपने पहले ओलंपिक में खेलते हुए भी भारत के पहले मैच से लेकर अपने खेले सभी पांच मैचों में गोल किए, और खासकर बृहस्पतिवार को ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले मैच में उनके द्वारा किए गए गोल तो भारतीय हॉकी के इतिहास के लिए स्वर्णाक्षरों में दर्ज हो गए हैं। उल्लेखनीय है कि इस मैच में सिमरनजीत सिंह ने ही भारत के लिए वह तीसरा गोल किया था, जिससे टीम जर्मनी के खिलाफ 3-3 की बराबरी पर आई थी, और उन्होंने ही अपने लिए दूसरा तथा भारत के लिए वह पांचवा गोल भी किया, जिसकी बराबरी जर्मनी की टीम चौथे क्वार्टर में एक गोल करने के बावजूद नहीं कर पाई, यही गोल भारत की जीत का अंतर करने वाला गोल रहा। उल्लेखनीय है कि इससे पहले जूनियर वर्ल्ड कप में भी बेल्जियम के खिलाफ फाइनल मैच में भारत को 2-1 से जिताने में उनकी उल्लेखनीय भूमिका रही थी।