नई दिल्ली: भारत-चीन में तनाव कम करने के लिए कोशिशे जारी है। अब एक और प्रस्ताव जारी करने को लेकर दोनों के बीच चर्चा हुई। जिसके अंतर्गत पैंगोंग झील के फिंगर क्षेत्र को अस्थायी तौर पर नो मैन्स लैंड में बदला जा सकता है। यानी की इस क्षेत्र में भारतीय और चीनी सैनिकों की गश्ती को रोका जा सकता है।सूत्रों के मुताबिक चरणबद्ध डि-एस्केलेशन के प्रस्ताव के एक अहम पहलू के तहत ये विचार किया जा रहा है। जिसमें फिंगर 4 से लेकर फिंगर 8 तक के एरिया को कुछ समय के लिए नो पेट्रोलिंग जोन बना दिया जाएगा। इसका मतलब यह होगा कि भारत और चीन दोनों को अपने मौजूदा पोजिशन से पीछे हटना पड़ेगा। साथ ही चीन को फिंगर 8 से पीछे हटना पड़ेगा, जिसे भारत लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) बताता रहा है।सरकारी सूत्रों ने बताया कि डिसएंगेजमेंट रोडमैप की तीन चरणों वाली प्रक्रिया है। इसके तहत फिंगर एरिया को नो पेट्रोलिंग जोन में बदलने से पहले झील के उत्तरी तट से सैनिकों की संख्या को कम किया जाएगा। भारत अगस्त के अंत में झील के दक्षिण में कब्जा की जाने वाली पहाड़ियों को छोड़ देगा। पिछली दो सैन्य कमांडरों की बैठकों में इन प्रस्तावों पर चर्चा की गई थी। अब तक मई के शुरू में बने गतिरोध का हल खोजने के लिए कोर कमांडर स्तर पर आठ दौर की बैठकें हो चुकी हैं।आपको बता दें कि पैंगोंग झील के किनारे की 1400 फीट ऊंची पहाड़ियों को फिंगर एरिया कहा जाता है। जिसमें चीन फिंगर 8 और 4 के बीच आठ किलोमीटर तक अंदर आ गया है, जहां उसने बंकर बना लिए हैं, जबकि भारत इसे उल्लंघन मानता है। दोनों पक्ष फिंगर 4 और फिंगर 8 के बीच के क्षेत्र में गश्त करते हैं, जिसके कारण अक्सर इनके बीच तनाव और झड़पें होती हैं।