उपलब्धियों की सरकार!

 धर्मपाल धनखड़

हरियाणा में खट्टर सरकार के 600 दिन पूरे होने पर बधाई। इस दौरान प्रदेश बेरोजगारी के मामले में देश में नंबर वन हो गया है। सरकार ने निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय युवाओं के लिए 75 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया है। युवाओं को इसका फायदा जल्द से जल्द दिलवाने के लिए सरकार उद्योगों को विशेष रूप से बढ़ावा दे रही है। ये दीगर बात है कि सरकार की जी-तोड़ मेहनत के बावजूद पिछले दो साल में शायद ही कोई मल्टीनेशनल कंपनी हरियाणा में आयी हो।

इतना जरूर हुआ है कि पिछले कुछ साल में आई टी क्षेत्र की छोटी-बड़ी कई कंपनियां गुरुग्राम से नोएडा जरूर चली गयी हैं। इसमें सरकार का कोई दोष नहीं है। ये तो यहां से शिफ्ट होने वाली कंपनियों के मैनेजमेंट को सरकार की ओर से दी जा रही सुविधाएं समझ में नहीं आयी। ठीक उसी तरह जैसे किसानों के भले के लिए बनाये गये केंद्र सरकार के तीन नये कृषि कानूनों में किसानों को अपना ही फायदा नजर नहीं आ रहा। वैसे सरकार भी फायदे नहीं समझा पा रही है।

पूरे देश की तरह हरियाणा में भी क्राईम बढ़ रहा है। सरकार के मुताबिक क्राईम बढ़ने के पीछे सभी अपराधों की एफ आई आर दर्ज किया जाना एक बड़ा कारण है। पहले की सरकारों के समय में पुलिस रिपोर्ट ही दर्ज नहीं करती थी। यदा-कदा अब भी कुछ मामले ऐसे होते हैं जिनमें कानूनी अड़चन के चलते रिपोर्ट दर्ज करने में देरी हो ही जाती है। मुख्यमंत्री का दावा है कि प्रदेश में महिलाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं। रेप की घटनाएं तो आपसी सहमति के बाद, बात बिगड़ने से बढ़ रही है!

प्रदेश में शिक्षा की रेंकिंग में खासा सुधार हुआ है। हरियाणा शिक्षा बोर्ड के इतिहास में पहली बार दसवीं का रिजल्ट सौ फीसदी आया है। जो पिछले कई साल से फेल हो रहे थे इस बार वो भी पास हो गये हैं। इसके लिए प्रदेश के शिक्षा मंत्री विशेष रूप से बधाई के पात्र हैं। वैसे इस बार कोरोना के चलते बोर्ड की परीक्षाएं हुई ही नहीं थी। कर्मचारी भी राज्य सरकार से बेहद खुश हैं।

जबसे कोरोना के कारण उनकी वेतन वृद्धि और डी ए पर रोक लगी है, वे तमाम दूसरी मांगे भूल गये हैं। अब तो वे पहली की बजाय दस-बारह तारीख को वेतन पाकर भी संतुष्ट हैं। कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं, लेकिन भर्तियों पर रोक है। ठेके के कर्मचारियों और आउट सोर्सिंग से काम चल रहा है। हाल के दिनों में ठेके पर लगे कम्प्यूटर टीचरों के‌ मानदेय में तीन हजार रूपये की बढ़ोतरी की है, लेकिन उनका अनुबंध रिन्यू नहीं किया गया है।

किसान आंदोलन के चलते हरियाणा के विकास में काफी अड़चनें आ रही है। जहां भी मुख्यमंत्री या कोई मंत्री नयी परियोजनाओं का उद्घाटन या शिलान्यास करने पहुंचते हैं किसान विरोध करने पहुंच जाते हैं। अगर ये विरोध ना होता तो अब तक प्रदेश की सारी सड़कें पेरिस की तरह चमक रही होती। लेकिन उद्घाटन और शिलान्यास नहीं होने के कारण विकास रूक गया है। कोरोना की दूसरी लहर की तैयारियां भी इसी कारण अधूरी रह गयी। कोरोना की दूसरी लहर धीमी पड़ते ही राज्य सरकार निजी अस्पतालों की लूट रोकने के लिए जबरदस्त कार्रवाई की है। जिसके परिणाम तीसरी लहर के बाद सामने आयेंगे।

सारे देश में वैक्सीन की कमी को लेकर हो हल्ला मच रहा है, लेकिन हरियाणा में हमारे समझदार मुख्यमंत्री ने वैक्सीनेशन धीमा करके वैक्सीन की कमी को उजागर नहीं होने दिया। केंद्र सरकार ने 40 से ज्यादा आक्सीजन प्लांट मंजूर किये थे। खट्टर सरकार ने युद्ध स्तर पर काम करके कोरोना की दूसरी लहर खत्म होने से पहले चार प्लांट चालू करवाकर पीठ थपथपाने का काम किया है। उपलब्धियां तो बहुत सारी हैं, लेकिन पोस्ट लंबी होने से बचने के लिए इतना ही कहूंगा कि राज्य में लाकडाउन के दौरान पिछले साल और इस बार भी शराब बंदी होते हुए भी असली इकोनॉमी वारियर्स को किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हुई। ऐसी सरकार को पाकर हरियाणा का रोम रोम पुलकित हो रहा है।

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