कुम्भ का महास्नान पर्व अखाड़ों के शाही स्नान के साथ निपटा

  • 35 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी
  • सभी तेरह अखाड़े अपनी लाव लश्कर के साथ शाही ठाट बाय से पहुंचे हरकी पैड़ी
  • क्रमानुसार निरंजनी,आनन्द, जूना. आवाहन, अग्नि, महानिर्वाणी, अटल , वैष्णव अणियों,बड़ा उदासीन, नया अखाड़ा व निर्मल आदि ने किया प्रमुख शाही स्नान
    जूना के साथ आवाहन, अग्नि, माईवाड़ा व किन्नर अखाड़ा भी पहुंचे शाही जलूस में

हरिद्वार: कुम्भ मेला हरिद्वार 2021 का प्रमुख मेष संक्रांति का स्नान बुधवार को भारी भरकम इंतजामात के साथ सकुशल सम्पन्न हो गया। प्रमुख पर्व पर भी कोरोना महामारी को देखते हुए श्रद्धालु 12 अप्रेल के चैत्र सोमवती अमावस्या पर आए लोगों की अपेक्षा काफी कम संख्या में हरिद्वार पहुंच पाए। वहीं मेला प्रशासन द्वारा 35 लाख से भी अधिक श्रद्धालुओं द्वारा कुम्भ का प्रमुख स्नान किए जाने का दावा किया। जबकि शाम चार बजे तक मेला प्रशासन द्वारा 9 लाख 94 हजार श्रद्धालुओं द्वारा स्नान किए जाने का दावा किया गया। जबकि इसके बाद भी तेजी से स्नान क्रम जारी रहा। प्रमुख स्नान पर्व पर रात में ज्यादा लोगों ने गंगा स्नान का पुण्य कमाया।

अधिकांश लोगों ने शहर के अन्य घाटों में ही स्नान किया

कुम्भ का महास्नान पर्व अखाड़ों के शाही स्नान के साथ निपटामेला प्रशासन की मानें तो रात तक यह संख्या 15 लाख तक पहुंच सकता है। कुम्भ के प्रमुख स्नान पर्व पर भी हरकी पैड़ी पर अखाड़ों के अलावा आम श्रद्धालुओं को सुबह सात बजे से शाम सात बजे तक आप लोगों को स्नान की अनुमति नहीं रही, जिस कारण अधिकांश लोगों ने शहर के अन्य घाटों या नीलधारा में ही स्नान किया अथवा शाम सात बजे के बाद हरकी पैड़ी पर पहुंचकर डुबकियां लगाई।

अखाड़ो ने शाही अंदाज में किया गंगा में स्नान

कुम्भ का महास्नान पर्व अखाड़ों के शाही स्नान के साथ निपटाकुम्भ मेला 2021 का प्रमुख स्नान पर्व बुधवार को रहा। महाकुम्भ के महापर्व पर सभी अखाड़ो ने शाही अंदाज में गंगा में स्नान किया। कुम्भ का प्रमुख शाही स्नान व्यापक इंतजामात के बीच सकुशल सम्पन्न हो गया। कुम्भ का प्रमुख स्नान करने के लिए हालांकि हजारों लोग संतों के विभिन्न अखाड़ों, आश्रमों , संतों के शिविरों में ठहरे थे, लेकिन कोरोना के संक्रमण के बढ़ते हुए लोग आज अपेक्षित संख्या में हरिद्वार नहीं पहुंच पाए। शाही स्नान के दौरान आम श्रद्धालुओं के लिए ब्रह्मकुंड पर सुबह सात बजे से शाम सात बजे तक स्नान प्रतिबंधित किया हुआ था। जाहिर है कि मंगलवार की रात बारह बजे के बाद से ही लोगों ने हरकी पैड़ी पर आस्था की डुबकियां लगाना शुरू कर दिया था।

सुबह साढ़े सात बजे तक हरकी पैड़ी पर भारी संख्या में श्रद्धालू गंगा मैया का आचमन व स्नान करने के लिए उमड़ते रहे। सुबह चार बजे से साढ़े छह बजे तक भारी संख्या में हरकी पैड़ी पर लोगों ने स्नान किया। इसके बाद सात बजे तक हरकी पैड़ी को पूरी तरह खाली कराकर सफाई करा दी गई। इसके बाद क्रमानुसार अखाड़ों के संतों का शाही स्नान शुरू हो गया।

महामण्डलेश्वरों के नेतृत्व में निकला शाही जलूस

आज भी सबसे पहले निरंजनी अखाड़ा के नागा संत आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानन्द ब्रह्मचारी महाराज व अन्य महामण्डलेश्वरों के नेतृत्व में शाही जलूस के रूप में हरकी पैड़ी पर गंगा स्नान के लिए पहुंचे। आनन्द अखाड़ा के संतों ने भी निरंजनी अखाड़ा के साथ ही शाही स्नान किया। इसके बाद निर्धातरत क्रमानुसार जूना अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरी के नेतृत्व में जूना, अग्नि, आवाहन, माईवाड़ा व किन्नर अखाड़ा के संतों ने हरकी पैडी पहुंचकर गंगा में हर-हर महादेव के जयघोष के साथ आस्था की डुबकी लगाई। इसके बाद आचार्य महामण्डलेश्वर बालकानन्द, विशोकानन्द भारती आदि के नेतृत्व में महानिर्वाणी के साथ अटल अखाड़ा ने तथा इसके बाद वैष्णव अखाड़ों की तीनों अणियों निर्वाणी, निर्मोही व दिगम्बर के संतों ने हरकी पैड़ी पर गंगा में डुबकियां लगाई। वैष्णव संतों के स्नान के निर्धारित समयं में विलम्ब होने के कारण बड़ा अखाड़ा उदासीन के संत शाही जलूस के के रूप में हरकी पैड़ी पहुंचे। इसके बाद नया उदासीन पंचायती अखाड़ा व सबसे बाद में निर्मल अखाड़ा के संतों ने गंगा में शाही स्नान किया।

रात में भी गंगा घाटों पर स्नान जारी

इस दौरान देशभर से आए आम श्रद्धालुओं द्वारा पंतद्वीप, सुभाष घाट, रोड़ी-बेलवाला, कुशाघाट, रामघाट, विष्णु घाट, गणेश घाट व शहर के अन्य दर्जनों घाटों के अलावा नीलधारा में भी स्नान किया। रात नौ बजे के बाद तक भी गंगा घाटों पर स्नान का क्रम जारी था। प्रमुख शाही स्नान के दौरान भी लोगों को जगह-जगह बैरीगेट्स लगाकर रूट डायवर्जन के हिसाब से भेजा जा रहा था। मेला आईजी के द्वारा जारी पास आज भीड़ न होने के बावजूद अमान्य कर दिए गए।

जिस कारण मीडिया कर्मियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। विगत स्नान की अपेक्षा इस बार इतना जरूर रहा कि सडक़ों पर शटल बसे भी दिखीं तो वहीं छोटे वाहनों के शहर में ऋषिकुल तक आवाजाही में कोई खास रोक टोक नहीं रही। लोगों को गंगा घाटों तक पहुंचने के लिए पिछली बार की तरह पांच से सात किलोमीटर तक न चलकर एक दो किलोमीटर ही पैदल चलना पड़ा।

इस दौरान मेलाधिकारी दीपक राजपूत, जिलाधिकारी सी रविशंकर, डीजीपी अशोक कुमार, आईजी कुम्भ संजय गुन्ज्याल, कुम्भ एसरएसपी जन्मेजय खण्डूरी, एसएसपी सैंथिल अबुदेई कृष्णराज एस नजर रखे रहे। प्रमुख शाही स्नान निपट जाने के बाद अधिकारियों ने न केवल गंगा में डुबकियां लगाकर मां गंगा का आभार जताया बल्कि एक दूसरे को शुभकामनाएं भी दीं।

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