बंगालः गोरखा समस्या का निकालेंगे स्थायी समाधान : शाह

कोलकाताः  मिशन बंगाल के लिए मोर्चा संभाल रहेभाजपा के दिग्गजों की अग्रणी श्रेणी के नेता व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पांचवें चरण के लिए चुनाव प्रचार करने सोमवार से ही बंगाल में डटे हुए हैं।  उन्होंने दार्जिलिंग में एक चुनावी जनसभा की, जहां से बड़ा ऐलान किया। गोरखा समुदाय की ओर से वर्षों से अलग राज्य की मांग को हवा देते हुए बंगाल में भाजपा की सरकार बनने पर गोरखा समस्या का स्थायी राजनीतिक समाधान निकालने का वादा किया। यही नहीं, सरकार गठन के एक सप्ताह के भीतर अलग राज्य की मांग को लेकर आंदोलन करने वाले गोरखाओं के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को भी हटा देने की घोषणा की।आपको अब प्रदर्शनों का सहारा नहीं लेना पड़ेगा।

शाह ने कहा कि देश का संविधान विस्तृत है और इसमें सभी समस्याओं के हल का प्रावधान है।हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि वह किस समस्या की बात कर रहे हैं। इसके अलावा कहा कि ममता दीदी को बदलिए, भाजपा का मुख्यमंत्री लाइए। हम गोरखा समुदाय की 11 जातियों को अनुसूचित जाति (एसटी) का दर्जा दिलाएगी। उन्होंने 1986 में कम्युनिस्टों पर दार्जिलिंग हिल एरिया को आग में झोंक देने का आरोप लगाया। कहा कि आंदोलन के दौरान 1200 से ज्यादा गोरखा मारे गए। दीदी ने भी यही ट्रेंड जारी रखा। गोरखा समुदाय को भारत का गौरव बताते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कोई भी उन्हें नुकसान नहीं पहुंचा सकता।

फिलहाल एनआरसी लागू करने की योजना नहीं

अमित शाह ने आगे कहा कि अभी के लिए राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) लागू करने की कोई योजना नहीं है। अगर ऐसा होता भी है तो गोरखा समुदाय को इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है। शाह ने सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी पर बंगाल की जनता को बेवजह डराने का आरोप लगाया। साथ ही कहा कि ममता दीदी ने दार्जिलिंग में विकास कार्य पर ‘पूर्ण विराम’ लगा दिया है।

उनकी चाय बगान और चाय वाले के बेटे (पीएम नरेंद्र मोदी) से दुश्मनी है। उन्होंने दावा किया कि तृणमूल की मुखिया ममता बनर्जी ने ‘कुछ’ गोरखाओं के खिलाफ आपराधिक मामला चलवाकर भाजपा और गोरखा समुदाय के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों को खराब करने की कोशिश की। ममता दीदी हाल के दिनों में कई बार दार्जिलिंग आई थीं लेकिन उन्होंने क्षेत्र की तीन विधानसभा सीटों के लिए कोई प्रचार नहीं किया। अमित शाह ने कहा कि भाजपा के पूर्व सहयोगी, जीजेएम नेता बिमल गुरुंग 2017 में हिंसक आंदोलन का कथित तौर पर नेतृत्व करने के बाद उनके खिलाफ कई आपराधिक आरोप लगाए गए। वह बहुत दिन तक छिपे रहे थे। पिछले साल अक्तूबर में सामने आने के बाद उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के साथ हाथ मिला लिया था।

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