रंजीत कुमार तिवारी
लोकतंत्र के महापर्व का शुभारंभ अपने शबाब पर है। दल व निर्दल सभी अपने जीत के दावों को पूर्ण मजबूती के साथ परोसने में लगे हैं। लेकिन, इसी बीच एक यक्ष प्रश्न जनता के दिलों दिमाग में घर किये हुए है। अधिकांश लोगों का सवाल है कि दो गज की दूरी क्या अब भी है जरूरी ?
चुनाव प्रचार जमकर हो रहे चुनाव प्रचार में सोशल डिस्टेंसी अब बीते दिनों की बात बन कर रह गई है। पहले चरण के मतदान में महज चंद रोज ही शेष हैं। सारे दल के स्टार प्रचारक खूब रैलियाँ कर रहे हैं। वहीं कोरोना के बीच हो रहे इस चुनाव में चुनाव आयोग और गृह मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के उल्लंघन की सूचना लगातार मिल रही है। पहले नामांकन में जहाँ जनता की भीड़ उमड़ी अब वही भीड़ नेताओं के रैलियों में भी मौजूद हो रही है। बांका के बेलहर में तेजस्वी यादव कि एक जनसभा में 350 लोगों की क्षमता वाले मैदान में करीब 5 हजार की भीड़ मौजूद रही।
मौजूदा दौर में केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने पहली बार माना है कि देश के कुछ हिस्सों में कोरोना का प्रसार सामुदायिक स्तर पर हो रहा है। वहीं प्रधानमंत्री द्वारा लगातार सामाजिक दूरी के नियम का पालन और फेस कवर की अपील लगातार की जा रही है। बावजूद इसके क्या आम,क्या खास सब मान बैठे हैं कि कोरोना का असर धीरे-धीरे कम हो रहा है। लेकिन उन लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए कि कोरोना अभी भी जानलेवा बना हुआ है। अभी इसी रविवार को पूर्णिया के पुलिस महानिरीक्षक विनोद कुमार का कोरोना की वजह से निधन हो गया है। वहीं बीते सितंबर महीने में पटना में जीतने कोरोना पॉजिटिव केस मिले थे उससे अधिक केस इस महीने के शुरुआती दस दिनों में ही मिले हैं। ये बता रहा है बिहार में कोरोना फिर से वापसी कर रहा है। लेकिन चुनाव के बीच कोरोना की फिक्र ना सरकार को है ना प्रशासन को। जनता को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। बिहार में अब ठंढ भी दस्तक दे रहा है, ऐसा माना जा रहा है कि कोरोना के खतरे ज्यादा बढ़ जाते हैं। इसी बीच बिहार में चुनावी महापर्व तो हो चल ही रहा है आने वाले समय में दिवाली और छठ महापर्व भी मनाया जाएगा। कोरोना के बीच हो रहे है इस चुनाव में जनता को ही अपनी सेहत की परवाह नहीं है ऐसे में नेताओं से हम क्या उम्मीद कर सकते हैं।