चंडीगढ़: बरोदा उपचुनाव के महासमर का प्रचार अब अंतिम चरण में हैं और इसे देखते हुए सरकारी गठबंधन के साथ सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। बीजेपी-जेजपी गठबंधन को चुनाव जीतने की इतनी तेजी लगी है कि बरोदा के मतदाताओं को सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों को गिनाने के साथ एक-एक दिन में डेढ़-डेढ़ सौ विकास परियोजनाओं की शुरुआत की जा रही है। गठबंधन के पास एक ही मुद्दा है विकास और इसी की दुहाई देकर जनता के सामने हाथ जोड़कर मतदान की अपील की जा रही है। गठबंधन उम्मीदवार के पक्ष में स्वयं मुख्मंत्री मनोहर लाल, डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला और भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ के साथ गृह मंत्री अनिल विज भी चुनाव प्रचार में लगे हैं और सभी विकास के नाम पर वोट मांग रहे हैं। इस बीच एक दूसरे के सवालों के जवाब भी दिए जा रहे हैं। कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष चौधरी भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, प्रदेशाध्यक्ष कुमारी शैलजा और सांसद दीपेन्द्र हुड्डा चुनाव प्रचार में हैं। कांग्रेस अपनी परंपरागत सीट को बरकरार रखने के लिए विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के कार्यकाल में कराए गए विकास कार्यों को जनता के समक्ष रखने के साथ गठबंधन सरकार की नाकामयाबियों को भी रख रही है। किसान आंदेालन को याद दिलाते हुए कांग्रेस के स्टार प्रचारक जनता से बता रहे हैं कि मौजूदा सरकार ने किसानों, मजदूरों और आम जनता के हितों को दरकिनार कर प्रदेश को कर्ज में डुबाने का काम किया है। उधर इनेलो प्रमुख एवं पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओमप्रकाश चौटाला जनता से सीधे कह रह रहे हैं कि तुम हमें ऊबार दो, हम तुम ऊबार देंगे। इन तमाम आरोपों-प्रत्योरोपों, वादे और दावे के बीच बरोदा की जनता आत्ममंथन कर रही है।
जातिगत समीकरण भी बैठाए गए हैं अंदरखाने
बरोदा उपचुनाव के प्रचार के दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा राजनीतिक समीकरण भी बैठाए गए हैं। गठबंधन द्वारा जाट वोटरों के ध्रुवीकरण के लिए डिप्टी सीएम दुष्यंत के साथ भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष लगे हुए हैं। जबकि कांग्रेस से स्वयं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और सांसद दीपेन्द्र हुड्डा लगे हुए हैं। वहीं कांग्रेस ने दलित वोटबैंक को संभालने के लिए कांग्रेस के दलित विधायकों की ड्यूटी लगा दी है। यही समीकरण इनेलो ने भी बैठाया है लेकिन राजनीतिज्ञों का कहना है कि बरोदा की रणभाूमि में अब सीधा मुकाबला गठबंधन और कांग्रेस के बीच है। यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस अपनी प्रतिष्ठा बचाने में कामयाबी की तरफ अग्रसर है। लोगों का कहना है कि भाजपा तो पूर्व में ही इस सीट से गायब रही है, इसी बीच किसान आंदोलन और बेरोजगारी ने सरकार की स्थिति को और अधिक खराब कर दिया है।