देहरादून। उत्तराखंड में एक बार फिर राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है। लेकिन, इसके लिए खुद ही भाजपा का शीर्ष नेतृत्व जिम्मेदार है। भाजपा हाईकमान ने तो तीरथ सिंह रावत को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की गद्दी पर बिठा दिया लेकिन यह भूल गया कि नये मुख्यमंत्री को उप चुनाव भी लड़वाना है। यदि सल्ट उप चुनाव तीरथ लड़ लिए होते तो उत्तराखंड में इस तरह का राजनीतिक संकट पैदा ही नहीं होता।
उत्तराखंड जैसे छोटे से राज्य में बार-बार नेतृत्व परिवर्तन होना ठीक नहीं है। इससे विकास के सारे कार्य ठप्प हो जाते हैं। अफसरशाही को तो काम नहीं करने का मौका चाहिए। हालांकि, यदि भाजपा हाईकमान चाहे तो संकट का समाधान अब भी निकाल सकता है। लेकिन समाधान निकालने के बजाय भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की ‘गिद्ध’ दृष्टि तीरथ सिंह रावत की कुर्सी पर टिकी हुई है। यहां यह बताना उचित है कि तीरथ को कुर्सी से बेदखल करने में भाजपा के वही लोग शामिल हैं जिन्होंने त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटवाया था।
तीरथ सिंह रावत दिल्ली में हैं। जानकारी के मुताबिक, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से बीती रात उनकी मुलाकात हो गई है। अब नड्डा और तीरथ के बीच क्या बातचीत हुई है, इसकी पुख्ता जानकारी किसी के पास नहीं है। पर सूत्रों के मुताबिक भाजपा का एक गुट उप चुनाव के बहाने हाईकमान पर तीरथ को हटाने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है। हालांकि, राजनीति में कब क्या होगा, यह किसी को पता नहीं होता है। यदि संकट है तो समाधान भी है। इस दिशा में भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व को सोचना और समझना चाहिए।