नैनीताल। उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड परिवहन निगम के कर्मचारियों के वेतन का भुगतान मामले में तीरथ सरकार को सोमवार को मंत्रिमंडल की आपात बैठक बुलाकर मामले का हल निकालने का अनुरोध किया है और मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वह मंगलवार को इस संबंध में अदालत को सूचित करें।अदालत ने आज अवकाश के बावजूद अदालत ने इस मामले में विशेष सुनवाई की।
मुख्य सचिव ओमप्रकाश, वित्त सचिव अमित नेगी, परिवहन सचिव रणजीत सिन्हा और यूटीसी के प्रबंध निदेशक अभिषेक रोहिला अदालत में वर्चुअली पेश हुए। मुख्य सचिव की ओर से अदालत को बताया गया कि शासन ने यूटीसी को हिल लॉस के रूप में 23 करोड़ की धनराशि कल अवमुक्त कर दी है और सॉफ्ट लोन का प्रस्ताव वित्त विभाग को सौंप दिया गया है।
सिन्हा ने यह भी बताया कि फरवरी से मई तक के वेतन के भुगतान हेतु यूटीसी को प्रति महीने लगभग 17 करोड़ के हिसाब से 68 करोड़ रुपये का फंड चाहिए। मुख्य सचिव ने हालांकि कहा कि आकस्मिकता निधि (कंटीनजेंसी फंड) से इस धनराशि का भुगतान करना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। इसके लिये मंत्रिमंडल की स्वीकृति आवश्यक है। इसके बावजूद अदालत संतुष्ट नजर नहीं आयी और उसने कहा कि पिछले लंबे समय से यूटीसी के कर्मचारी वेतन की समस्या को झेल रहे हैं और सरकार इस मामले में सोयी हुई है।
अदालत ने कहा कि वेतन कर्मचारियों का मूलभूत अधिकार है और सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी भी है कि ऐसी मुश्किल घड़ी में सरकार एक कस्टोडियन के तौर पर लोगों की मदद करे। अदालत ने अपने आदेश में सरकार को उसके अधिकारों को याद दिलाते हुए संविधान की धारा 21, 23 एवं 43 की विस्तृत व्याख्या करते हुए उच्चतम न्यायालय के कपिला हिन्दूरानी बनाम बिहार सरकार समेत तीन आदेशों का हवाला भी दिया है। अदालत ने आगे कहा कि यूटीसी के हजारोें कर्मचारियों को वेतन न मिलने का मामला चारधाम यात्रा से अधिक महत्वपूर्ण है।