टोक्यो।भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने टोक्यो ओलिंपिक 2020 के सेमीफाइनल में जगह बना ली है। कोच ग्राहम रीड और कप्तान मनप्रीत सिंह की टीम ने 49 साल बाद भारत को हॉकी के सेमीफाइनल में पहुंचाने में सफलता हासिल की है। टीम इंडिया ने आखिरी क्वार्टर फाइनल में ग्रेट ब्रिटेन को 3-1 से हराया। सेमीफाइनल में भारत की टक्कर मौजूदा विश्व चैंपियन और नंबर एक रैंक टीम बेल्जियम से होगी। भारत ने 1980 के बाद से ओलिंपिक में कोई मेडल नहीं जीता है और इस बार टीम मेडल के बेहद करीब है।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पूल स्टेज में 1-7 से मिली हार के झटके के बाद भारतीय टीम ने जबरदस्त वापसी की और लगातार 4 मैच जीतकर सेमीफाइनल का टिकट कटाया है। भारतीय टीम ने पहले दो क्वार्टर में ही बढ़त हासिल करते हुए ब्रिटेन को बैकफुट पर धकेला।इसके बाद टीम ने अगले दो क्वार्टर में भी मैच पर अपनी पकड़ बनाए रखी।टीम की फॉरवर्ड लाइन ने अगर गोल कर बढ़त दिलाई, तो डिफेंस ने, खास तौर पर अनुभवी दिग्गज गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने कुछ बेहतरीन सेव के जरिए उसे बरकरार रखने में मदद की।पहला हाफ पूरी तरह से भारत के नाम रहा, जिसमें टीम इंडिया ने दोनों क्वार्टर में एक-एक गोल किए. भारत ने पहले क्वार्टर से ही अपना हमला शुरू कर दिया और ब्रिटेन के सर्किल को भेदते हुए कई मौके बनाए. इसका फायदा जल्द ही भारत को मिला भी। 7वें मिनट में दिलप्रीत सिंह ने भारत को बढ़त दिला दी। भारत के लिए अपना 50वां मैच खेल रहे दिलप्रीत सिंह ने मैदानी गोल कर भारत को मैच में आगे किया।पांच मिनट बाद ही श्रीजेश ने एक बेहतरीन सेव से ब्रिटेन की बराबरी के मौके को रोका।
पहला क्वार्टर 1-0 से भारत के पक्ष में रहा और फिर दूसरे क्वार्टर की शुरुआत भी दमदार रही। 16वें मिनट में ही गुरजंत सिंह ने भारत की बढ़त को 2-0 कर दिया. शमशेर सिंह ने ब्रिटेन के पास को इंटरसेप्ट किया और तेजी से इसे गुरजंत की ओर सरकाया, जिन्होंने जबरदस्त गोलकर भारत को 2-0 से आगे कर दिया। दूसरा क्वार्टर का अंत भारत की 2-0 से बढ़त के साथ खत्म हुआ।
आखिरी मिनटों में ब्रिटेन के हमले बढ़ गए, लेकिन 10 खिलाड़ियों के साथ मैदान में जमी भारतीय टीम ने जबरदस्त काउंटर अटैक किया और 57वें मिनट में हार्दिक सिंह ने एक बेहतरीन गोल ठोककर भारत की बढ़त को 3-1 कर दिया। आखिरी 3 मिनटों में भारत ने ब्रिटेन को और कोई गोल नहीं करने दिया और 3-1 की जबरदस्त जीत के साथ सेमीफाइनल में अपनी जगह पक्की की।1980 के बाद भारतीय टीम पहली बार मेडल के लिए दावेदारी पेश करेगी।