देहरादून। जहां कोविड-19 महामारी ने स्कूली शिक्षा और दैनिक जीवन के कई पहलुओं को प्रभावित किया है, वहीं कुछ बच्चों ने घर पर रहकर अपने समय का उपयोग अपनी जुनूनी परियोजनाओं को अंजाम तक पहुँचाने में लगाया है। बच्चों की इस जुनूनी लक्ष्य को हासिल कराने में उनके शिक्षकों के साथ साथ उनके अभिभावकों का भी महत्वपूर्ण योगदान है जिन्होनें कोविड लॉकडाउन के दौरान बच्चों के जुनून को और बढ़ावा दिया है। श्री जय गणेश चौधरी का नाम उन्ही छात्रों में से एक है। यूरोस्कूल वाकाड परिसर के ग्रेड 4 के इस 8 वर्षीय छात्र ने दुनिया के सबसे कम उम्र के लेखकों में से एक के रूप में अपना नाम दर्ज कराया है क्योंकि उसे अपनी पहली पुस्तक जीवाजी द ब्रेव वॉरियर आधिकारिक तौर पर क्लेवर फॉक्स पब्लिशिंग चेन्नई द्वारा जारी की गई है।
उनकी किताब एक काल्पनिक चरित्र जीवाजी के जीवन पर आधारित है जो जीव गढ़ के राजा हैं। यह अपने राज्य को शत्रुओं से बचाने के लिए प्रयासरत रहते हैं और एक निष्पक्ष और न्याय प्रिय राजा हैं। इस पुस्तक में जीवाजी की कई साहसिक और रोचक कहानियाँ वर्णित हैं। किताब की कीमत 200 रुपये है और यह आसानी से अमेज़न पर ऑनलाइन उपलब्ध है। यह पुस्तक उनके बच्चों के समूह के लिए बहुत रुचिकर होगी।
पुस्तक के विमोचन के बाद टिप्पणी करते हुए श्री जय चौधरी ने कहा, ष्मुझे इस पुस्तक को लिखने की प्रेरणा भारत के महान राजाओं और योद्धाओं की कहानियों से मिली। समाज में सभी के प्रति साहसी और दयालु होने का विचार मेरे दिल के करीब हो गया। इससे मुझे उन राजाओं के बारे में जानने में मदद मिली जिन्होंने मुझे इस किताब को लिखने के लिए प्रेरित किया। मैं अपने माता-पिता और स्कूल के शिक्षकों का आभारी हूं जिन्होंने मुझे पुस्तक लिखने के लिए लगातार समर्थन और प्रेरित किया। यह पुस्तक मुख्य रूप से बच्चों के लिए लिखी गई है। लेकिन इसे बड़े भी पढ़ सकते हैं। पिछले एक साल में मैंने अग्निहोत्र- प्रदूषण के खिलाफ एक शक्तिशाली उपाय (वैदिक अग्नि पूजा) विषय पर एक पुस्तक भी लिखी है। पुस्तक प्रकाशन के लिए किए गए सभी खर्च पिछले कुछ वर्षों में मेरी बचत से हैं। पुस्तक के प्रसारण में हमारी मदद करने के लिए मैं क्लीवर फॉक्स पब्लिशिंग-चेन्नई को भी धन्यवाद देता हूं।रेणुका दत्ता, प्रिंसिपल, यूरोस्कूल वाकड, ने बताया कि हमें बहुत खुशी है कि श्रीजय का नाम दुनिया के सबसे कम उम्र के लेखकों में से एक में शामिल किया गया है श्रीजय एक बहुत ही प्रतिभाशाली छात्र रहे हैं। उनके प्रारंभिक कक्षाओं से ही मैं उनके अंदर विकसित हो रहे लेखक को महसूस कर सकती थी जब वे कुछ अवसरों पर स्कूल द्वारा आयोजित कुछ नाटकों में भाग लेते थे। उनकी छिपी प्रतिभा को भांप कर हमने उन्हें सभी संसाधन और वातावरण प्रदान किया है, जिसके परिणाम स्वरूप श्रीजय ने अपनाये लक्ष्य हासिल कर लिया है। हम चाहते हैं कि श्रीजय और किताबें लिखें और स्कूल को गौरवान्वित करें।