नयी दिल्ली : मुख्य न्यायाधीश शरद बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रमासुब्रमण्यम की खंडपीठ ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद कहा, ‘‘हम अगले आदेश तक तीनों कृषि सुधार कानूनों को निलंबित करने जा रहे हैं। हम एक समिति भी गठित करेंगे।’’ शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘हम समिति में भरोसा करते हैं और इसे गठित करने जा रहे हैं। यह समिति न्यायिक कार्यवाही का हिस्सा होगी।’’ न्यायालय ने समिति के लिए कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, हरसिमरत मान, प्रमोद जोशी और अनिल घनवंत के नाम का प्रस्ताव भी किया है। हालांकि, न्यायालय पूर्ण आदेश आज शाम तक जारी करेगा। वकील एमएल शर्मा ने खंडपीठ को अवगत कराया कि किसानों ने कहा है कि वे शीर्ष अदालत द्वारा गठित किसी भी समिति के समक्ष उपस्थित नहीं होंगे। न्यायालय ने समिति के पास न जाने की बात पर किसानों को फटकार लगाई और कहा कि वह समस्या का हल चाहता है, लेकिन किसान अनिश्चितकालीन आंदोलन करना चाहते हैं तो वे कर सकते हैं। श्री शर्मा के अनुसार किसानों का कहना है कि कई व्यक्ति चर्चा के लिए आए थे, लेकिन प्रधानमंत्री उनसे नहीं मिले। इस पर न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा कि प्रधानमंत्री को ऐसा नहीं कहा जा सकता कि वह वार्ता में जायें। न्यायालय ने किसान संगठनों से कहा, ‘‘यह राजनीति नहीं है। राजनीति और न्यायतंत्र में फर्क है और आपको सहयोग करना ही होगा।’’ मुख्य न्यायाधीश ने समिति बनाने की बात पर जोर देते हुए कहा, ‘‘समिति हम बनायेंगे, दुनिया की कोई ताकत उसे बनाने से हमें नहीं रोक सकती है। हम जमीनी स्थिति समझना चाहते हैं।’’ इस पर एटर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि समिति का गठन बेहतर विचार है और वह उसका स्वागत करते हैं। न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा, ‘‘हम एक समिति इसलिए बना रहे हैं ताकि हमारे पास एक स्पष्ट तस्वीर हो। हम यह तर्क नहीं सुनना चाहते कि किसान समिति में नहीं जाएंगे। हम समस्या हल करना चाहते हैं। अगर आप (किसान) अनिश्चितकालीन आंदोलन करना चाहते हैं, तो आप ऐसा कर सकते हैं।