नई दिल्ली : व्लादीमीर नोरोव ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के पश्चात अर्थव्यवस्थाओं को पटरी पर लाने में डिजिटल की महत्वपूर्ण भूमिका होगी और संबद्ध देशों को इस दिशा में गंभीरता से प्रयास करने चाहिए। नोरोव ने कल देर शाम भारतीय वाणिज्य और उद्योग महासंघ (फिक्की) के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि एस सी ओ का मुख्य उद्देश्य सभी सदस्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं को गति देना है। इसके लिए लगभग 150 आर्थिक गतिविधियां शुरू की गई हैं। इन गतिविधियों में सभी सदस्य देश आपसी सहयोग बढ़ाएंगे और एक दूसरे की मदद करेंगे।उन्होंने कहा कि एससीओ के सदस्य देश आपसी व्यापार और आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए भी लगातार प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि महामारी के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव से उबरने के लिए सभी देशों को एकजुटता से प्रयास करने होंगे। एस सी ओ महासचिव ने कहा कि महामारी से छोटे उद्योगों पर सबसे बुरा असर पड़ा है। आपूर्ति श्रंखला बुरी तरह से ध्वस्त है और विनिर्माण तथा उत्पादन प्रक्रिया ठप हो गई है। ऐसे समय में एससीओ के सम्मेलन और बैठक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। यह बैठक इस समय में ज्यादा प्रासंगिक हो गई हैं। महामारी से वैश्विक अर्थव्यवस्था और जन स्वास्थ्य प्रणाली को जबरदस्त नुकसान पहुंचा है।ज्यादातर कंपनियां विशेषकर, छोटे उद्योग दिवालिया होने की कगार पर है। इस कारण से अधिकतर देशों में रोजगार के अवसर घट रहे हैं । ऐसी स्थिति में डिजिटल व्यवस्था महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। कोविड-19 पश्चात की अर्थव्यवस्थाओं को सुधारने में डिजिटल की केंद्रीय भूमिका होगी।कार्यक्रम में मौजूद एससीओ कारोबार परिषद के कार्यकारी सचिव सर्गेई कानावस्की ने कहा कि सदस्य देशों को आपसी आर्थिक संबंधों को और सुदृढ़ बनाने के लिए प्रणाली तय करने की जरूरत है। इसके अलावा विश्व स्तर पर प्रदर्शनी आयोजित करते हुए छोटे उद्योगों में आदान प्रदान किया जाना चाहिए। मौजूदा परिदृश्य में स्वास्थ्य देखभाल और फार्मा क्षेत्र में तत्काल काम करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि एससीओ कारोबार परिषद ने परंपरागत चिकित्सा प्रणालियों पर भी जोर देने का निर्णय लिया है। इनके लिए केंद्र बनाने के प्रस्ताव तैयार किए जा रहे हैं।