तापसी पन्नू शामिल हुयी महिलाओं के प्रतिनिधित्व की चर्चा में 

Indian cinema भारतीय सिनेमा में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के बारे में चर्चा में शामिल हुयी अभिनेत्री तापसी पन्नू । अंतर्राष्­ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर  एक मनोरंजन पत्रकारिता मंच साथ मिलकर ओ वूमनिया:2021 नामक एक रिपोर्ट लॉन्­च करेंगे। इस रिपोर्ट में विभिन्­न दृष्टिकोणों से भारतीय सिनेमा में महिलाओं के प्रतिनिधित्­व से जुड़े तथ्­यों पर विचार किया जाएगा। भारतीय फिल्­म इंडस्­ट्री के विभिन्­न आयामों में काम कर रहीं पांच महिलाओं के साथ एक गोलमेज चर्चा हुई। इनमें फिल्­म अभिनेत्री तापसी पन्­नू, अभिनेत्री समांथा अक्किनेनी, पुरस्­कार-विजेता फिल्­म डायरेक्­टर अंजली मेनन, ओरिजिनल फिल्­म्­स के लिये नेटफ्लिक्­स इंडिया की डायरेक्­टर सृष्टि बहल आर्या और कीको नाकाहारा शामिल हुयी। फिल्­म समीक्षक अनुपमा चोपड़ा ने इस चर्चा की मेजबानी की। पैनल की सभी महिलाएं इस बात पर सहमत थीं कि हाल के वर्षों में भारतीय सिनेमा में महिलाओं के प्रतिनिधित्­व में कुछ सुधार हुआ है, लेकिन अब भी पुरूष-केन्द्रित इस इंडस्ट्री में इस पर बहुत काम होना बाकी है।  मैंने ऐसा करने से मना कर दिया और उस फिल्­म के रिलीज होने के बाद मुझे पता चला कि उन लोगों ने वे डायलॉग्­स बदलने के लिये एक डंिबग आर्टिस्­ट से काम लिया था। महिलाओं के चित्रण में धीरे-धीरे ही सही, लेकिन निश्चित तौर पर हो रहे बदलाव के बारे में तापसी ने कहा, ‘’ज्­यादातर फिल्­मों के ट्रेलर ऐसा नैरेटिव बनाते हैं कि यह फिल्­म एक पुरूष पर आधारित है, आइये, उसके लिये यह फिल्­म देखें। लेकिन मेरी फिल्­म पिं क में जब मैंने देखा कि ट्रेलर में श्री बच्­चन के जितना मुझे भी तवज्­जो दी जा रही है, तो मुझे सुखद आश्­चर्य हुआ। पुरूष और महिला एक्­टर्स के पेमेंट में अंतर की बात करते हुए समांथा ने कहा,  यदि आप टॉप 3 हीरोइनों में से एक हैं, तो भी हीरो के मुकाबले आपका पेमेंट बहुत कम होगा, चाहे वह टॉप 20 में भी नहीं आता हो। अगर हीरोइन पेमेंट बढ़ाने के लिये कहती है, तो उसे समस्­या मान लिया जाता है। लेकिन अगर हीरो पेमेंट बढ़ाने के लिये कहता है, तो उसे कूल समझा जाता है। फिल्­म इंडस्­ट्री में बहुत कम महिला निर्देशक हैं, इस बारे में अंजली मेनन ने कहा,  भारतीय फिल्­म इंडस्­ट्री में बहुत कम महिला निर्देशक हैं, क्­योंकि निवेशकों का उन पर भरोसा नहीं है। महिला निर्देशकों को लेकर लोग आलोचनात्­मक और पक्षपातपूर्ण रवैया अपना लेते हैं। उनका मानना होता है कि महिला निर्देशक कुछ खास तरह की फिल्­में ही डायरेक्­ट कर सकती हैं, जबकि यह धारणा बेबुनियाद है।

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