- दिनोदिन बेकाबू हो रहे कोरोना के मामलों से नाजुक हो रहे हालात
- प्रशासन की ओर से स्नानार्थियों के बताए जा रहे आंकड़े भ्रमित करने वाले
पूरे देश में कोरोना की रफ्तार बेकाबू हो चुकी है। भारत में कोरोना के करीब 2 लाख से ज्यादा मामले रोजाना सामने आने लगे हैं। एक हजार से अधिक मौतें प्रतिदिन हो रही हैं। कोरोना के पॉजिटिव मामले बढ़ने के मुकाबले कोविड-19 मरीजों के ठीक होने की दर में गिरावट आई है। मृत्यु दर में भी नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। देश में नए कोरोना संक्रमितों की संख्या रोज रिकॉर्ड तोड़ रही है, देश में पहली बार सबसे ज्यादा कोरोना केस दर्ज किए गए हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 15 अप्रैल 2021 को 217,353 नए कोरोना केस आए और 1185 संक्रमितों की जान चली गई है, हालांकि 1,18,302 लोग कोरोना से ठीक भी हुए हैं। इससे पहले 14 अप्रैल 2021 को 200,739 नए केस सामने आए थे। देश भर में अब तक एक करोड़ 42 लाख 91 हजार 917 कोरोना के केस सामने आ चुके हैं, वहीं एक करोड़ 25 लाख 47 हजार 866 मरीज इलाज के बाद सही होकर डिस्चार्ज हो चुके हैं। वर्तमान समय में 15 लाख 69 हजार 743 एक्टिव (15 अप्रैल 2021 तक ) केस हैं। इसके अलावा जानलेवा कोरोना 1 लाख 74 हजार 308 लोगो की जान ले चुका हैं।
देश की राजधानी दिल्ली से लेकर गुजरात के सूरत, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ तक में श्मशान और कब्रिस्तान दोनों जगहों पर अंतिम संस्कार के लिए भीड़ लगी हुई है। कोरोना से होने वाली मौतों का आलम यह है कि दिल्ली के आईटीओ पर सबसे बड़े कोविड कब्रिस्तान में शवों को दफनाने के लिए जमीन कम पड़ने लगी है, वहीं श्मशान घाटों पर चिताएं बुझने का नाम नहीं ले रही हैं। निगमबोध घाट का आलम ये है कि शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए लोगों को कई घटों तक इंतजार करना पड़ रहा है।
देश के साथ-साथ उत्तराखण्ड के भी हालात बेहद नाजुक हो चुके हैं। उत्तराखंड में 16 अप्रैल 2021 को रिकाॅर्ड 2402 नए संक्रमित मरीज मिलने के साथ ही 17 कोरोना संक्रमितों की मौत हो चुकी गई है। अभी फिलहाल प्रदेश भर में एक्टिव केस 13 हजार से अधिक हैं। प्रदेश में अब तक कुल 1 लाख 18 हजार 646 संक्रमित मरीज आ चुके हैं, जिसमें से 100857 मरीज स्वस्थ भी हो चुके हैं। प्रदेश में अब तक 1819 मरीजों की मौत हो चुकी है। संक्रमितों की तुलना में ठीक होने वालों की संख्या कम होने से सक्रिय मामले बढ़ रहे हैं।
वर्तमान में 13546 सक्रिय मरीजों का उपचार किया जा रहा है। इस सबके बावजूद अब तक भव्य और दिव्य महाकुंभ का वैभव देखते ही बनता था, लेकिन हरिद्वार कुंभ में शामिल होने आए दो महामंडलेश्वरों की कोरोना से मौत होने और हजारों की संख्या में कोरोना पाॅजिटिव होने के बाद दो अखाड़ों ने कुंभ के समापन की घोषणा कर दी है, जिससे बाकी अखाड़ों ने नाराजगी जताते हुए ऐलान कर दिया है कि कुंभ अपने समय तक चलेगा, और जिन अखाड़ों ने कुंभ के समापन का उद्घोष किया है, यदि उन्होंने संत समाज से माफी न मांगी तो उन्हें अलग कर दिया जाएगा।
अखाड़ों और संत समाज में इस कोरोना महामारी ने दरार पैदा कर दिया है। इसके अलावा महामंडलेश्वरों की कोरोना से मौत होने और संतों के बड़ी संख्या में कोरोना पाॅजिटिव आने के बाद कुंभ नगरी बेरौनक दिखाई देने लगी है। इससे पह ले कोरोना महामारी के बीच केवल एक माह के लिए शुरू हुए महाकुंभ 2021 में आस्था का सैलाब देखने को मिल रहा था। कोरोना निगेटिव रिपोर्ट के आधार पर कुंभ आने की अनुमति होने के बावजूद लाखों श्रद्धालु शाही स्नान में पहुंच कर आध्यात्मिक आस्था की मजबूती का परिचय दे रहे थे, और पुण्य कमा रहे थे।
यह बात दीगर है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने और उनसे मुलाकात करने आए उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी कोरोना संक्रमित हो गये थे, तभी से मेला प्रशासन ओर राज्य सरकार की ओर से दी गई छूट पर सवाल उठने शुरू हो गये थे। मेला अधिकारी और जिला प्रशासन दावा कर रहा था कि कुंभ मेला परिधि में बिना कोरोना निगेटिव रिपोर्ट के किसी को भी प्रवेश नहीं दिया जा रहा है, यदि प्रशासन का यह दावा सही है तो हरिद्वार में कोरोना का कहर क्यों बरपा, साधु-संत और मेला प्रशासन के अधिकारी बड़ी संख्या मेें कोरोना संक्रमित कैसे हुए, इस सवाल का जवाब न तो कुंभ में राहत देकर वाहवाही लूटने वाले मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत दे पा रहे हैं और न ही मेला प्रशासन।
पिछले पांच (10 से 15 अप्रैल के बीच) दिनों में ही हरिद्वार जनपद में नए पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ कर 2500 से अधिक पहुंच गई है। इनमें 1599 आरटीपीसीआर जांच में पॉजिटिव आए हैं। उच्च न्यायालय ने महाकुंभ में कोविड संक्रमण के फैलाव की आशंका जताते हुए प्रतिदिन पचास हजार जांचें करने के साथ एसओपी का कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए थे। कोर्ट के आदेश पर आरटीपीसीआर जांचें बढ़ाई गई हैं। पांच दिनों में आरटीपीसीआर की 106719 और एंटीजन की 98558 जांचें हुई हैं। इनमें आरटीपीसीआर में 1599 और एंटीजन में 300 पॉजिटिव मिले हैं। दोनों जांचों की पॉजिटिव दर 1.64 फीसदी है। जानकार इस दर को बेहद खतरनाक मानते हैं। इस सबके बावजूद अखाड़ों-श्रद्धालुओं के जज्बे ओर वैभव में कोई कमी देखने को नहीं मिली।
सोमवती अमावस्या और शाही स्नान पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने पर मेला पुलिस-प्रशासन ने भी कोविड के दिशा-निर्देशों (एसओपी) के पालन कराए जाने से हाथ खींच लिए थे, क्योंकि ‘दो गज की दूरी, मास्क है जरूरी’ के स्लोगन सरकारी होर्डिंग और मेला कंट्रोल रूम की उद्घोषणा तक सिमट कर रह गये। श्रद्धालु बिना मास्क लगाए आवाजाही करते नजर आये। घाटों और मेला क्षेत्र में एसओपी की धज्जियां उड़ते हुए सारी दुनिया ने देखी, सोशल मीडिया से लेकर टीवी चैनलों में इस भीड़ को लेकर चर्चाएं हुईं, अखबारों में इस बेलगाम भीड़ को खतरे की घंटी तक करार दिया गया। लेकिन शाही स्नान करने के लिए जिस तरह बाहरी राज्यों से श्रद्धालुओं का रेला उमड़ा, उससे यही लगता था कि कोरोना का खौफ भी आस्था का पथ नहीं डिगा पायेगा। एक अप्रैल से शुरू हुए महाकुंभ में प्रतिदिन लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी, जो शाही स्नान के दिन 35 लाख तक पहुंची।
मेला प्रशासन के मुताबिक, दूसरे शाही स्नान के दिन महाकुंभ में 35 लाख श्रद्धालुओं ने शाही स्नान किया। इस दौरान भीड़ के आगे कोरोना से बचाव के सारे नियम-कायदे तार-तार हो गये। जबकि कोरोना महामारी के बीच 12 अप्रैल को हरिद्वार कुंभ मेला का पहला शाही स्नान हुआ है, जिसमें करीब 31 लाख लोगों ने स्नान किया। जबकि 14 अप्रैल को हुए शाही स्नान में करीब 9 लाख श्रद्धालुओं के पुण्य की डुबकी लगाने का दावा मेला प्रशासन कर रहा है। मेला प्रशासन के दावों के बीच श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ ने कोरोना वायरस के प्रकोप को और अधिक खतरनाक तरीके से बढ़ा दिया। कुंभ मेला में लाखों श्रद्धालुओं के आने पर बहुत से लोग आलोचना भी कर रहे हैं। इनमें फिल्मी सितारे भी शामिल हैं।
कुंभ मेला के शाही स्नान को लेकर बॉलीवुड के मशहूर निर्माता-निर्देशक राम गोपाल वर्मा ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लाखों लोगों की जमा भीड़ पर गुस्सा उतारते हुए कुंभ मेला में जमा भीड़ की तुलना पिछले साल दिल्ली स्थित तबलीगी मरकज में जमा हुए जमातियों से की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा जाहिर किया है। राम गोपाल वर्मा ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर दो तस्वीरें साझा की हैं। इनमें से एक तस्वीर हरिद्वार के कुंभ मेले की है तो वहीं दूसरी तस्वीर पिछले साल दिल्ली की मस्जिद में जमा हुए जमातियों की है। इन तस्वीरों को साझा करते हुए राम गोपाल वर्मा ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘मार्च 2020 का दिल्ली जमात सुपर स्प्रेडर आज के बाहुबलियन कुंभ मेले की तुलना में एक छोटी फिल्म की तरह है’ क्या हम सभी हिंदू उन मुसलमानों से माफी मांगते हैं क्योंकि उन्होंने तब किया जब उन्हें पता नहीं था (कोरोना वायरस के बारे में) और हम इससे बीते एक साल से पूरी तरह से वाकिफ हैं।
राम गोपाल वर्मा ने अपने अगले ट्वीट में अल्बर्ट आइंस्टीन के विचार का भी जिक्र करते हुए लिखा, ‘बाईं ओर कुंभ मेला-2021 है और दाईं ओर जमात-2020 है, और इस मूर्खता का कारण केवल भगवान जानते हैं। राम गोपाल वर्मा यहीं नहीं रुके उन्होंने अपने तीसरे ट्वीट में कुंभ मेले में जमा भीड़ की तस्वीर साझा करते हुए लिखा, ‘आप जो देख रहे हैं, वह कुंभ मेला नहीं है, बल्कि यह एक कोरोना बम है। मुझे आश्चर्य है कि इस वायरल प्रदर्शनी के लिए किसे जिम्मेदार बनाया जाएगा। कोरोना संक्रमण के कारण इस बार कुंभ मेला एक से 30 अप्रैल तक यानी 1 महीने तक ही चलेगा। सामान्य परिस्थितियों में कुंभ मेला चार महीने तक चलता है।
वरिष्ठ लेखक, यात्रा वृतांत लिखने वाले और हरिद्वार के एक सरकारी महाविद्यालय में प्रोफेसर डाॅ. सुशील उपाध्याय का कहना है, ‘इसमें कोई संदेह नहीं कि कोरोना का खतरा बहुत बड़ा होकर सामने खड़ा हुआ है, लेकिन कुंभ में स्नान करने वालों के आंकड़े देखकर इससे डरने की आवश्यकता नहीं है।
पूरा हरिद्वार मिला लें तो भी शहर में बाहर से आने वाली 50 हजार कारों को पार्क नहीं किया जा सकता। अब इस आंकड़े को भी ज्यों का त्यों स्वीकार कर लेते हैं कि इन दिनों में करीब 50 हजार कारें रोजाना आई होंगी। एक कार में 5 लोगों का औसत मानें तो ढाई लाख लोग कारों के माध्यम से पहुंचे होंगे। अब इन तीनों आंकड़ों को मिला लीजिए तो लगभग 4 लाख 80 हजार लोग बैठते हैं। डाॅ. सुशील का यह भी कहना है कि यदि एक स्थान पर किसी एक दिन में 30-35 लाख लोग जुटे हों और 3 दिन में यह संख्या एक करोड़ तक पहुंच गई होगी तो फिर यकीनन बड़ा खतरा पैदा हुआ, पर ऐसा हुआ नहीं है। वस्तुतः कुंभ में जितने लोगों के आने का दावा किया गया, उनकी तुलना में शायद 15-20 फीसद लोग भी नहीं आए हैं।
वहीं, नये मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भी अखाड़ों के संतों, नागा साधुओं और श्रद्धालुओं का हौेसला बढ़ाया है। खुद कुंभ के स्नान में शामिल होने के बाद कोरोना पाॅजिटिव होने के बावजूद तीरथ सिंह रावत ने हरिद्वार कुंभ की तुलना दिल्ली मरकज से न करने की बात कही है। सीएम तीरथ ने तर्क भी दिये हैं। कोरोना महामारी के दौर में भी हमारी धार्मिक आस्था, सनातन धर्म, भारतीय सभ्यता-संस्कृति और इतिहास के ध्वजवाहक बने महामंडलेश्वर-साधु-संत व अखाड़े अब एक-दूसरे के गिरेबां चाक करने पर आमादा दिखाई दे रहे हैं, जो हमारी संस्कृति के अनुकूल नहीं है।
…अब संतों-अखाड़ों में शुरू हुई महाभारत
महाकुंभ 2021 में कोरोना के कहर के बाद संत समाज में महाभारत शुरू हो गई है। हर कोई एक-दूसरे पर महामारी फैलाने का आरोप लगा रहा है। कुंभ समापन की घोषणा से बैरागी संत नाराज हो गए हैं। जगद्गुरु शंकराचार्य के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा है कि कुंभ अपनी तय अवधि तक चलेगा। कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए हरिद्वार कुंभ में पहुंचे निरंजनी और आनंद अखाड़े की ओर से 17 अप्रैल को कुंभ समापन की घोषणा के बाद अब संतों के बीच महाभारत शुरू हो गई है।
पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी की ओर से 17 अप्रैल को कुंभ मेला समापन की घोषणा कर दी थी, अखाड़े के कुंभ मेला प्रभारी एवं सचिव महंत रविंद्रपुरी ने यह कह कर कि कोरोना का प्रसार तेज हो गया है। साधु-संत और श्रद्धालु इसकी चपेट में आने लगे हैं। अब कुंभ मेला यही समाप्त कर देना चाहिए। इस ऐलान के बाद से ही विवाद शुरू हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी संतों के गतिरोध को कम करने के लिए मैदान में कूद गये हैं, पीएम मोदी का तर्क है कि बाकी बचा कुंभ प्रतिकात्मक हो। पीएम की अपील पर कुछ अखाड़े सहमति भी जता चुके हैं। इस महाभारत की शुरूआत संक्रमित महामंडलेश्वर कपिल देवदास की मौत से हुई, उसके बाद एक ओर महामंडलेश्वर की मौत होने से बैरागी अखाड़े की छावनियों में हड़कंप मच गया था, तभी से कुंभ के आयोजन को यही समाप्त करने की मांग कुछ अखाड़ों- की ओर से उठने लगी थी। लेकिन अखाड़ों के कुंभ समापन को लेकर अपने-अपने मत हैं।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि कुंभ किसी संस्था या अखाड़े का नहीं है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने घोषणा की कि कुंभ ज्योतिष है और अपनी अवधि तक चलेगा। कोरोना नियमों का पालन करते हुए शंकराचार्य छावनी लगी रहेगी। निरंजनी अखाड़ा कुंभ समापन की घोषणा कर बैरागी संतों के निशाने पर है। संत समाज बैरागी अखाड़े से इस कदर नाराज हैं कि निर्मोही, निर्वाणी और दिगम्बर अखाड़े ने निरंजनी और आनंद अखाड़े के संतों से माफी मांगने को कहा है। दरअसल, कुंभ मेला समापन का अधिकार केवल राज्य के मुख्यमंत्री और मेला प्रशासन को है। इस लिहाज से निरंजनी और आनंद अखाड़े की घोषणा संतों और सरकार को खल रही है।
बीते दिनों कुंभ मेले की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भी कुंभ मेला समापन के संकेतों पर विराम लगाया, और कहा कि मेला अपने तय समय तक चलेगा। इसके अलावा निर्मोही, निर्वाणी और दिगम्बर अखाड़े ने कहा है कि यदि कुंभ समापन की घोषणा करने वाले संत माफी नहीं मांगते तो वह अखाड़ा परिषद के साथ नहीं रह सकते। 27 अप्रैल को सभी बैरागी संत शाही स्नान करेंगे। अब विवाद और बढ़ने के आसार दिखाई दे रहे हैं।
दिगंबर अणि अखाड़े के महंत व अखाड़ा परिषद के पूर्व प्रवक्ता बाबा हठ योगी ने कहा है कि संयसी अखाड़ों ने अपने स्वार्थ के चलते साधु-संतों और आम नागरिकों को महामारी की आग में झोंका है। बाबा हठयोगी का मानना है कि अप्रैल 2022 तक बृहस्पति कुंभ राशि में हैं तो कुंभ कराने की क्या जल्दी थी। सांकेतिक स्नान कर महामारी से बच सकते थे। बाबा हठयोगी के मुताबिक, 11 अप्रैल 2022 तक बृहस्पति कुंभ राशि में है। 14 अप्रैल 2022 को मेष राशि में सूर्य आ रहा है। ऐसे में इस साल जल्दी क्या थी। सांकेतिक स्नान कर महामारी से बचा जा सकता था।
श्री निरंजनी और आनंद अखाड़े में 17 अप्रैल को कुंभ समापन की घोषणा से नाराज बाबा हठयोगी का मत है कि यह उनका व्यक्तिगत निर्णय है। निरंजनी और आनंद अखाड़े के संतों को शायद इतिहास और कुंभ अवधि का पता नहीं है। 14 अप्रैल के शाही स्नान के बाद संन्यासियों के छावनियां खाली होने लगती हैं, लेकिन बैरागी अपनी परंपरा के अनुसार नेत्र पूर्णिमा का स्नान करते हैं। बाबा हठ योगी ने अखाड़ा परिषद को भी निशाने पर लिया है, कहा कि इसमें अखाड़ा परिषद की नाकामी भी सामने आई है। जिद के कारण समाज को खतरे में डालना निंदनीय है। बैरागी अखाड़ों के चैत्र पूर्णिमा स्नान करने की, इसे लेकर तीनों अणियों के संत अपनी रणनीति बनाएंगे और परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लेंगे।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि का कहना है कि कुंभ किसी संस्था या व्यक्ति के कहने-बोलने से न तो शुरू होता है ओर न ही समाप्त। श्रीमहंत हरि गिरि का यह भी मानना है कि कोराना फैलाने का आरोप संतों पर लगाना गलत हैं। देश-दुनिया में कोरोना की दूसरी लहर चल रही है क्या सब स्थानों पर साधु-संत ही फैला रहे हैं। बैरागियों की ओर से लगाए संन्यासी अखाड़ों से कोरोना फैलने के आरोपों पर महंत ने कहा कि जहां कोविड जांच होगी, वहीं से मरीज भी आएंगे। जांच नहीं होगी तो नहीं आएंगे। श्रीमहंत हरि गिरि ने बैरागियों के आरोपों को दरकिनार करते हुए यह भी कहा कि मत अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन सभी एक परिवार के सदस्य हैं। कुंभ अपनी अवधि तक होना चाहिए। परंपराओं से खिलवाड़ ठीक नहीं है। विधि-विधान से पूजन और अनुष्ठान होने चाहिए। इन सबके बीच कोविड से बचाव भी बेहद जरूरी है। सरकार की गाइडलाइन का सख्ती से पालन और संतों एवं श्रद्धालुओं को जागरूक कराया जाना जरूरी है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के स्वास्थ्य का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि शनिवार को वह एम्स से हरिद्वार पहुंच जाएंगे।
हरिद्वार महाकुंभ में अभी चार स्नान बाकी हैं। जूना अखाड़ा 26 मई तक कुंभ मनाएगा। कुंभ की अपनी परंपराएं हैं, जिसका संत पालन करेंगे। कुंभ किसी व्यक्ति विशेष का नहीं बल्कि हजारों, करोड़ों हिंदुओं की आस्था का उत्सव है। अखाड़े के संत कुंभ अवधि पूरी होने के बाद ही हरिद्वार से जाएंगे। कोविड से बचाव के लिए संतों की जांच कराई जा रही है। कोरोना की गाइडलाइन का पालन किया जा रहा है। कोविड जांच की रिपोर्ट आने तक संत आइसोलेट हैं। -नारायण गिरि, महंत जूना अखाड़ा